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Himachal Pradesh political crisis: हिमाचल प्रदेश में सियासी संकट जारी है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई में बुलाई गई बैठक में दो मंत्री विक्रमादित्य सिंह हर्षवर्द्धन चौहान मौजूद नहीं रहे। वही दो अन्य मंत्री रोहित ठाकुर और जगत नेगी बीच में ही बैठक छोड़कर बाहर निकल गए।

Himachal Pradesh political crisis: हिमाचल प्रदेश में पैदा हुआ राजनीतिक संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।  हिमाचल प्रदेश कैबिनेट की बैठक में, राज्य के दो मंत्री , विक्रमादित्य सिंह और हर्षवर्द्धन चौहान मौजूद नहीं रहे। वहीं दो अन्य मंत्री नीतिगत निर्णयों पर तीखी बहस के बाद बैठक के बीच में ही चले गए। यह बैठक मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई में शनिवार को बुलाई गई थी।

मंत्री विक्रमादित्य सिंह बैठक में नहीं रहे मौजूद
हाल ही में इस्तीफा देने और फिर वापस लेने वाले मंत्री विक्रमादित्य सिंह की भाजपा के साथ बातचीत करने की अटकलें थीं। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि वह राजस्थान के उदयपुर में निजी काम के कारण बैठक में शामिल नहीं हो सके। बैठक से अनुपस्थित रहे हर्षवर्धन चौहान कथित तौर पर कैबिनेट फेरबदल के बाद आयुष विभाग दोबारा नहीं मिलने सेअसंतुष्ट थे।

शिक्षा मंत्री बीच में ही बैठक छोड़कर बाहर निकले
वहीं, शिक्षा विभाग में फैसलों को लेकर हुई तीखी बहस के बाद शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर बीच में ही कैबिनेट बैठक छोड़कर बाहर निकल गए। इसके साथ ही राजस्व मंत्री जगत नेगी भी बैठक बीच में ही छोड़कर एक अन्य कार्यक्रम में शामिल होने के लिए रवाना हो गये। सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि रोहित ठाकुर हाल ही में कैबिनेट में शामिल किए गए मंत्री राजेश धर्मानी को तकनीकी शिक्षा विभाग दिए जाने से नाराज थे।  इससे पहले बागी कांग्रेस विधायक राजिंदर राणा ने मुख्यमंत्री की कार्यशैली पर असंतोष व्यक्त किया। साथ ही दावा किया कि नौ और विधायक संपर्क में हैं। 

कांग्रेस पर्यवेक्षकों ने मामला संभाला था
बता दें कि 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव में हार के बाद सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार गिरने की नौबत आ गई थी। हालांंकि, बाद में कांग्रेस पर्यवेक्षकों भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कर्नाटक के मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को पर्यवेक्षक बनाकर हिमाचल भेजा गया था। दोनों पर्यवेक्षकों ने बारी बारी से सभी विधायकों से बैठक की थी। कई विधायकों को कैबिनेट में शामिल किया गया। मंत्री पद दिया गया। इसके बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दावा किया था कि राज्य की कांग्रेस सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी।

क्राॅस वोटिंग के बाद शुरू हुआ संकट
संकट तब शुरू हुआ जब कांग्रेस को राज्यसभा चुनाव में अपने ही विधायकों की क्रॉस वोटिंग की वजह से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद अटकलें लगने लगीं कि सरकार अल्पमत में आ गई है। हालांकि, पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने के लिए बीजेपी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करने वाले छह बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया। जिससे कांग्रेस को कुछ राहत मिली। हालांकि, शनिवार को स्थिति तब बिगड़ गई  कैबिनेट बैठक में दो मंत्री शामिल नहीं है। 

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