EVM Verification Case: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) की सत्यापन नीति बनाने की मांग पर सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि सुनवाई पूरी होने तक EVM में किसी भी प्रकार का डेटा न हटाया जाए और न ही कोई नया डेटा लोड किया जाए। अब चुनाव आयोग को EVM की मेमोरी और माइक्रो कंट्रोलर डिलीट करने की प्रक्रिया की पूरी जानकारी अदालत को देनी होगी।
CJI ने कहा- 'यह टकराव की स्थिति नहीं है। यदि किसी हारे हुए उम्मीदवार को स्पष्टीकरण चाहिए तो इंजीनियर तकनीकी रूप से यह स्पष्ट कर सकता है कि कोई गड़बड़ी नहीं हुई है।' पिछली सुनवाई में अदालत ने कहा था कि इस मामले की सुनवाई वही बेंच करे, जिसने पहले इस पर विचार किया था। यह याचिका हरियाणा के पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल और पांच बार के विधायक लखन कुमार सिंगला द्वारा दायर की गई थी। उन्होंने मांग की थी कि चुनाव आयोग एक ठोस प्रणाली विकसित करे जिससे EVM की जांच की जा सके।
इसके साथ ही चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग को EVM के चार प्रमुख घटकों - कंट्रोल यूनिट, बैलट यूनिट, VVPAT और सिंबल लोडिंग यूनिट की मूल बर्न मेमोरी और माइक्रोकंट्रोलर की सत्यापन प्रक्रिया के लिए एक नीति बनानी चाहिए।
13 दिसंबर 2024 को हुई सुनवाई में न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति पीबी वराले की पीठ ने याचिकाकर्ताओं से सवाल किया कि वे यह याचिका इस बेंच के समक्ष क्यों लाए हैं और इसे पूर्व निर्धारित बेंच के पास भेजने की बात कही।
इससे पहले 26 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ ने बैलट पेपर से चुनाव कराने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था और EVM में गड़बड़ी के आरोपों को बेबुनियाद बताया था। अदालत ने कहा था कि EVM सुरक्षित हैं और इनके कारण बूथ कैप्चरिंग व फर्जी मतदान जैसी समस्याएं समाप्त हुई हैं। वहीं, हरियाणा चुनाव परिणामों को चुनौती देने वाली याचिकाएं अभी भी पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में लंबित हैं।