Republic Day: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए भारत की प्रगति और संविधान की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को याद करते हुए लोकतंत्र और एकता के आदर्शों को सशक्त करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
राष्ट्रपति ने अपने भाषण में कहा कि पिछले 75 वर्षों में हमारे संविधान ने एक युवा गणराज्य को सर्वांगीण प्रगति की ओर अग्रसर किया है। स्वतंत्रता के समय और उसके बाद भी, देश के बड़े हिस्से ने गरीबी और भूख का सामना किया। लेकिन हमारे पास जो सबसे बड़ा बल था, वह था आत्मविश्वास। हमने ऐसे हालात बनाए, जिसमें हर किसी को अपनी क्षमताओं को निखारने का अवसर मिले।
भारत की आर्थिक प्रगति पर विशेष जोर
उन्होंने किसानों और श्रमिकों के अथक परिश्रम को सराहते हुए कहा कि उनके प्रयासों की बदौलत देश खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बना और हमारे बुनियादी ढांचे व विनिर्माण क्षेत्र का कायाकल्प हुआ। उन्होंने कहा, "आज भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक आर्थिक रुझानों को प्रभावित कर रही है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत नेतृत्वकारी भूमिका निभा रहा है। यह परिवर्तन हमारे संविधान द्वारा तय किए गए मार्गदर्शन के बिना संभव नहीं था।"
LIVE: President Droupadi Murmu's Address to the Nation on the eve of the 76th Republic Day https://t.co/kFBgdbIW5a
— President of India (@rashtrapatibhvn) January 25, 2025
स्वतंत्रता सेनानियों को दी श्रद्धांजलि
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया और कहा कि आज हमें सबसे पहले उन वीर आत्माओं को याद करना चाहिए जिन्होंने मातृभूमि को विदेशी शासन से मुक्त कराने के लिए महान बलिदान दिए। कुछ के नाम जग प्रसिद्ध हैं, तो कुछ को अब जाकर सही पहचान मिल रही है।
उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती का जिक्र करते हुए उन्हें और अन्य गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी।
संविधान और लोकतंत्र के आदर्श
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि महात्मा गांधी, रवींद्रनाथ टैगोर और डॉ. भीमराव अंबेडकर जैसे महान नेताओं ने भारत को लोकतांत्रिक मूल्यों की ओर अग्रसर किया।
उन्होंने कहा कि न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व जैसे आदर्श केवल आधुनिक समय की अवधारणाएं नहीं हैं; वे हमारी सभ्यता की प्राचीन धरोहर का हिस्सा हैं।
राष्ट्रपति का संदेश
राष्ट्रपति ने अपने संदेश के अंत में कहा कि भारत का संविधान न केवल हमारे अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि यह एक ऐसा मार्गदर्शक भी है जो हमें वैश्विक पटल पर गौरव दिलाता है।