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Manipur Violence: मणिपुर के जिरीबाम जिले में तीन महिलाओं का शव झिरी नदी में तैरती मिला। ऐसा दावा किया जा रहा है कि शव पांच दिन पहले अगवा हुई 6 महिलाओं में से तीन की है।

Manipur Violence: मणिपुर के जिरीबाम जिले में तीन महिलाओं की लाशें मिलने से माहौल और तनावपूर्ण हो गया है। ये शव जिरीबाम से करीब 50 किलोमीटर दूर झिरी नदी में तैरती मिली।बरामद शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (SMCH) ले जाया गया है। अस्पताल में शवों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। हालांकि यह दावा किया जा रहा है कि ये शव पांच दिन पहले अगवा हुई 6 महिलाओं में से 3 की हो सकती है। इस बीच, मणिपुर के इंफाल में मैतेई समुदाय के लोगों ने बंधकों की सुरक्षित वापसी की मांग करते हुए कैंडललाइट विरोध प्रदर्शन किया।

बंधकों में शामिल बच्चे और महिलाएं
बता दें कि बीते सोमवार को संदिग्ध कुकी उग्रवादियों ने जिरीबाम के बोरोबेकरा इलाके से तीन महिलाओं और तीन बच्चों का अपहरण किया था। इनमें एक मां और उनके दो छोटे बच्चे भी शामिल हैं। इनमें से एक बच्चा महज दो साल का है। यह सभी लोग मैतेई समुदाय से आते हैं। घटना के वक्त उग्रवादी पुलिस थाने और सीआरपीएफ कैंप पर हमला कर रहे थे। इस दौरान उग्रवादियों के एक दूसरे ग्रुप ने इन महिलाओं और बच्चों को अगवा कर लिया। फिर नाव से किसी अनजान जगह ले गए।

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गोलीबारी में मारे गए दस उग्रवादी
हमले के जवाब में सुरक्षाबलों ने गोलीबारी की, जिसमें 10 उग्रवादी मारे गए। सुरक्षाबलों ने घटनास्थल से हथियार, जिनमें AK राइफल, इंसास राइफल और RPG लॉन्चर शामिल थे, बरामद किए। कुकी संगठनों ने इन मारे गए लोगों को 'गांव के वॉलिंटियर्स' बताया है। हालांकि, पुलिस और CRPF ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि यह लोग उग्रवादी थे और उनके पास अत्याधुनिक हथियार थे।

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पीड़ित परिवार ने की बंधकों की वापसी की अपील
लापता महिलाओं और बच्चों के परिवार के लोग लगातार उनकी सुरक्षित वापसी की गुहार लगा रहे हैं। लापता महिला के पति ने मीडिया बातचीत में कहा कि मेरी पत्नी ने फोन पर बताया था कि वह हथियारबंद लोगों से घिरी हुई है। कॉल कुछ ही समय बाद डिस्कनेक्ट हो गई। फिर फोन बंद हो गया। परिवार का कहना है कि घटना के बाद से वह लगातार अपने रिश्तेदारों की तलाश कर रहे हैं।

कुकी और मैतेई समुदायों के बीच बढ़ता टकराव
मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच हिंसा लंबे समय से जारी है। पिछले 500 दिनों में 200 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, जबकि हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। राज्य में AFSPA कानून को फिर से लागू किया गया है, जिससे सुरक्षाबलों को विशेष अधिकार मिल गए हैं। इस हिंसा की जड़ मैतेई समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा मांगे जाने से जुड़ी है, जिसका कुकी और नगा समुदाय विरोध कर रहे हैं।

मणिपुर हिंसा: कब खत्म होगा ये संघर्ष?
मणिपुर की हिंसा ने राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया है। पहाड़ी इलाकों में कुकी समुदाय और मैदानी इलाकों में मैतेई समुदाय का वर्चस्व है। दोनों समुदाय एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं। राज्य सरकार और सुरक्षा एजेंसियां हालात को काबू में लाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन हर दिन नए हमले और हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं।

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