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Army Chief Manoj Pandey on Indigenous Weapons: सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने सोमवार को कहा कि आर्मी डिजाइन ब्यूरो देश में 350 वेपन सिस्टम का डिजाइन तैयार कर रहा है। इन डिजाइन्स को तैयार करने में करीब 1.8 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं।

Army Chief Manoj Pandey on Indigenous Weapons: सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने सोमवार को कहा कि भारतीय सेना देश में हथियारों को विकसित करने पर ध्यान दे रही है। जनरल पांडे ने कहा कि मौजूदा समय में आर्मी डिजाइन ब्यूरो DRDO समेत लगभग 450 उद्योगों की मदद से करीब 350 डिजाइन्स के  विकास और अनुसंधान से जुड़ी परियोजनाओं का नेतृत्व कर रहा है। यह पहल करीब 1.8 लाख करोड़ रुपए की है। सेना देश में निर्मित हथियारों और सैन्य तकनीकों को प्रोत्साहित कर रही है। आने वाले समय में इससे एक बदलाव आएगा। सेना अपने हथियारों की 100 प्रतिशत खरीदारी स्वदेशी रक्षा कंपनियों से करेगी। 

सेना ने शुरू किया स्वदेशी वेपन सिस्टम का इस्तेमाल
जनरल पांडे ने कहा कि भारतीय सेना ने स्वदेशी वेपन सिस्टम का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। कई जगहों पर सीमा पर तैनात सैनिकों को स्वदेशी हथियार से लैस किया गया है। मौजूदा समय में सेना के पास इनफैंट्री प्रोटेक्टेड वेहिकल या प्रोटेक्टेड वेहिकल गाड़ियां है, जो भारत में बनाई गई है। इन सैन्य वाहनों की खासीयत यह है कि यह दुश्मनों की ओर से होने वाली गोलीबारी को झेलने में सक्षम है। ये वाहन दुर्गम जगहों पर एक जगह से दूसरे जगह पर तेजी के साथ आवाजाही कर सकते हैं।

सेना के पास कई स्वदेशी ड्रोन और यूएवी
सेना प्रमुख ने कहा कि इंडियन आर्मी ने हाल के दिनों में कई स्वदेशी अनमैन्ड एरियल वेहिकल (UAV) और ड्रोन का भी अधिग्रहण किया है।  कुछ तकनीक अभी क्वांटम क्ंप्यूटिंग ट्रायल किया जा रहा है। ट्रायल पूरा होने के बाद सेना की कम्युनिकेशन तकनीक में सुधार होगा। सेना क्वांटम कंप्यूटिंग इनक्रिप्शन और टेक्नोलॉजी की मदद से कम्युनिकेट कर सकेगी। बता दें कि हाल ही में इंडियन नेवी ने अडानी ग्रुप की स्टारलाइन यूएवी को अपने बेड़े में शामिल किया है। इस यूएवी को समुद्री तटों की निगरानी में इस्तेमाल किया जा रहा है। 

डिफेंस इन्नोवेशन इकोसिस्टम में सभी रैंक के अधिकारी
सेना प्रमुख ने कहा कि हमारे डिफेंस इन्नोवेशन इकोसिस्टम में हमारे अधिकारी, जेसीओ और दूसरे रैंक के अधिकारियों का अनुभव और ज्ञान शामिल है। हमारे अधिकारी फील्ड पर डिफेंस इक्विपमेंट का इस्तेमाल करते हैं। इसके साथ ही हमारे एकेडमिक एक्सपर्ट भी हैं जो सेना के एक कैटेगरी ट्रेनिंग संस्थानों में काम करते हैं और स्वदेशी रक्षा तकनीकों को विकसित करने में मदद करते हैं। इसके साथ ही सेना के वर्कशॉप और मैनुफैक्चरिंग यूनिट में काम करने वाली सिविल डिफेंस वर्कफोर्स भी इसमें मददगार है। इनकी मदद से नईग वेपन सिस्टम तैयार करने का खाका तैयार होता है।

सेना ने 11 डिफेंस प्रोडक्ट्स के लिए हासिल किया पेटेंट
सेना प्रमुख ने बताया कि एक बार प्रस्ताव आने के बाद आर्मी डिजाइन ब्यूरो नई हथियार प्रणालियों पर काम करना शुरू करती है। हाल ही में एक  विद्युत रक्षक परियोजना शुरू की गई है। अब हमने इस परियोजना को अपने वेंडर्स को ट्रांसफर कर दिया गया, जिसे बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन किया जा सकेगा। हमारे पास मौजूदा समय में ऐसी 66 परियोजनाएं पाइप लाइन में है। 11 प्रोडक्ट्स के लिए हमने पेटेंट भी हासिल कर लिया है जिससे हमारे इन्नावेटर्स को इसका इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट मिल सके। 

एलएसी पर स्थिति नियंत्रण में
सेना प्रमुख ने कहा कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर स्थिति नियंत्रण में है लेकि संवेदनशील है। बीते एक साल में एलएसी से लगे किसी इलाके में संघर्ष जैसी स्थिति पैदा नहीं हुई है। भारत और चीन के बीच सैन्य और कूटनीतिक बातचीत जारी है। भारतीय सैनिकों की तैनाती मजबूत और संतुलित है। हम विकास पर ध्यान दे रहे हैं। सेना लोकल एडमिनिस्ट्रेशन और स्थानीय लोगों के साथ मिलकर काम कर रही है। हम सुरक्षा को लेकर अपनी तैयारी मजबूत रखने पर फोकस कर रहे हैं। सेना प्रमुख ने बताया कि 2023 में जम्मू कश्मीर में 71 आतंकियों को ढेर किया गया है। इनमें से 35 को इंटरनल ऑपरेशन और 36 आतंकियों को घुसपैठ के दौरान मार गया। 

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