Logo
Opinion: आजादी के 78 वर्षों के बाद, भारतीय आधारभूत ढांचे ने कई मोड़ लेते हुए एक लंबा सफर तय किया है। भारत को रेल नेटवर्क विरासत में मिला परन्तु भारत आज जहां है वहां पहुंचने के लिए मीलों की यात्रा करनी पड़ी है। भारत को पहली ट्रेन 1853 में बॉम्बे और ठाणे के बीच मिली।

Opinion: बुनियादी ढांचा देश की प्रगति की कुंजी है जो उसके भविष्य के विकास की संभावनाओं के लिए मंच तैयार करने में महत्वपूर्ण होता है। 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो बुनियादी ढांचा बहुत खराब था। हालांकि, वर्ष 1850 में रेलवे की शुरुआत अंग्रेजों के सबसे महत्वपूर्ण योगदानों में से एक थी। आजादी के 78 वर्षों के बाद, भारतीय आधारभूत ढांचे ने कई मोड़ लेते हुए एक लंबा सफर तय किया है। प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 15 मार्च, 1950 को राष्ट्रीय योजना आयोग का गठन किया।

आधारभूत ढांचे की नींव
1948 के औद्योगिक नीति संकल्प ने एक मिश्रित अर्थव्यवस्था का प्रस्ताव रखा। प्रथम तीन पंचवर्षीय योजनाओं में परिवहन एवं संचार पर व्यय 1300 करोड़ रुपये था। यह हर योजना के कुल व्यय का 26% था। तीन पंचवर्षीय योजनाओं ने देश के आधारभूत ढांचे की नींव रखी। योजना में प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के जलविद्युत बांधों - भाखड़ा नांगल, हीराकुंड और नागार्जुन सागर का प्रावधान किया गया था। अकाल की पृष्ठभूमि को देखते हुए, खाद्य सुरक्षा सर्वोपरि थी और भारत की सूखी भूमि की सिंचाई हेतु दामोदर वैली कॉरपोरेशन, स्वतंत्र भारत की पहली बहुद्देश्यीय नदी घाटी परियोजना थी।

सड़कें बनाई जाएंगी
सड़क नेटवर्क: सड़क नेटवर्क परंपरागत रूप से देश के परिवहन बुनियादी ढांचे की रीढ़ रहा है। भारतीय सड़क नेटवर्क की कुल लंबाई 1951 में 0.399 मिलियन किमी से बढ़कर आज 6.37 मिलियन किलोमीटर से अधिक हो गई है, जोकि दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है। 2021 से राजमार्ग निर्माण की गति 37 किमी/प्रतिदिन तक पहुंच गई है। भारतमाला परियोजना, मोदी सरकार का एक नया प्रमुख कार्यक्रम है, जिसमें 34,800 किमी सड़कें बनाई जाएंगी।

पहली ट्रेन 1853 में बॉम्बे और ठाणे के बीच
रेलवे : आजादी के बाद भारत को रेल नेटवर्क विरासत में मिला परन्तु भारत आज जहां है वहां पहुंचने के लिए मीलों की यात्रा करनी पड़ी है। भारत को पहली ट्रेन 1853 में बॉम्बे और ठाणे के बीच मिली। भारत में स्वदेशी भाप लोकोमोटिव इंजन का उत्पादन 1950 में चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (सीएलडब्ल्यू) की स्थापना के साथ शुरू हुआ। 1985 के बाद, भाप इंजनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया गया क्योंकि यह इलेक्ट्रिक और डीजल इंजनों का युग था। 1947 में 25,170 रूट किमी ब्रॉड गेज (बीजी) रेल नेटवर्क आज 1.45 लाख किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर चुका है।

तीसरा सबसे बड़ा बाजार
नागरिक उड्डयन : 1912 में कराची और दिल्ली के बीच पहला घरेलू हवाई मार्ग इंपीरियल एयरवेज, यूके के सहयोग से खोला गया था। भारत का विमानन क्षेत्र दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार बन गया है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय की 'विजन 2040' रिपोर्ट में कहा गया है कि 2040 तक भारत में 190-200 कामकाजी हवाई अड्डे होंगे। बिजली व परमाणु ऊर्जाः भारत दुनिया में बिजली का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। देश ने 1947 में 1,362 मेगावाट से 2023 में, भारत ने 1,968 टेराबाट-घंटे से अधिक बिजली का उत्पादन किया। सरकार ने 2019 तक सभी 18,452 गांवों का विद्युतीकरण किया है, जबकि 1950 में केवल 3,061 गांवों का विद्युतीकरण किया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने साहसिक कदम लेते हुए पोखरण में पहला भूमिगत परिक्षण स्माइलिंग बुद्धा (पोखरण-1) 18 मई 1974 को किया था। बाद में अटल जी के नेतृत्व में देश ने 11 और 13 मई 1998 को पांच और भूमिगत परमाणु परीक्षण किए और भारत ने स्वयं को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया।

