Fluorine Leak at Lucknow Airport: लखनऊ के चौधरी चरण सिंह (अमौसी) एयरपोर्ट पर शनिवार को फ्लोरीन गैस लीक हो गया। इसके बाद कार्गो क्षेत्र में अलार्म बजने लगे। इस घटना में CISF इंस्पेक्टर सहित 5 कर्मचारी गैस के संपर्क में आए। घटना के तुरंत बाद एयरपोर्ट प्रशासन ने NDRF और SDRF को इसकी जानकारी दी। आपदा बल की टीम ने प्रभावित क्षेत्र को खाली करवा कर सर्च ऑपरेशन शुरू किया। हालांकि, इस दौरान यात्रियों और फ्लाइट्स पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
हाई अलर्ट: एक किलोमीटर का क्षेत्र खाली
गैस रिसाव के बाद एक और आधे किलोमीटर का क्षेत्र खाली कर दिया गया। लखनऊ से गुवाहाटी जा रही एक फ्लाइट के दौरान, टर्मिनल-3 पर स्कैनिंग के दौरान अलार्म बजने लगा। जांच में पता चला कि एंटी-कैंसर दवाओं से भरे एक बॉक्स से फ्लोरीन गैस का रिसाव हो रहा था। एयरपोर्ट प्रशासन के मुताबिक, हर कार्गों डिपार्टमेंट में फ्लोरीन गैस भेजी जाती है। हालांकि, आज उच्च मात्रा के कारण अलार्म बज उठा।
SDRF और NDRF की त्वरित कार्रवाई
SDRF के असिस्टेंट कमांडेंट मिथिलेश कुमार तिवारी ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि हमें 9:55 बजे गैस लीक होने की सूचना मिली। 25 जवानों की टीम 11:40 बजे मौके पर पहुंची। 48 NDRF के जवान भी जांच में जुट गए। ऑपरेशन एक घंटे तक चला और करीब दो घंटे के बाद स्थिति सामान्य हो गई। रिसाव के समय मौजूद 5 लोग सुरक्षित हैं। गैस रिसाव को देखते हुए SDRF की टीम भी कानपुर से लखनऊ एयरपोर्ट पर बुलाई गई थी।
अडानी समूह ने कहा- अब स्थिति नियंत्रण में
अडानी समूह ने इस घटना पर बयान जारी करते हुए कहा कि कैंसर से संबंधित दवाओं की एक शिपमेंट की वजह से रेडियो एक्टिव अलार्म एक्टिवेट हो गया। जांच के बाद स्थिति नियंत्रण में आ गई। इसका एयरपोर्ट ऑपरेशन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। रेडिएशन सेफ्टी ऑफिसर ने बताया कि अब स्थिति सामान्य है और किसी गैस का रिसाव नहीं पाया गया है।
फ्लोरीन के असर से हो सकती हैं समस्याएं
एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. सुधीर ठाकुर ने बताया कि फ्लोरीन के प्रभाव से आंखों में जलन, घबराहट, और निम्न रक्तचाप हो सकता है। यह गैस फेफड़ों और किडनी पर भी असर डालती है। फ्लोरीन का उपयोग एक्स-रे और कई मेडिकल परीक्षणों में किया जाता है। कुछ दवाओं के तापमान को सुरक्षित रखने के लिए भी फ्लोरीन का इस्तेमाल होता है। इस गैस में कुछ रेडियो एक्टिव एलिमेंट पाए जाते हैं।