नई दिल्ली। पूर्व भारतीय क्रिकेटर और टीम इंडिया के कोच रहे अंशुमन गायकवाड़ के पिता और पूर्व भारतीय कप्तान दत्ताजीराव गायकवाड़ का मंगलवार को बड़ौदा में निधन हो गया। वो 95 साल के थे और भारत के सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले टेस्ट क्रिकेटर थे।
दत्ताजीराव गायकवाड़ ने 1952 में इंग्लैंड दौरे पर टेस्ट डेब्यू किया था और उसके बाद भारत के लिए 10 टेस्ट खेले। उन्होंने आखिरी टेस्ट 1961 में पाकिस्तान के खिलाफ चेन्नई में खेला था। हालांकि, डेब्यू के बाद वो कुछ वक्त तक भारतीय टीम में रहे थे और फिर बाहर हो गए थे। दत्ताजीराव ने 6 साल बाद, 1959 में इंग्लैंड दौरे पर बतौर कप्तान वापसी की थी। इंग्लैंड के उस दौरे पर उन्होंने 1100 से अधिक रन बनाए थे। लेकिन, इंग्लैंड ने भारत को टेस्ट सीरीज में 5-0 से हराया।
इस टूर के बाद उन्होंने लंबे वक्त तक घरेलू क्रिकेट में अपना लोहा मनवाया और 1957-58 सीजन में एक दशक में पहली बार बड़ौदा को अपना पहला रणजी ट्रॉफी खिताब दिलाया था। फाइनल में सर्विसेज के खिलाफ पारी की जीत में गायकवाड़ ने शतक (132) लगाया था। उन्होंने 110 फर्स्ट क्लास मैच में 17 शतकों की मदद से 5788 रन बनाए थे। 249 नाबाद उनका बेस्ट स्कोर था।
दत्ताजीराव गायकवाड़, जो 2016 के मध्य से भारत के सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले टेस्ट क्रिकेटर थे, भारत के पूर्व क्रिकेटर अंशुमन गायकवाड़ के पिता हैं। जो दो अलग-अलग कार्यकाल में टीम इंडिया के कोच रहे थे।
इरफान पठान ने भी दत्ताजीराव गायकवाड़ के निधन पर दुख जताया। उन्होंने एक्स पर लिखा, "मोतीबाग क्रिकेट मैदान में बरगद के पेड़ की छाया के नीचे, अपनी नीली मारुति कार से, भारतीय कप्तान डीके गायकवाड़ सर ने कड़ी मेहनत से बड़ौदा क्रिकेट के लिए युवा प्रतिभाओं की खोज की और हमारी टीम के भविष्य को आकार दिया। उनकी कमी हमेशा महसूस की जाएगी। क्रिकेट बिरादरी के लिए एक बड़ी क्षति।"