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Prashant Kishor Vs Yogendra Yadav: प्रशांत किशोर ने भविष्यवाणी की है कि भाजपा 2019 के लोकसभा प्रदर्शन को दोहराएगी। लेकिन खुद के दम पर 370 सीटें हासिल नहीं कर पाएगी। 400 सीटें भी नहीं पाएगी, जैसा पीएम मोदी और भाजपा/एनडीए के नेता दावा कर रहे हैं।

Prashant Kishor Vs Yogendra Yadav: देश में लोकसभा चुनाव अपने आखिरी पड़ाव पर पहुंच चुका है। आज, 25 मई को 8 राज्यों की 58 सीटों पर वोटिंग हो रही है। इसके बाद 1 जून को आखिरी फेज की वोटिंग और 4 जून को नतीजे आएंगे। लेकिन इससे पहले राजनीतिक विश्लेषकों के अपने दावे और रुझान हैं, जिन पर चर्चाओं का बाजार गर्म है। इस बीच राजनीतिक विश्लेषक प्रशांत किशोर ने 35 साल के तजुर्बेकार और चुनावी विशेषज्ञ योगेंद्र यादव के पूर्वानुमान के पक्ष में दिखे हैं। हालांकि दोनों ने भाजपा और एनडीए की सीटों को लेकर अलग-अलग भविष्यवाणी की है। हालांकि योगेंद्र यादव ने भी दावा किया कि भाजपा अपने सहयोगियों की मदद से तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाब होगी।

दोनों विश्लेषकों ने भविष्यवाणी में क्या किया दावा?
प्रशांत किशोर ने भविष्यवाणी की है कि भाजपा 2019 के लोकसभा प्रदर्शन को दोहराएगी। लेकिन खुद के दम पर 370 सीटें हासिल नहीं कर पाएगी। 400 सीटें भी नहीं पाएगी, जैसा पीएम मोदी और भाजपा/एनडीए के नेता दावा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा 270 के आंकड़े से नीचे भी नहीं जाएगी। बता दें कि सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को 272 के बहुमत के आंकड़े तक पहुंचना अनिवार्य है।

दूसरी ओर योगेन्द्र यादव ने भविष्यवाणी की कि भाजपा अकेले 260 से अधिक सीटों को पार नहीं कर पाएगी और 300 का आंकड़ा पार करना असंभव होगा। उनके सर्वेक्षण पूर्वानुमान ने यह भी सुझाव दिया कि भाजपा 275 या 250 सीटों से नीचे आ सकती है। यादव ने प्रशांत किशोर की उस भविष्यवाणी को दोहराया कि भाजपा का '400 पार' का दावा संभव नहीं होगा।

प्रशांत किशोर बोले- 4 जून को पता चल जाएगा
शुक्रवार (24 मई) को X पर प्रशांत किशोर ने योगेंद्र यादव के वीडियो का एक स्क्रीनशॉट पोस्ट किया। जिसमें योगेंद्र यादव ने अनुमान लगाया कि भाजपा 240 से 260 सीटें जीतेगी और उसके एनडीए सहयोगी 35 से 45 सीटें और बढ़ाएंगे, जिससे गठबंधन को 275 से 305 सीटें मिलेंगी।

इसके विपरीत योगेन्द्र यादव ने भविष्यवाणी की कि कांग्रेस 85 से 100 सीटें जीतेगी और उसके इंडिया ब्लॉक के सदस्यों को 120 से 135 सीटें मिलेंगी। जिससे विपक्ष के नेतृत्व वाले गठबंधन को 205 से 235 सीटें मिलेंगी।

प्रशांत किशोर ने अपने X पोस्ट में लिखा कि देश में सरकार बनाने के लिए 272 सीटों की आवश्यकता है और बीजेपी/एनडीए के पास निवर्तमान लोकसभा में 303/323 सीटें हैं। (शिवसेना ने एनडीए के हिस्से के रूप में 18 सीटें जीती थीं लेकिन अब उनके साथ नहीं है)। अब, आप निर्णय कर सकते हैं कि किसकी सरकार बन रही है, आपको 4 जून को पता चल जाएगा कि कौन किसके बारे में बात कर रहा है।

प्रशांत किशोर ने कहा था- मोदी के खिलाफ लोगों में गुस्सा नहीं
मंगलवार (21 मई) को इंडिया टुडे टीवी के साथ इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने भाजपा के सीट शेयरों की भविष्यवाणी की और कहा कि पीएम मोदी के खिलाफ लोगों में कोई व्यापक गुस्सा नहीं है। उन्होंने यह भी दावा किया कि भाजपा को उत्तर और पश्चिम में कोई बड़ा झटका नहीं लग रहा है, जबकि दक्षिण और पूर्व में इसकी सीटें बढ़ेंगी। 

वहीं, योगेन्द्र यादव ने विपक्ष के नेतृत्व वाले INDI गुट पर एक दिलचस्प टिप्पणी की। उन्होंने दावा किया कि INDI गठबंधन के एनडीए से आगे निकलने की संभावना हो सकती है। उन्होंने कहा कि अगर आने वाले दिनों में एनडीए के दो गढ़ उत्तर प्रदेश और बिहार में कुछ बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल होती है, तो INDI ब्लॉक के लिए एनडीए से आगे निकलने का मौका हो सकता है। 

केरल से लेकर ओडिशा तक योगेंद्र का यह अनुमान
योगेन्द्र यादव ने केरल से लेकर ओडिशा तक वोटों और सीटों दोनों में भाजपा को लाभ मिलने की भविष्यवाणी की। हालांकि, उन्होंने कहा कि लाभ उतना बड़ा नहीं होगा, जितना भाजपा उम्मीद कर रही है। यादव की भविष्यवाणियों के अनुसार, दक्षिण भारत में (कर्नाटक को छोड़कर) भाजपा की सीट हिस्सेदारी में 13 सीटों का इजाफा होगा और उसके सहयोगियों को 14 सीटें और मिलेंगी। योगेन्द्र यादव ने भविष्यवाणी की कि अधिकांश दक्षिण भारतीय क्षेत्रों और ओडिशा में 13 सीटों की वृद्धि देखने के बावजूद, भाजपा को कर्नाटक में इतना ही नुकसान होगा। उन्होंने भविष्यवाणी की कि दक्षिणी राज्य में भाजपा की 25 सीटों में से- जहां कांग्रेस सत्तारूढ़ पार्टी है, एनडीए 12 से अधिक सीटें नहीं जीत पाएगा, इस प्रकार पार्टी 13 सीटें खो देगी। बंगाल में भाजपा को न तो लाभ हो रहा है न ही बड़ा नुकसान हो रहा है। 

योंगेंद्र यादव ने आगे भविष्यवाणी की कि पूर्वोत्तर में जहां भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया था, खासकर असम में, पार्टी की सीटों की बढ़त में कोई उछाल नहीं आएगा और यह अभी जहां है वहीं बनी रहेगी। 

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