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Jagannath Rath Yatra: विश्व प्रसिद्ध ओडिशा की जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारी इन दिनों जोरों से है। भगवान जगन्नाथ का अर्थ ब्रह्मांड के स्वामी अर्थात स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल तीनों लोक के स्वामी भगवान विष्णु से है। इनका मंदिर ओडिशा के पुरी में स्थित है।

Jagannath Rath Yatra: विश्व प्रसिद्ध ओडिशा की जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारी इन दिनों जोरों से है। भगवान विष्णु के स्वरूप भगवान जगन्नाथ जी को रथ से गुंडिचा माता मंदिर लाया जाता है, जिसे देखने दुनियाभर के लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। आइये जानते हैं कब से शुरू होगी जगन्नाथ रथ यात्रा और क्या है परंपरा...

भगवान जगन्नाथ का अर्थ ब्रह्मांड के स्वामी अर्थात स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल तीनों लोक के स्वामी भगवान विष्णु से है। इनका मंदिर ओडिशा के पुरी में स्थित है। मंदिर में भगवान जगन्नाथ व जेष्ठ भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा विराजमान हैं। मान्यता है कि जगन्नाथ मंदिर में भगवान के दर्शन करने से चारों धाम की यात्रा हो जाती है, जीवन में सभी को एकबार भगवान जगन्नाथ जी का दर्शन करना चाहिए। इससे जीवन सुखमय हो जाता है और पाप धुल जाते हैं। सालों इंतजार के बाद विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर रथ से मौसी के घर गुंडीचा मंदिर लाया जाता है। इसी परंपरा को देशभर में जगन्नाथ रथ यात्रा के नाम से जाना जाता है। रथ यात्रा में शामिल होने के लिए दुनियभर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।

इन रथों में सवार होगें भगवान
जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए तीन रथ भव्यता से सुशोभित कर रथ यात्रा के लिए बनाए जाते हैं। प्रथम रथ में भगवान बलभद्र सवार होगें, वहीं दूसरे रथ में भगिनी सुभद्रा और तीसरे में भगवान श्री जगन्नाथ जी सवार रहेगें। बता दें कि बड़े भाई बलभद्र के रथ को ‘तालध्वज’और भगिनि सुभद्रा के रथ को ‘दर्पदलन’या ‘पद्म रथ’और भगवान जगन्नाथ के रथ को ‘नंदी घोष’ या ‘गरुड़ ध्वज’ के नाम से जाना जाता है।

कब होगा रथ यात्रा शुभ मुहूर्त
धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक यह रथ यात्रा प्रतिवर्ष आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाती है। जिसमें नहर भ्रमण करते हुए भगवान जगन्नाथ जी गुंडीचा माता मंदिर जाते हैं। इस साल रथ यात्रा का शुभ मुहूर्त 7 जुलाई की सुबह 4.28 बजे से 8 जुलाई सुबह 5.01 बजे तक है। इसलिए उदया तिथि में रथ यात्रा निकाली जाएगी।

रथ यात्रा निकालने का महत्व
कथा के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र गर्भगृह से बाहर स्नान कराया जाता है। ऐसे में भगवान जगन्नात बीमार हो जाते हैं और 15 दिन आराम करने चले जाते हैं। उसके बाद आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि में ठीक होकर बाहर निकलते हैं, तो श्रद्धालु खुश होकर भगवान जगन्नाथ जी को रथ में नगर भ्रमण करवाते हैं। 

मान्यता है कि रथ यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं को 100 यज्ञों के बराबर पुण्य फल मिलता है। रथ यात्रा में भगवान के दर्शन मिलने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं दूसरी मान्यता यह भी है कि एक बार भतिनी सुभद्रा नगर देखने की इच्छा जाहिर की, तो भगवान जगन्नाथ जी रथ पर बैठाकर बहन सुभद्रा को नगर भ्रमण कराया था।

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