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Opinion: इजराइल के समर्थक अमेरिका की कूटनीतिक सलाह की उपेक्षा करना इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को भविष्य में काफी भारी पड़ सकता है। अमेरिका द्वारा ही इजराइल को आधुनिकतम अख-शख उपलब्ध कराए जाते रहे हैं। रफहा पर आक्रमण नहीं करने के अतिरिक्त अमेरिका ने इजराइली हुकूमत को लेबनान में सक्रिय हिजबुल्ला तंजीम से भी युद्ध नहीं करने की भी सलाह दी थी।

Opinion: इजराइली सेना द्वारा फिलिस्तीन तंजीम हमास के विरुद्ध प्रारंभ की गई सैन्य कार्रवाई को 7 महीने से अधिक वक्त बीत चुका है। अपनी समस्त सैन्य क्षमता के बावजूद इजराइल की सेना अभी तक हमास की ताकत को पूरी तरह से नेस्तनाबूद नहीं कर पाई है। गाजा पट्टी के बाद इजराइली सेना ने फिलिस्तीन के इलाके रफहा पर अपनी आक्रामक सैन्य कार्यवाही प्रारंभ कर दी है। रफहा में शुरू की गई इजराइल की सैन्य कार्रवाई का प्रबल विरोध अमेरिका द्वारा किया गया। इजराइल के समर्थक अमेरिका की कूटनीतिक सलाह की उपेक्षा करना इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को भविष्य में काफी भारी पड़ सकता है।

हथियारों की आपूर्ति तत्काल रोक
उल्लेखनीय है कि अमेरिका द्वारा ही इजराइल को आधुनिकतम अख-शख उपलब्ध कराए जाते रहे हैं। रफहा पर आक्रमण नहीं करने के अतिरिक्त अमेरिका ने इजराइली हुकूमत को लेबनान में सक्रिय हिजबुल्ला तंजीम से भी युद्ध नहीं करने की भी सलाह दी थी। अमेरिका द्वारा दी गई इन दोनों महत्वपूर्ण कूटनीतिक सलाहों को अस्वीकार करके इजराइल के प्रधानमंत्री ने इजराइल को दुनिया के पटल पर अलग-थलग करने की बाकायदा शुरूआत कर दी है। अमेरिकन राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजराइल सरकार से कहा है कि अमेरिका द्वारा इजराइली सेना को हथियारों की आपूर्ति तत्काल रोक दी जाएगी। यदि वास्तव में ही अमेरिका द्वारा इजराइल को आधुनिकतम हथियार नहीं प्रदान किए गए तो फिर इजराइल के लिए चौतरफा सैन्य दुश्मनों से अकेले मुकाबला करना बहुत दुश्वार हो जाएगा।

सलाह अमेरिका ने इजराइल को दी
उल्लेखनीय है कि इजराइली सेना इन दिनों हमास तंजीम से जूझ रही है। लेबनान की ईरान द्वारा समर्थित हिजबुल्ला तंजीम से सैन्य मुकाबला कर रही है। यमन के हृती आक्रमणकारियों का सामना कर रही है। सीरिया और इराक्त में विद्यमान फिलिस्तीन समर्थक छापामारों के हमलों को भी झेल रही है। भविष्य में इजराइल को तालिबान के दुर्दात लड़ाकू का भी मुकाबला करना है। हिजबुल्ला तंजीम के विरुद्ध युद्ध नहीं शुरू करने के लिए जो सलाह अमेरिका ने इजराइल को दी थी इसके पीछे सबसे बड़ा कारण था कि अमेरिका की ताकत को बहुत अच्छी तरह से अनुमान लग रहा है। अमेरिका के सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि इजराइल का हिजबुल्ला के साथ युद्ध शुरू होने का मतलब यह होगा कि पूरा का पूरा उत्तरी इजराइल तबाह कर दिया जाएगा।

