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सरकारी मकान ठीक रेस्ट हाउस के पीछे ही 'महोदय' को मिला था। फिर भी रेस्ट हाउस पर लगभग पूरा का पूरा महोदय और उनके सेवकों ने अवैध कब्जा कर रखा था। संभवत: ये बात क्षेत्र की जनता को जमी नहीं...

रविकांत सिंह राजपूत-एमसीबी। छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस की हार के बाद इस्तीफों का दौर जारी है। इसी क्रम में एमसीबी जिले की भरतपुर सोनहत सीट पर मिली हार के बाद कांग्रेस के पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने रेस्ट हाउस का अपना परमानेंट कमरा खाली कर दिया है। पूर्व विधायक कमरो पांच साल से इसी रेस्ट हाउस में रह रहे थे। उनकी इस हरकत को हरिभूमि डॉट काम ने प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था और मामले को उजागर किया था। 

EX MLA Gulab Kamro
पूर्व कांग्रेस विधायक गुलाब कमरों 

उल्लेखनीय है कि, 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी गुलाब कमरो को भाजपा प्रत्याशी रेणुका सिंह से 4,919 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। इसके साथ सरकारी रेस्ट हाउस के उस कमरे को भी मुक्ति मिल गई है, जिस पर पूर्व विधायक महोदय का परमानेंट सा कब्जा हो गया था। शुक्रवार को पूर्व विधायक गुलाब कमरो  रेस्ट हाउस खाली कर अपने गृह ग्राम साल्ही के निवास में रहने को रवाना हो गए हैं। 2018 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद से गुलाब कमरो ने अपना ठिकाना मनेन्द्रगढ़ स्थित रेस्ट हाउस को अपना ठिकाना बना लिया था। रेस्ट हाउस को परमानेंट हाउस बनाकर विधायक यहां रहने लगे थे।
 
चुनाव में हार के बाद खाली किया रेस्ट हाउस 
2023 विधानसभा चुनाव की घोषणा होने बाद आचार संहिता के दौरान विधायक गुलाब कमरो रेस्ट हाउस छोड़ अपने गांव में रह रहे थे। लेकिन चुनाव में मिली हार के बाद अब कमरो अपने गृहग्राम में शिफ्ट हो गए हैं। तब के चुनाव प्रचार के दौरान विधायक गुलाब कमरो के रेस्ट हाउस में रहने को लेकर भरतपुर-सोनहत से भाजपा प्रत्याशी वर्तमान में और विधायक रेणुका सिंह ने कहा था कि, चुनाव हारने के बाद गुलाब कमरो अपने घर शिफ्ट हो जाएंगे। नतीजतन आज उन्होंने रेस्ट हाउस खाली कर दिया है।

हरिभूमि डॉट कॉम ने तब किया था मामला प्रकाशित
आपको बता दें कि, इस मामले को लेकर पूर्व में हरिभूमि डॉट कॉम ने खबर प्रकाशित की थी कि, विधायक के लिए रेस्ट हाउस बना परमानेंट हाउस। विधायक गुलाब कमरो पूरे 5 साल के कार्यकाल के दौरान रेस्ट हाउस में ही डेरा जमाए बैठे थे। विधायक के साथ ही पीएसओ, व विधायक के कर्मचारियों का रेस्ट हाउस आशियाना बना हुआ था। वैसे तो शासन से इनको मकान किराया मिलता है, लेकिन मुफ्त के जुगाड़ में रहकर इसको भी बचाने की कवायद में ये सभी रेस्ट हाउस को ही अपना मकान बना चुके थे। किसी भी शहर का रेस्ट हाउस वहां आने वाले वीआईपी, बड़े अधिकारी और विशेष अतिथियों के अस्थाई रूप से ठहरने का ठिकाना होता है।

सरकारी मकान फिर भी रेस्ट हाउस पर था कब्जा
मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री और विधायक से लेकर तमाम अधिकारियों के लिए नाम मात्र का शुल्क भरकर यहां रुकने की व्यवस्था होती है। पर नए बने जिले के जिला मुख्यालय मनेन्द्रगढ में कुछ अधिकारी और विधायक का पिछले कई साल यहां के रेस्ट हाउस में स्थाई कब्जा हो गया है. जिला प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। जानकारी के मुताबिक सोनहत भरतपुर सोनहत के पूर्व विधायक गुलाब कमरो एक कमरे में और उनके पीएसओ और ड्रायवर दूसरे कमरे में कब्जा जमाए हुए थे, जबकि इसी रेस्ट हाउस के ठीक पीछे इन्हें शासकीय मकान मिला है। इसमें इनका परिवार रहता था।

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