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Opinion: रेवेन्यू बजट से तीनों सेनाओं का वेतन बांटा जाता है जो बजट का बड़ा हिस्सा होता है। इसके अलावा एक्स सर्विसमैन की हेल्थ स्कीम, मेंटिनेंस व रिपेयरिंग का खर्च भी इसी बजट से किया जाता है। इसलिए रेवेन्यू बजट का हिस्सा कुल रक्षा बजट का लगभग 45 प्रतिशत है। यह पिछले साल के मुकाबले 12652 करोड़ रुपए ज्यादा है।

Opinion:  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 23 जुलाई को आम बजट पेश करते हुए रक्षा बजट का कुल हिस्सा 621940.85 करोड़ रुपए दिए जाने का प्रावधान किया है। यह धनराशि 2024-25 के कुल वित्त बजट का 12.90 प्रतिशत के लगभग है। इससे पहले 2023-24 के आम बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए 593537.64 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे, जो 2022-23 की तुलना में 69000 करोड़ रुपए ज्यादा थे।

रक्षा चुनौतियां ज्यादा
इस हिसाब से यह वृद्धि 13 प्रतिशत के लगभग थी। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष मात्र 28403.21 करोड़ रुपए की वृद्धि की गई। यह बढोत्तरी 4.78 प्रतिशत है जो कि काफी कम है क्योंकि रक्षा चुनौतियां ज्यादा हैं। इसके साथ ही सीमा पर चल रही सामरिक चुनौतियों का दीर्घकालिक समाधान निकालने के लिए सैन्य साजो सामान के निर्माण में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए विशेष जोर दिया गया है। तीनों सेनाओं के हथियार एवं अन्य उपकरणों में आत्मनिर्भर होने का प्रोत्साहन देने की प्रतिबद्धता जता कर घरेलू रक्षा उद्योग से खरीद के लिए आगे बढ़ना है। रक्षा बजट में आवंटित धनराशि को चार भागों में विभक्त किया जाता है। इसमें नागरिक, राजस्व, पूंजीगत खर्च और पेंशन निर्धारित है।

नागरिक बजट के हिस्से में 25963 करोड़ रुपए दिए गए हैं जिसमें बार्डर रोड आर्गनाइजेशन, ट्रिब्यूनल सहित सड़क व अन्य विकास कार्य किए जाते हैं। रेवेन्यू बजट के लिए 282772 करोड़ रुपए रखे गए हैं। रेवेन्यू बजट से तीनों सेनाओं का वेतन बांटा जाता है जो बजट का बड़ा हिस्सा होता है। इसके अलावा एक्स सर्विसमैन की हेल्थ स्कीम, मेंटिनेंस व रिपेयरिंग का खर्च भी इसी बजट से किया जाता है। इसलिए रेवेन्यू बजट का हिस्सा कुल रक्षा बजट का लगभग 45 प्रतिशत है। यह पिछले साल के मुकाबले 12652 करोड़ रुपए ज्यादा है।

सड़क व अन्य विकास कार्य
रक्षा बजट में आवंटित धनराशि को चार भागों में विभक्त किया जाता है। इसमें नागरिक, राजस्व, पूंजीगत खर्च और पेंशन निर्धारित है। नागरिक बजट के हिस्से में 25963 करोड़ रुपए दिए गए हैं जिसमें बार्डर रोड आर्गनाइजेशन, ट्रिब्यूनल सहित सड़क व अन्य विकास कार्य किए जाते हैं। रेवेन्यू बजट के लिए 282772 करोड़ रुपए रखे गए हैं। रेवेन्यू बजट से तीनों सेनाओं का वेतन बांटा जाता है जो बजट का बड़ा हिस्सा होता है। इसके अलावा एक्स सर्विसमैन की हेल्थ स्कीम, मेंटिनेंस व रिपेयरिंग का खर्च भी इसी बजट से किया जाता है। इसलिए रेवेन्यू बजट का हिस्सा कुल रक्षा बजट का लगभग 45 प्रतिशत है। यह पिछले साल के मुकाबले 12652 करोड़ रुपए ज्यादा है।

रक्षा बजट में पूंजीगत व्यय के लिए 1,72,000 करोड़ रुपए अलग रखे हैं जिनमें नए हथियार, विमान, युद्धपोत और अन्य साजो सामान की खरीद शामिल हैं। यह पिछले साल के मुकाबले 9400 करोड़ रुपए ज्यादा है यानि कि 5.7 प्रतिशत का इजाफा किया गया है। यह धनराशि कुल रक्षा बजट का 27.6 प्रतिशत है। इस धनराशि से एयरक्राफ्ट, एयरोइंजन उपकरण, भारी और मध्यम श्रेणी के सैन्य वाहन, नए आधुनिक हथियार तथा गोला-बारूद खरीदा जाएगा। यही नहीं अन्य तकनीकी सैन्य उपकरणों की खरीद से सेनाओं को सुसज्जित किया जाएगा। इस साल सेना के लिए स्पेशल रेलवे वैगन खरीदे जाने की योजना है। वायु सेना के लिए लड़ाकू आधुनिक विमानों व नए अन्य उपकरणों के खरीदे जाने की संभावना है।