अमेरिकी कूटनीतिज्ञों का सटीक अंदाजा
7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इजराइल पर अचानक किए गए आक्रमण से प्रारंभ हुए इस युद्ध की व्यापकता का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। रूस बनाम यूक्रेन युद्ध में उलझा अमेरिका कदापि नहीं चाहता कि उसके लिए युद्ध का मध्य पूर्व में एक और बड़े युद्ध का मोर्चा खुल जाए। अमेरिकी कूटनीतिज्ञों का सटीक अंदाजा है कि रफहा में इजराइल द्वारा किया गया आक्रमण इस बर्बर युद्ध को वस्तुतः और अधिक विस्तार प्रदान कर देगा, इसीलिए बाइडेन ने इजराइली हुकूमत को यह सलाह दी थी कि उसको रफहा पर आक्रमण नहीं करना चाहिए और ना ही हिजबुल्ला के साथ युद्ध में कदाचित उलझना चाहिए। कहीं ऐसा ना हो जाए कि अमेरिका द्वारा इजराइल हुकूमत को हथियार उपलब्ध नहीं कराए जाने को कूटनीतिक धमकी को वास्तव में अमेरिका द्वारा कोई पहना दिया जाए। ऐसी स्थिति में इजराइल चौतरफा आक्रामक हालात में फंस जाएगा। वास्तव में स्वयं भी वियतनाम में और अफगानिस्तान में दीर्घकालीन गोरिल्ला युद्ध में परास्त होकर एक कटु चुका है। अमेरिका नहीं चाहता कि उसका इजराइल उसकी तरह किसी दीर्घकालीन में फंस बैठे। इजराइली हुकूमत अमेरिकन निरंतर दरकिनार करती रही है। वर्ष 1948 में से लेकर आज तक इजराइल किसी युद्ध पराजित नहीं हुआ है। इजराइल ने सन 1967 के युद्ध में अरब देशों को बुरी तरह पराजित किया था।

पीएलओ लोडर यासर अराफत के मध्य ओस्लो समझौता
इसके बाद 1973 में इजिप्ट के तत्कालीन राष्ट्रपति अनवर सादत ने इजराइल द्वारा हथियाई गई अपनी जमीन वापस लेने के लिए एक समझौता किया। जॉर्डन के शाह ने भी अपने घुटने इजराइल के सामने टेक दिए थे। वासर अराफत के नेतृत्व में एक दीर्घकालीन गोरिल्ला युद्ध इजराइल के विरुद्ध फिलिस्तीन लिबरेशन आर्मी -पीएलओ द्वारा लड़ा गया। पीएलओ के दीर्घकालीन संघर्ष का परिणाम निकला कि सन 1993 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जिमी कार्टर के नेतृत्व में इजराइली पीएम इजाकरॉबिन और पीएलओ लोडर यासर अराफत के मध्य ओस्लो समझौता हुआ, जिसके तहत वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में फिलिस्तीन को स्वायत्तता प्रदान कर दी गई थी, किंतु सार्वभौमिक राजसत्ता वाले देश का दर्जा फिलिस्तीन को प्रदान नहीं किया गया है जबकि सन 1948 में ही इजराइल को राष्ट्र घोषित करने के साथ ही संयुक्त राष्ट्र द्वारा दो स्वतंत्र राष्ट्रों के तौर पर फिलिस्तीन और इजराइल को क्रमशः 45 और 55 फीसदी भू-भाग दिया गया था। उल्लेखनीय है कि यूरोप में अमेरिका के मित्र नाटो देश एक के बाद एक फिलिस्तीन को राष्ट्र के तौर पर मान्यता दे रहे हैं। नावें, स्पेन और आयरलैंड द्वारा कुछ वक्त पहले ही फिलिस्तीन को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता दी गई है। इसके पहले नाटो सैन्य संगठन का नेतृत्व करने वाला नीदरलैंड भी फिलिस्तीन को एक राष्ट्र के रूप में अपनी मान्यता प्रदान कर चुका है। दुनिया के 139 देश पहले से ही फिलिस्तीन को राष्ट्र का दर्जा दे चुके हैं।

दर्जा फिलिस्तीन को प्रदान नहीं
उल्लेखनीय है कि सार्वभौमिक राजसत्ता वाले देश का दर्जा फिलिस्तीन को प्रदान नहीं किया गया है जबकि सन 1948 में ही इजराइल को राष्ट्र घोषित करने के साथ ही संयुक्त राष्ट्र द्वारा दो स्वतंत्र राष्ट्रों के तौर पर फिलिस्तीन और इजराइल को क्रमशः 45 और 55 फीसदी भू-भाग दिया गया था। उल्लेखनीय है कि यूरोप में अमेरिका के मित्र नाटो देश एक के बाद एक फिलिस्तीन को राष्ट्र के तौर पर मान्यता दे रहे हैं। नावें, स्पेन और आयरलैंड द्वारा कुछ वक्त पहले ही फिलिस्तीन को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता दी गई है। इसके पहले नाटो सैन्य संगठन का नेतृत्व करने वाला नीदरलैंड भी फिलिस्तीन को एक राष्ट्र के रूप में अपनी मान्यता प्रदान कर चुका है। दुनिया के 139 देश पहले से ही फिलिस्तीन को राष्ट्र का दर्जा दे चुके हैं ।
प्रभात कुमार राय: (लेखक विदेश मामले के जानकार है, ये उनके अपने विचार है।)

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