Waqf Amendment Bill: विपक्षी सांसदों ने सोमवार, 14 अक्टूबर को वक्फ संशोधन बिल पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की बैठक का बहिष्कार किया। सांसदों ने आरोप लगाया कि कर्नाटक राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष और कर्नाटक अल्पसंख्यक विकास निगम के प्रमुख अनवर मणिप्पडी की प्रस्तुति वक्फ बिल से संबंधित नहीं थी।
विपक्षी सांसदों ने समिति पर लगाए गंभीर आरोप
विपक्षी सांसदों ने समिति पर सिद्धांतों और नियमों का पालन नहीं करने आरोप लगाया है। विपक्ष का कहना है कि अनवर मणिप्पडी ने बैठक के दौरान कर्नाटक सरकार और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर अनावश्यक आरोप लगाए, जो समिति की मर्यादा और नियमों के अनुरूप नहीं थे।
लोकसभा अध्यक्ष से मिलेंगे विपक्षी सांसद
विपक्षी सांसदों ने तय किया है कि वे अपने सभी मुद्दों को लेकर लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात करेंगे और वक्फ संशोधन बिल पर जेपीसी में हो रही अनियमितताओं पर चर्चा करेंगे। शिवसेना (UBT) के सांसद सावंत ने कहा, "हमने बहिष्कार इसलिए किया क्योंकि समिति सिद्धांतों और नियमों का पालन नहीं कर रही है।"
VIDEO | "We are boycotting the meeting because they are not functioning ethically. Principally, they are wrong," says Shiv Sena (UBT) leader Arvind Sawant (@AGSawant) on opposition members boycotting meeting of Joint Parliamentary Committee on Waqf Amendment bill.
— Press Trust of India (@PTI_News) October 14, 2024
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वक्फ संशोधन बिल पर देशभर में चर्चा
संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने 8 अगस्त को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) बिल, 2024 पेश किया था। विपक्षी सांसदों ने इस बिल को मुस्लिमों के खिलाफ बताया था। भारी विरोध के बीच लोकसभा में बिना किसी चर्चा के इस बिल को जेपीसी को भेज दिया गया था।
वक्फ संशोधन बिल का उद्देश्य वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन करना है। जिससे देश भर में 600,000 से अधिक पंजीकृत वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाया जा सके। बिल में डिजिटलीकरण, सख्त ऑडिट, पारदर्शिता और अवैध रूप से कब्जा की गई संपत्तियों को वापस लेने के लिए कानूनी तंत्र की शुरुआत की बात गई है।
समिति लोकसभा के अगले सत्र में पेश करेगी रिपोर्ट
जेपीसी इस मुद्दे पर विभिन्न हितधारकों के साथ चर्चा कर रही है, जिसका उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 में आवश्यक संशोधन करना है। समिति को अपनी रिपोर्ट संसद के अगले सत्र के पहले सप्ताह के अंत तक लोकसभा में पेश करनी है।