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कुत्तों से हिरण बचाओ (Save deer from dogs): राजस्थान के थार रेगिस्तान में, वन्यजीवों के नाजुक संतुलन को घरेलू कुत्तों से एक महत्वपूर्ण खतरे का सामना करना पड़ता है। सरिस्का टाइगर रिजर्व के मुख्य वन संरक्षक और क्षेत्र निदेशक जी.एस. भारद्वाज ने इसे लेकर खुलासे किए हैं।

कुत्तों से हिरण बचाओ (Save deer from dogs): राजस्थान के विशाल थार रेगिस्तान में सुंदर और छोटे आकार वाले भारतीय हिरण, घरेलू कुत्तों का शिकार बन रहे हैं। लगभग 75 प्रतिशत चिंकारों को कुत्ते अपना निवाला बना रहे हैं। राजस्थान के बिश्नोई समाज के लोग इस छोटे वन्यजीव को अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं। अब कुत्तों से हिरणों को बचाने के लिए बिश्नोई समाज के साथ ही अन्य स्थानीय समुदायों ने मुहिम शुरू किया है।

सोशल मीडिया पर मुहिम शुरू
राजस्थान के लोगों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर हिरणों को बचाने के लिए मुहिम शुरू कर दी है। कुछ लोगों ने कुत्तों का शिकार बने कुछ हिरणों का वीडियो शेयर किया है। इसके साथ ही लोगों से अपील की गई है कि वे इस सुंदर वन्यजीव को बचाने के लिए आगे आएं। बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोग इसका समर्थन भी कर रहे हैं।

क्या है कुत्तों के हमले बढ़ने की वजह?
सरिस्का टाइगर रिजर्व के मुख्य वन संरक्षक और क्षेत्र निदेशक जी.एस. भारद्वाज के मुताबिक प्रत्यक्ष शिकार, भय-प्रेरित व्यवहार परिवर्तन, भोजन को लेकर प्रतिस्पर्धा, हाइब्रिडाइजेशन और घरेलू कुत्तों द्वारा संक्रामक रोगों को फैलाने जैसे विभिन्न कारणों से हिरणों की संख्या थार में कम  होती जा रही है। पहले से ही कम हो चुके चिंकारे अब इस नई मुसीबत का सामना कर रहे हैं। 

कब बढ़ता है शिकार का प्रभाव?
इस शिकार का प्रभाव मानसून के मौसम के दौरान सबसे अधिक तेजी से महसूस किया जाता है, जब वर्षा का पानी कृषि क्षेत्रों और जुताई वाली भूमि में जमा हो जाता है, जिससे इन छोटे हिरणों के लिए अपने कुत्ते शिकारियों से बचना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।  इसके अतिरिक्त, सड़क दुर्घटनाओं में 8.39 प्रतिशत चिंकारे घायल होते हैं, जिससे उन्हें खुले में घूमने वाले कुत्तों से खतरा और भी बढ़ जाता है।

क्या हो सकता है समस्या का समाधान?
इस बढ़ते संकट को दूर करने के लिए स्थानीय लोग बस्ती स्तर पर निरंतर कुत्तों का नसबंदी कार्यक्रम चलाने और वन्यजीव-समृद्ध क्षेत्रों से कुत्तों को हटाने की वकालत करते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि आवारा कुत्तों से पैदा खतरे को कम करने के लिए वन्य संरक्षण एजेंसियों और स्थानीय समुदायों के बीच सहयोग होना चाहिए।आवारा कुत्तों को  बस्तियों से स्थानांतरित करने के उपायों के बारे में भी कई प्रकार के सुझाव देते हैं।

बिश्नोई समाज हिरणों को बचाने में दे रहा योगदान
क्षेत्र में वन्यजीव संरक्षण में बिश्नोई समुदाय के अमूल्य योगदान को स्वीकार करते हुए, भारद्वाज शिकारी कुत्तों को को पकड़ने और घायल जानवरों की सहायता करने में उनके प्रयासों की सराहना करते हैं। हालांकि, उन्होंने कहा है कि घायल जानवरों के बीच मृत्यु दर को कम करने के लिए जिला अस्पतालों में वन्यजीव बचाव वार्डों और मोबाइल प्लेटफार्मों की स्थापना की जानी चाहिए। इसके साथ ही वन्यजीव बचाव सुविधाएं बढ़ाई जानी चाहिए।

बढ़नी चाहिए पशु चिकित्सा देखभाल की सुविधा
बेहतर बचाव बुनियादी ढांचे की तत्काल आवश्यकता को देखते हुए हाल की पहलों ने विभिन्न स्थानों पर 17 बचाव वार्ड शुरू किए हैं। प्रत्येक वार्ड में एक पशु चिकित्सक की नियुक्ति की गई है। हालांकि, भारद्वाज का मानना है कि पशु चिकित्सा देखभाल और उन्नत उपचार विकल्पों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए इन सुविधाओं को और ज्यादा बढ़ाने की जरूरत है। 

चौंकाती है आवारा कुत्तों के शिकार हुए जंगली जानवरों की संख्या
बढ़ते मानव-पशु इंटरफेस से उत्पन्न चुनौतियों के बीच वन विभाग ने  वन्यजीवों की चोटों और मौतों के आंकलन किया है। इसमें कई ऐसी जानकारी सामने आई है, जो वन्यजीवों के संरक्षण के लिहाज से अहम है। इसके साथ ही यह भी पता चला है कि बीते साल में बड़े पैमाने पर आवारा कुत्तों ने जंगली जानवरों का शिकार किया है। यह जानकारी चौंकाने वाली है। इससे पता चलता है बीत सात साल में आवारा कुत्तों ने तीन हजार से ज्यादा हिरणों को शिकार बनाया है। 

2009 से 2016 तक आवारा कुत्तों द्वारा मारे गए जंगली जानवरों का आंकड़ा

जानवरों की प्रजाति  मारे गए जानवरों की संख्या
चिंकारा 3,624
काले हिरण 645
ब्लू बुल्स 607
लंगूर 86
खरगोश 62
ब्लैक काइट्स  56
उल्लू 47
सारस पक्षी 39
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