Patanjali Misleading Advertisements Case: पतंजलि भ्रामक विज्ञापन केस और कोविड 19 के इलाज के दावों के संबंध में अवमानना मामले की मंगलवार, 16 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच के सामने बाबा रामदेव और बालकृष्ण तीसरी बार पेश हुए और तीसरी बार अदालत से माफी मांगी।
दूसरों को खराब क्यों कह रहे?
बेंच ने बाबा रामदेव और बालकृष्ण को आगे बुलाया और कहा कि आपने योग के लिए जो किया है, हम उसका सम्मान करते हैं। लेकिन आपने ये जो बयान दिए हैं-परम आदरणीय जज साहिबा महोदय। अनकंडीशनली जो भी हमसे हुआ, हम अपोलोजाइज किए हैं। आपके क्या सोचा था कि आप प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और एडवरटाइज करेंगे। लोग सिर्फ एलोपैथी नहीं, घरेलू नुस्खे भी इस्तेमाल कर रहे हैं। आप अपनी पद्धतियों के लिए दूसरों को खराब और रद्द करने को क्यों कह रहे हैं।
सार्वजनिक माफी मांगने को तैयार
बाबा रामदेव और बालकृष्ण, दोनों ने कहा है कि वे सार्वजनिक माफी मांगने को तैयार हैं। रामदेव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा गिराना उनका कभी इरादा नहीं था। आयुर्वेद को रिसर्च बेस्ड एविडेंस के लिए तथ्य पर लाने के लिए पतंजलि ने प्रयास किए हैं। आगे से इसके प्रति जागरुक रहूंगा। काम के उत्साह में ऐसा हो गया। आगे से ऐसा नहीं होगा। इस पर कोर्ट ने कहा कि आप इतने भी मासूम नहीं हैं।
Supreme Court posts Patanjali’s misleading advertisements case for hearing on April 23.
— ANI (@ANI) April 16, 2024
They have to be present on the next date of hearing. https://t.co/uQx4CaRSr0
23 अप्रैल को फिर से होगी बाबा रामदेव की पेशी
अदालत ने कहा कि हमने अभी यह तय नहीं किया है कि आपको माफ किया जाए या नहीं। आपने तीन बार उल्लंघन किया है। पहले के आदेश हमारे विचाराधीन हैं। आप इतने निर्दोष नहीं हैं कि आपको पता नहीं चले कि अदालत में क्या हो रहा है। अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी। रामदेव और बालकृष्ण को फिर से अदालत में पेश होने को कहा गया है।
कोर्ट के बाहर मीडिया से बात करते हुए रामदेव ने कहा कि मुझे जो कहना था, मैंने कह दिया है। मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है।
दो बार माफीनामा हो चुकी खारिज
अदालत ने इससे पहले पहले बाबा रामदेव और बालकृष्ण का दो बार माफीनामा खारिज कर दिया था। कहा था कि अदालत में माफीनामा देने से पहले उसे मीडिया को भेजे गए। जस्टिस हिमा कोहली ने पिछले हफ्ते सुनवाई के दौरान कहा था कि जब तक मामला अदालत में नहीं पहुंचा, अवमाननाकर्ताओं ने हमें हलफनामा भेजना उचित नहीं समझा। वे स्पष्ट रूप से प्रचार में विश्वास करते हैं।
जस्टित अमानतुल्लाह ने सख्त लहजे में कहा था कि माफी मांगना पर्याप्त नहीं है। आपको अदालत के आदेश का उल्लंघन करने के परिणाम भुगतने होंगे।
2021 में बाबा रामदेव ने लॉन्च की थी कोरोनिल दवा
दरअसल, यह पूरा मामला कोविड काल का है। पतंजलि ने 2021 में एक दवा कोरोनिल लॉन्च की थी। बाबा रामदेव ने इसे कोविड-19 के लिए पहली साक्ष्य-आधारित और डब्ल्यूएचओ प्रमाणित दवा बताया था। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इसका विरोध किया। इस बीच रामदेव का एक वीडियो सामने आया, जिसमें उन्हें यह कहते हुए सुना गया कि एलोपैथी एक बेवकूफी और दिवालिया विज्ञान है। उन्होंने कहा कि कोई भी आधुनिक दवा कोविड का इलाज नहीं कर रही है।
इसके बाद आईएमए ने रामदेव को कानूनी नोटिस भेजा और माफी मांगने और बयान वापस लेने की मांग की। पतंजलि योगपीठ ने जवाब दिया कि रामदेव एक व्हाट्सएप संदेश पढ़ रहे थे और उनके मन में आधुनिक विज्ञान के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है।
अगस्त 2022 में एलोपैथी के खिलाफ छपवाया विज्ञापन
अगस्त 2022 में आईएमए ने समाचार पत्रों में 'एलोपैथी द्वारा फैलाई गई गलतफहमी: फार्मा और मेडिकल उद्योग द्वारा फैलाई गई गलत धारणाओं से खुद को और देश को बचाएं' शीर्षक से एक विज्ञापन प्रकाशित करने के बाद पतंजलि के खिलाफ एक याचिका दायर की। विज्ञापन में दावा किया गया कि पतंजलि की दवाओं से लोगों को मधुमेह, उच्च रक्तचाप, थायराइड, लीवर सिरोसिस, गठिया और अस्थमा ठीक हो गया है।
21 नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को भ्रामक विज्ञापन के लिए चेतावनी दी। साथ ही जुर्माना लगाने की भी बात कही। पतंजलि के वकील ने तब आश्वासन दिया था कि अब से किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं होगा। लेकिन इस साल 15 जनवरी को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को एक गुमनाम पत्र मिला, जिसमें पतंजलि द्वारा लगातार जारी किए जा रहे भ्रामक विज्ञापनों का जिक्र किया गया है।
आईएमए के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने अदालत को 21 नवंबर, 2023 की चेतावनी के बाद के अखबारों के विज्ञापन और अदालत की सुनवाई के ठीक बाद रामदेव और बालकृष्ण की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को दिखाया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी से जवाब मांगा कि क्यों न अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए। अदालत ने कहा कि देश को धोखा दिया जा रहा है और सरकार अपनी आंखें बंद करके बैठी है।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी कड़ी फटकार
19 मार्च को कोर्ट को बताया गया कि पतंजलि ने अवमानना नोटिस का जवाब दाखिल नहीं किया है। इसके बाद अदालत ने रामदेव और बालकृष्ण को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा। अदालत ने 2 अप्रैल की सुनवाई में भ्रामक विज्ञापनों पर उचित हलफनामा दायर नहीं करने पर रामदेव और बालकृष्ण को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने उनसे कहा कि वे कार्रवाई के लिए तैयार रहें।
माफी के इस सेट को सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल को खारिज कर दिया था क्योंकि अदालत ने कहा था कि उन्हें पहले मीडिया को भेजा गया था।