Dipa Karmakar Retirement: भारत की स्टार जिमनास्ट दीपा कर्माकर ने अचानक संन्यास लेकर सबको चौंका दिया। दीपा 2016 के रियो ओलंपिक में बहुत मामूली अंतर से ब्रॉन्ज मेडल से चूक गईं थीं। 31 साल की दीपा ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली भारत की पहली महिला जिमनास्ट बनीं थीं। उनका रियो ओलंपिक के वॉल्ट इवेंट में महज 0.15 पॉइंट से ओलंपिक में मेडल जीतने का सपना अधूरा गया था।
दीपा ने संन्यास को लेकर एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया। इसमें उन्होंने लिखा, "बहुत सोच-विचार के बाद मैंने जिमनास्टिक से संन्यास लेने का फैसला किया। यह कोई आसान फैसला नहीं, लेकिन मुझे लगता है कि यह सही वक्त है। जब से मैं याद कर सकती हूं, जिमनास्टिक मेरे जीवन का केंद्र रहा और मैं उतार-चढ़ाव और बीच की हर चीज़ के लिए आभारी हूँ।"
Signing off from the mat! ❤️
— Dipa Karmakar (@DipaKarmakar) October 7, 2024
Thank you to everyone who has been a part of my journey.
Onto the next chapter🤸🏻♀️🙏🏻 pic.twitter.com/kW5KQZLr29
दीपा ने 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक जीता था और ऐसा करने वाली भारत की पहली जिमनास्ट बनीं थीं। उन्होंने अपने सफर को लेकर कहा, "जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं, तो मुझे अपनी हर उपलब्धि पर गर्व महसूस होता है। विश्व मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करना, पदक जीतना और सबसे यादगार, रियो ओलंपिक में प्रोडुनोवा वॉल्ट का प्रदर्शन करना। हमेशा मेरे करियर के शिखर के रूप में याद किया जाएगा। ये पल सिर्फ़ मेरे लिए जीत नहीं थे; ये भारत की हर उस युवा लड़की की जीत थी जिसने सपने देखने की हिम्मत की, जिसने माना कि कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से कुछ भी संभव है।"
पिछले कुछ सालों से दीपा कर्माकर चोट से जूझ रही थीं। फिर भी वह तुर्की में 2018 के आर्टिस्टिक जिमनास्टिक विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहीं थी। इसके बाद उन्होंने कॉटबस में आर्टिस्टिक जिमनास्टिक विश्व कप में कांस्य पदक जीता था। उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
दीपा कर्माकर ने आगे लिखा, "मुझे वो 5 साल की दीपा याद आती है, जिसको बोला गया था कि फ्लैट फीट की वजह से कभी जिमनास्ट नहीं बन सकती। आज, मुझे अपनी कामयाबी देख बहुत गर्व होता है। भारत का विश्व में प्रतिनिधित्व करना और फिर मेडल जीतना और सबसे खास रियो ओलंपिक में प्रोडुनोवा वॉल्ट दिखाना, मेरे करियर का सबसे यादगार पल है। आज मुझे दीपा को देखकर बहुत खुशी होती है क्योंकि उसने सपने देखने की हिम्मत रखी। मेरी आखिरी जीत एशियन जिम्नास्टिक चैंपियनशिप ताशकंद में आई थी, ये मेरे लिए टर्निंग पॉइंट था, क्योंकि तब तक मुझे लगा कि मैं अपने शरीर को और आगे पुश कर सकती हैं लेकिन कभी-कभी हमारी बॉडी हमें इशारा कर देती है कि अब रेस्ट का समय आ गया है, लेकिन दिल मानता नहीं है।"