Why Christmas Tree is decorated: क्रिसमस के मौके पर सबसे आकर्षण केंद्र  क्रिसमस ट्री होते हैं। हर जगह सए जाने वाले इस लचीले शाखों वाले पौधों का इस त्योहार में खास महत्व है। क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा उत्सव के आने का प्रतीक है। यह एक लोकप्रिय रिवाज है जो क्रिसमस के दौरान एकजुटता, खुशी बांटने साझा करने के लिए निभाया जाता है। दुनिया भर में क्रिसमस को लेकर इन पेड़ों की बेहतरीन सजावट की जाती है। आइए जानते हैं उत्सव पर सजाए जाने वाले इस पौधे की कुछ खास बातें। 

क्रिसमस ट्री को सजाने के पीछे का इतिहास क्या है?
यह प्रथा 16वीं सदी में जर्मनी से शुरू होने की बात कही जाती है। शुरुआत में सर्दियों के मौसम आने और क्रिस शीतकालीन संक्रांति उत्सव के दौरान सदाबहार पेड़ों को फलों, मेवों और मोमबत्तियों से सजाया जाता था। यह समय के साथ विकसित हुआ। इसके बाद लोग धीरे-धीरे क्रिसमस समारोह के दौरान इस पौधे को घर के अंदर लाने लगे। इसे सजाने के लिए दूसरी सजावटी चीजों का इस्तेमाल किया जाने लगा। इसाई धर्म में क्रिसमस ट्री को स्वर्ग का पौधा माना जाता है। यही वजह है कि इसे पवित्र मानकर सजाया जाता है। 

कब लोकप्रिय हुआ क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा?
19वीं शताब्दी में एक अखबार में महारानी विक्टोरिया और प्रिंस अल्बर्ट की एक तस्वीर दुनिया भर में चर्चा का विषय बनी। इसमें वह एक बेहतरीन ढंग से सजाए गए एक क्रिसमस ट्री के पास खड़े थे। इससे पौधों को सजाने की इस परंपरा को दुनियभर में लोकप्रियता मिली। इस तस्वीर ने क्रिसमस ट्री परंपरा को जनता के बीच फैशनेबल बना दिया। दुनिया भर में लोगों ने क्रिसमस के मौके पर क्रिसमस ट्री को नए-नए ढ़ंग से सजाने की शुरुआत की।

क्रिसमस ट्री की वह तस्वीर जिसने इसे दुनिया भर मे लोकप्रिय बनाया (बाएं), मौजूदा समय का क्रिसमस ट्री (दाएं)।

क्रिसमस ट्री से जुड़े तीन महत्वूपर्ण फैक्ट्स:

  • 16वीं शताब्दी तक, प्रोटेस्टेंट के सुधार उपायों के कारण क्रिसमस के रीति-रिवाजों में बदलाव आया। कुछ जर्मन ईसाइयों ने इस पौधों के स्वर्ग से आने की मान्यता को अपनाया और इसे अपने घरों में सजाया।
  • कहां दिखा था पर पहला सजा क्रिसमस ट्री : सबसे पहली बार क्रिसमस पर 16वीं सदी में फ्रंस के स्ट्रासबर्ग में सजाने का रिकॉर्ड मिलता है। इसके बाद धीरे-धीरे पूरी दुनिया में इसे सजाया जाने लगा। 
  • 18वीं सदी के मध्य तक, क्रिसमस ट्री छुट्टियों के उत्सव का एक अहम हिस्सा बन गया। इसे क्रिसमस की खुशी जाहिर करने और पारिवारिक एकजुटता के प्रतीक के रूप में जाना जाने लगा

पहले कैसे सजाए जाते थे क्रिसमस ट्री
क्रिसमस ट्री को सजाने के लिए मौजूदा समय में कई तरह के चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि शुरुआत में  इन्हें मोमबत्तियाें, फल, सूखे मेवे और हाथ से बनाए गए गहनों से सजाया जाता था।  मौजूदा समय में इस सजाने के लिए रंग बिरंगी रोशनी, रंगीन आभूषण, टिनसेल, रिबन और चमकते सितारे और देवदूत की आकृति का इस्तेमाल होता है।  पहले इसे क्रिसमस उत्सव के एक दिन पहले 24 दिसंबर को एडम और ईव डे मौके पर सजाया जाता है। 

क्रिसमस टी के सजावटों का क्या है प्रतीकात्मक अर्थ?(Why Christmas Tree is decorated)
क्रिसमट ट्री को सजाने के लिए जिन चीजों का इस्तेमाल होता है वे सभी किसी न किसी चीज का प्रतीक हैं। रोशनी आशा का प्रतीक है। सितारा या एंजेल टॉपर बुद्धिमान पुरुषों का मार्गदर्शन करने वाले बेथलहम के सितारे का प्रतीक है। वहीं पौधों पर भावानात्मक मूल्यों के प्रतीक के तौर पर गहने सजाए जाते हैं। यह जीवन की यादों या अहम घटनाओं का प्रतीक होते हैं।

क्या है क्रिसमस ट्री की अहमियत?
यह सदाबहार पेड़ लचीलेपन और जीवन का प्रतीक है। यह भीषण सर्दियों में भी जीवित रह सकते हैं। जब दूसरे पौधों की शाखों से पत्ते झड़ जाते हैं तब इस पौधे पर नई पत्तियां आती हैं। यह वसंत के आने का  संकेत देता है। क्रिसमस ट्री के इस विशेष गुण को जीवन के मुश्किल दाैर में भी चलते रहने के संदेश से जोड़ा जाता है। हालांकि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में इसको लेकर मान्यताओं में भी अंतर दिखता है। 

मौजूदा समय में कितना अहम यह पारंपरिक पौधा?
मौजूदा समय में क्रिसमस ट्री का महत्व पहले से भी ज्यादा बढ़ गया है। पहले बस त्योहार के दौरान निभाई जाने वाली एक परंपरा के तौर पर देखा जाता था।आज, क्रिसमस ट्री छुट्टियों के मौसम आने का प्रतीक बन गया है। अब इसाई धर्म को मानने वाले परिवार क्रिसमस पर इस पौधे के चाराे ओर एकजुट होते हैं। एक दूसरे को गिफ्ट देते हैं। खुशियां मनाते हैं। इसके साथ ही यह इतना लोकप्रिय हो चुका है कि दूसरे धर्मों के लोग भी इसे सजाने लगे हैं। यह दुनिया भर के लोगों को एकजुट करने का काम करता है।