नई दिल्ली। यशस्वी जायसवाल ने काफी कम वक्त में ही अपनी बल्लेबाजी से सबको अपना मुरीद बना लिया है। वो पहली बार विश्व कप में खेलते नजर आएंगे। उन्हें टी20 विश्व कप के लिए चुनी गई भारतीय टीम में जगह मिली है। उनके शुरुआती संघर्ष से जुड़ी एक कहानी ये है कि उन्हें अपने क्रिकेट करियर को आगे ले जाने के लिए पानी पुरी तक बेचनी पड़ी थी। लेकिन, इस बात में सच्चाई नहीं है क्योंकि यशस्वी को तराशने वाले कोच ज्वाला सिंह इसका खुलासा कर चुके हैं। 

यशस्वी के कोच ज्वाला सिंह ने कहा,"जब यशस्वी मेरे साथ थे, तो उन्हें इस तरह की मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ा था। मैंने उसे अपने बेटे की तरह रखा। मैंने यशस्वी को अपने घर पर रखा। उसके माता-पिता भी उसे क्रिकेटर बनाना चाहते थे। लेकिन, उनकी आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं थी। ईश्वर ने मुझे सक्षम बनाया था और मैंने यशस्वी को आगे बढ़ाने के लिए पूरा जोर लगाया।" 

यशस्वी जब 13 साल के थे, तब कोच ज्वाला सिंह के संपर्क में आए थे। इसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। कोच ने यशस्वी को तराशकर उन्हें टीम इंडिया के लायक बनाया। 

कोच ज्वाला सिंह ने कहा, "हर कोई नहीं जानता कि मैंने उसे स्कूल में दाखिला दिलाया था, लेकिन वह नहीं गया, वह कहता था 'मेरा सर दर्द होता है वहां। मैंने उसे इंग्लिश कोचिंग भी करवाई क्योंकि अगर भविष्य में वो इंटरनेशनल स्तर पर खेलता तो अगर उसे इंटरव्यू देना होता तो उसके लिए अंग्रेजी आना जरूरी होता। मैं उससे खुश हूं और उस पर बहुत गर्व करता हूं।"

ज्वाला सिंह ने भारतीय टीम के टी20 विश्व कप जीतने को लेकर कहा, फिलहाल, हमारे खिलाड़ी आईपीएल में एक दूसरे के खिलाफ खेल रहे। अगर सभी एकजुट होकर भारत के लिए खेलेंगे और जैसा प्रदर्शन अपनी फ्रेंचाइजी के लिए कर रहे, अगर वैसा ही प्रदर्शन दोहराने में सफल रहे तो फिर भारत को विश्व कप जीतने से कोई रोक नहीं सकता।