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पिछले साल से इस बार बस्ते का वजन एक किलो और बढ़ गया। साल दर साल बढ़ता हुआ प्राइमरी का बस्ता ढाई किलो से आठ किलो तक जा पहुंचा है।

ललित राठोड़/अजय साहू।  छोटे बच्चों के कंधे और कमर को झुकने से बचाने के लिए देश के साथ छत्तसीगढ़ में लागू बैग पालिसी की किस तरह धज्जियां उड़ाई जा रही है यह इस बात से भी पता चलता है।  कि पिछले साल से इस बार बस्ते का वजन एक किलो और बढ़ गया। साल दर साल बढ़ता हुआ प्राइमरी का बस्ता ढाई किलो से आठ किलो तक जा पहुंचा है। इतना ही नहीं, निजी स्कूलों का बस्ता भी 300 से 500 रुपए तक महंगा हो गया है। टीम हरिभूमि ने गुरुवार को पहली से लेकर कक्षा 8वीं तक के बच्चों के बैग को तौला, जो निर्धारित वजन से कहीं अधिक मिला। 

पड़ताल करने पर पता चला कि, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत लागू की गई स्कूल बैग पॉलिसी 2020 में पहली से पांचवीं तक 1.6 से 2.5 किलो तक का ही स्कूल बैग का वजन होना चाहिए, लेकिन यहां पांच से आठ किलो तक का बोझ मिला। पूरे कोर्स की किताबों का वजन पिछले साल से 1 से 2 किलो तक अधिक निकला। प्राइवेट स्कूलों में कक्षा पहली और दूसरी में तीन विषयवार पुस्तक और तीन मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता की पुस्तकें शामिल हैं। इसी तरह तीसरी और चौथी कक्षा में चार विषयवार पुस्तक और चार एफएलएन पुस्तकें हैं, जिसका भार ही पांच किलो से अधिक है। इस लिहाज से छोटे बच्चे भी 3 से 4
किलो तक का स्कूल बैग उठा रहे हैं।

पिछले साल से ज्यादा

हर साल बच्चों के कंधों पर किताबों का बोझ धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। जानकारी मुताबिक पिछले साल की तुलना में कक्षा 8वीं की किताब का वजन लगभग पांच किलो था, जो वर्तमान में छह किलो से अधिक हो चुका है। कक्षा पांचवी की किताब का वजन 3 से 4 किलो तक पहुंच चुका है। कक्षा छठवीं और सातवीं में भी किताब एक-एक किलो का फर्क देखने को मिला है। प्राइवेट स्कूल में चौथी कक्षा में कुल आठ पुस्तकों का बोझ बच्चे उठा रहे हैं। नियमानुसार पहली कक्षा में स्कूल बैग का वजन 1.6 किलो तक होना चाहिए। इसी तरह पांचवीं कक्षा तक अधिकतम वजन 2.5 किलो होना चाहिए, जो नए सत्र के साथ बढ़ गया है।

कक्षा आठवीं के बच्चे उठा रहे 13 किलो का बैग

नए सत्र के साथ किताबों के पन्ने और वजन दोनों बढ़ गए हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्कूल बैग पॉलिसी 2020 के तहत कक्षा 8 में बस्ते का वजन चार किलो होना चाहिए था, लेकिन साल दर साल इसका वजन बढ़ते गया और अब तौल करने पर वजन 13 किलो निकला, जबकि बच्चे की उम्र 9 साल थी। बैग में बोतल और टिफिन का वजन लगभग एक किलोग्राम तक था। बैग, किताब और कॉपी का वजन लगभग 12 किलो तक दर्ज किया गया। इसी तरह जब कक्षा पांचवीं के बच्चे का बैग तौला गया, तो वजह आठ किलो था, जबकि नियमानुसार बैग का वजन 2.5 किलो होना चाहिए था। बैग में केवल किताब और कॉपी का वजन पांच किलो तक था।

नर्सरी में 300 से 500 तक बढ़ा किताब का रेट

स्कूल बैग के वजन के साथ किताबों की कीमत में भी बढ़ोतरी हुई है। प्राइवेट स्कूल में पिछले साल 2000 हजार तक नर्सरी की 6 किताबें मिलती थीं, जो अब 2700 तक पहुंच गया है। इसी तरह पहली से आठवीं तक किताबों के दाम में 800 रुपए तक अंतर देखने को मिल रहा है। ज्यादातर प्राइवेट स्कूलों में मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता, एफएलएन के दाम बढ़ा दिए गए है। कक्षा पहली में किताबें 5200 तक मिल रही हैं, तो पांचवी और आठवीं की किताबें अब पालकों को 6500 तक खरीदनी पड़ रही हैं। पिछले साल यह किताबें 4500 से 6000 तक मिलती थीं।

 सिविल लाइन, दोपहर 11:45

केस 01 -  कक्षा आठवीं के छात्र के बैग में आठ किताबें और पांच कॉपियां थी। तौलने पर इसका वजन 13 किलो निकला। बच्चे की उम्र 9 साल थी। अभिभावक का कहना है कि हर साल किताबों के पन्ने बढ़ रहे हैं, जिससे कुल किताब का वजन 1 किलो से अधिक बढ़ रहा है।

राजेंद्र नगर, दोपहर 12:20

केस 02 - कक्षा पांचवी के बच्चों के बैग का वजन आठ किलो तक दर्ज किया गया। इस वजह से स्कूल से लौटते वक्त कंधे झुके हुए थे। बैग में 6 किताबें और 4 कॉपियों के साथ टिफिन बॉक्स और बोतल थी।

बैरन बाजार, दोपहर 12 बजे

केस 03- कक्षा 7वीं के बच्चे के बस्ते का बोझ 11 किलो तक तौला गया। बच्चों ने बताया कि अभी सभी किताब और कॉपियों के साथ स्कूल बुलाया जा रहा है, इस वजह से बोझ बढ़ गया है। बैग में 8 किताबें और 5 कॉपियां लेकर बच्चे स्कूल पहुंचे थे।

इस तरह होना चाहिए बैग का वजन

स्कूल बैग पॉलिसी के अनुसार

कक्षा 1-2: में      1.6-2.2 किलो
कक्षा 3-5: में      1.7-2.5 किलो
कक्षा 6-7: में      2.0 - 3.0 किलो
कक्षा 8 में          2.5-4.0 किलो
कक्षा 9-10: में    2.5-4.5 किलो
कक्षा 11-12: में   3.5-5.0 किलो

रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन

हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रकाश शर्मा ने बताया कि,  भारी-भरकम वजह लेकर जाने वाले बच्चों के शरीर पर विपरीत असर पड़ता है। ज्यादातर बच्चों का शारीरिक विकास थम जाता है। क्षमता से अधिक वजन टांगने से रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन आ जाता है और मानसिक स्थिति पर भी प्रभाव पड़ता है।


 


 

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