2025 तक कुल नए इंटरनेट उपयोगकर्ता
सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचारः देश में सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार क्रांति लाने के लिए राजीव गांधी को व्यापक रूप से श्रेय दिया जाता है। राजीव जी की नीतियों ने दूरसंचार और कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकियों के उपयोग में व्यापक दृष्टिकोण को अपनाया। बाद में 1999 में वाजपेयी के नेतृत्व में, नई दूरसंचार नीति की घोषणा हुई और इसे निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया।
डिजिटल ढांचा: भारत ने डिजिटल बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण प्रगति की है। ट्रांसयूनियन सीआईबीआईएल की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक कुल नए इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में से लगभग 56% ग्रामीण भारत से आएंगे। जनधन खाता, जो मोबाइल नंबरों को आधार कार्ड और बैंक खातों से जोड़ता है, एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) और सरकारी
योजना के लाभार्थियों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के लिए एक प्रमुख उपकरण बन गया है।

बंदरगाह : विश्व बैंक की लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (एलपीआई) रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारतीय बंदरगाहों का टर्न अराउंड टाइम 0.9 दिन तक पहुंच गया है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका (1.5 दिन), ऑस्ट्रेलिया (1.7 दिन) और सिंगापुर (1.0 दिन) से बेहतर है। अंतरिक्ष अनुसंधान इसरो की स्थापना 15 अगस्त, 1969 को हुई थी। 1975 में अपना पहला उपग्रह आर्यभट्ट लॉन्च करने से लेकर मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचने वाला पहला देश होने तक, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की बदौलत अंतरिक्ष अनुसंधान प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मविश्वास से भरे कदम उठाए हैं। भारत के अंतरिक्ष मिशनों ने ब्रह्मांड के बारे में वैज्ञानिक ज्ञान में योगदान दिया है। चंद्रयान-1, मंगल कक्षित्र मिशन, एस्ट्रोसैट और चंद्रयान-2 आदि इसी का उदाहरण हैं।

प्रमुख चुनौतियां और आगे का रास्ता
भारतीय रिजर्व बैंक के अध्ययन का अनुमान है कि बुनियादी ढांचे पर खर्च किए गए प्रत्येक रुपये से सकल घरेलू उत्पाद में 2.5 से 3.5 रुपये का लाभ होता है। आजादी के 78 साल में भारतीय इंफ्रास्ट्रक्चर में काफी सुधार हुआ है। देश अब बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर से 'मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर' की ओर बढ़ चुका है। फिर भी हम आज विश्व बैंक के बुनियादी ढांचा स्कोर में दुनिया में 47वें स्थान पर है।

हम कृषि के मामले में आत्मनिर्भर
वहीं वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक में बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता के मामले में दुनिया के 140 देशों में से भारत का स्थान 70वां है। भारत में रेलवे वर्तमान में सबसे बड़ा नियोक्ता है, हालांकि ट्रेनों में आरक्षित सीट पाने के लिए अब भी लोगों को जद्दोजहद करनी पड़ रही है। आज हम कृषि के मामले में आत्मनिर्भर हैं, लेकिन किसानों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। बड़ी विडंबना है कि अनाज के मामले में देश के आत्मनिर्भर हो जाने के पांच दशक बाद भी देश की दो तिहाई आबादी, सरकार की ओर से दिए जा रहे मुफ्त अनाज पर निर्भर है। 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के सपने को हकीकत में बदलने के लिए 2030 तक देश के बुनियादी ढांचे के निर्माण में 4.51 ट्रिलियन डॉलर का निवेश करने की जरूरत है। इसलिए आधारभूत ढांचा पर खर्चा जीडीपी का वर्तमान 4% से बढ़ाकर 10% तक करना होगा।
डॉ. ब्रजेश कुमार तिवारी: (लेखक अटल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, जेएनयू के एसो प्रोफेसर हैं. ये उनके अपने विचार हैं।)

5379487