सेवानिवृत्त सैनिकों की पेंशन
इसी तरह नौसेना को मजबूती प्रदान करने के लिए नए नेवल डॉकयार्ड प्रोजेक्ट शुरू किए जाने की योजना है। पेंशन के लिए बजट में 141205 करोड़ रुपए रखे गए हैं। यह धनराशि कुल रक्षा बजट का 22.7 प्रतिशत है। वर्ष 2023-24 में यह धनराशि 1.38 करोड़ रुपए थी। इस तरह इस मद में लगभग 3000 करोड़ रुपए की बढ़ोत्तरी की गई है। इस बजट में तीनों सेनाओं के सेवानिवृत्त सैनिकों की पेंशन व अन्य मिलने वाले लाभ शामिल होते है। विदित हो कि देश में तीनों सेनाओं के सेवानिवृत्त सैनिकों की संख्या तकरीबन 26 लाख है जिसमें सबसे ज्यादा जवान थलसेना के हैं।

पिछले वर्ष की तुलना में भारत की रक्षा चुनौतियां काफी बढ़ गई हैं। भारत के पुराने प्रतिद्वंद्वी चीन के साथ एलएसी पर तनाव चलते हुए काफी दिन हो चुके हैं। पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में सीमाओं पर चीनी सैन्य अतिक्रमण और रोबोट सेना की तैनाती के प्रयास इसके प्रमुख उदाहरण हैं। लद्दाख में चीन की चुनौती को देखते हुए तकरीबन 50000 सैनिकों की तैनाती की जा चुकी है। इसके अलावा वहां पर टैंकों, विमानों एवं मिसाइलों की तैनाती कर दी गई है, जिससे कभी भी युद्ध की स्थिति से निपटा जा सके। ऐसे में और अधिक रक्षा बजट की आवश्यकता थी।

भारत को चुनौतियां मिल रही
पाकिस्तान की तरफ से लगातार अघोषित युद्ध जारी है। वह आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराता है तथा आतंकवादियों को पाल पोसकर उन्हें भारत भेजता है ताकि भारत की तरक्की की रफ्तार को रोका जा सके। इसके अलावा समुद्र की तरफ से भी भारत को चुनौतियां मिल रही हैं। चीन की समुद्री क्षेत्र में बढ़ती आक्रामकता को देखते हुए भारतीय नौसेना के सामने हिंद महासागर से लेकर अरब सागर तक चुनौतियां काफी बढ़ गई हैं। जिसके लिए नौसेना युद्ध समूहों के गठन और नौसेना की एयर विंग को मजबूत करना परम आवश्यक हो गया है।

हिन्द महासागर में उभरते खतरों को देखते हुए तथा पाक व चीन सीमा पर चुनौतियों के मद्देनजर नौसेना, वायुसेना तथा थल सेना के लिए आवंटित धनराशि कम ही है। पाकिस्तान व चीन सहित विश्व के अनेक देश भारत की तुलना में सुरक्षा पर अधिक धन खर्च कर रहे हैं। ऐसे में सीमा पर तनाव को देखते हुए सैन्य साजो सामान की विषेश आवश्यकता थी। चीन सीमा के नजदीक आवागमन सुलभ बनाने हेतु सड़कों के विकास के लिए सीमा सड़क संगठन को 6500 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं जो पिछले बजट की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा है। सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचागत विकास कार्यों में तेजी आएगी।

तकनीकी विकास के लिए भी अधिक धन
स्टार्टअप, नवाचार और छोटी इकाइयों को तकनीकी मदद के लिए आईडेक्स योजना के तहत 518 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है जिससे विकास कार्यों में मदद मिलेगी और देश उत्कृष्टता व आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ सकेगा। रक्षा क्षेत्र में तकनीकी विकास के लिए भी अधिक धन की जरूरत थी। वर्तमान सैन्य चुनौतियों को देखते हुए पुराने हो चुके हथियारों एवं उपकरणों से सेनाओं को छुटकारा दिलाकर आवश्यक नवीनतम हथियारों से सेनाओं को लैस करना, सैन्य आधुनिकीकरण व नवीनतम युद्ध कला से सेनाओं को सुसज्जित करना हमारी प्राथमिकता हो चुकी है।

इन सबके अलावा साइबर, हाईटेक युद्ध पद्धति एवं नेटवर्क केंद्रित युद्ध पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। यहां गौरतलब बात यह है कि हमें नए परिवेश को ध्यान में रखकर परम्परागत लड़ाई के साथ-साथ साइबर युद्धों की भी तैयारियां कर लेनी चाहिए। जो देश इसमें पीछे रह गए वे नुकसान भी उठा सकते हैं, क्योंकि हम जिन हथियारों की तैयारी में लगे हैं भविष्य में शायद उनकी जरूरत कम ही पड़े और यौद्धिक संक्रियाओं का रुख नवीन युद्ध प्रणालियों की तरफ बढ़ जाए। ऐसे मे रक्षा बजट में इन तैयारियों के लिए भी बजट निर्धारित किया जाना चाहिए था।

महत्वाकांक्षी योजना एकीकृत कमान
यद्यपि हमारी सेनाएं इन युद्धों के प्रति तैयार हैं लेकिन अलग से तैयारी करना इस क्षेत्र में हमें और मजबूती प्रदान करेगा। सेनाओं की आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में एक प्रमुख महत्वाकांक्षी योजना एकीकृत कमान की है, जो अभी पूरी नहीं हुई है। सरकार थल सेना, नौसेना एवं वायु सेना की क्षमताओं को एकीकृत करना चाहती है। इसे वर्तमान 17 एकल सेवा इकाइयों को पांच थियेटर कमांड के तहत लाया जाना है जिससे युद्धों से निपटने में एकीकृत समन्वय स्थापित किया जा सके।
डॉ. एल.एस. यादव: (लेखक सैन्य विज्ञान के प्रोफेसर रहे हैं, ये उनके अपने विचार हैं।)

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