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IUML Moves Supreme Court Against CAA: 2019 में पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम के जरिए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार गैर-मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता देगा। इनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदाय शामिल हैं।

IUML Moves Supreme Court Against CAA: इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए 2024 पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। केरल स्थित पार्टी ने कानून को मुस्लिम समुदाय के खिलाफ असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण बताते हुए इसके क्रियान्वयन पर रोक लगाने की मांग की है। एक दिन पहले सोमवार की शाम गृह मंत्रालय ने इस कानून को नोटिफाई किया है। 

2019 में पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम के जरिए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार गैर-मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता देगा। इनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदाय शामिल हैं। शर्त यह है कि 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में जिन्होंने शरण ली है, नागरिकता सिर्फ उन्हीं को दी जाएगी। 

2019 में IUML ने दी कानूनी चुनौती
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग 2019 में नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती देने वालों में से एक था। याचिका में तर्क दिया गया है कि नागरिकता के लिए पात्र लोगों की सूची में मुसलमानों को शामिल नहीं करना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन है।

इससे पहले, IUML ने अधिनियम के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग की थी। लेकिन केंद्र ने तब अदालत को बताया था कि कानून लागू नहीं होगा क्योंकि नियमों को अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है। याचिका में कहा गया है कि सीएए नियमों के कार्यान्वयन को तब तक रोका जाना चाहिए, जब तक कि अधिनियम की संवैधानिक वैधता के खिलाफ 250 लंबित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता।

याचिका में कहा गया है कि संविधान की प्रस्तावना में परिकल्पना की गई है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और इसलिए पारित कोई भी कानून धर्म-तटस्थ होना चाहिए।

मतुआ समुदाय ने मनाया जश्न तो असम में विरोध
केंद्र सरकार की तरफ से घोषणा होने के बाद देश के कई हिस्सों में जश्न मनाया गया। बंगाल में मतुआ समुदाय के सदस्यों और भोपाल में रहने वाले सिंधी शरणार्थियों ने घोषणा के बाद जश्न मनाया। हालांकि, कुछ अन्य क्षेत्रों में जनता का मूड अलग था। असम में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जो इस आधार पर नए नागरिकता नियमों का विरोध कर रहे हैं कि इससे सीमावर्ती राज्य में बड़े पैमाने पर प्रवासन होगा। देश के अन्य इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभावपूर्ण है।

कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर साधा निशाना
विपक्ष ने लोकसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले अधिनियम को लागू किए जाने की टाइमिंग को लेकर भाजपा पर निशाना साधा है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि भाजपा का लक्ष्य असम और पश्चिम बंगाल में मतदाताओं का ध्रुवीकरण करना है। इस नियम को लाने में उन्हें 4 साल 3 महीने लग गए। बिल दिसंबर 2019 में पास हुआ था। 3-6 महीने के अंदर कानून बन जाना चाहिए था। मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से नौ एक्सटेंशन मांगे और सोमवार को सीएए को अधिसूचित करने से पहले 4 साल और 3 महीने का समय लिया। 

हम निरस्त कर देंगे: शशि थरूर
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सीएए को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि अगर INDI गठबंधन ने सत्ता संभाली तो इसे निरस्त कर दिया जाएगा। थरूर ने तर्क दिया कि सीएए नैतिक और संवैधानिक रूप से गलत है। यह हमारे घोषणापत्र में होगा। हम अपनी नागरिकता में धर्म को शामिल करने का समर्थन नहीं करेंगे।

सरकार ने जारी किया पोर्टल

सीएए के तहत भारतीय नागरिकता के लिए गृह मंत्रालय ने मंगलवार को वेब पोर्टल (https:/indiancitizenshiponline.nic.in) लॉन्च किया है। इसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए लोगों से आवेदन मांगे गए हैं। 

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