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पूर्व महाधिवक्ता गिल्डा ने न्याय के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनका आरोप है कि, राज्य सरकार के लिए सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने की एवज में भुगतान नहीं किया गया।

रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के पूर्व महाधिवक्ता जुगल किशोर गिल्डा ने अब खुद ही न्याय के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनका आरोप है कि राज्य सरकार के लिए सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने की एवज में उन्हें फीस नहीं दी गई। उन्होंने कुल 1.10 करोड़ रुपए के भुगतान के लिए अदालत में याचिका दायर की है। पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पांडे की सिंगल बेंच में हुई। अदालत ने मामले को अंतिम सुनवाई के लिए 26 फरवरी रखा है। पूर्व महाधिवक्ता जुगल किशोर गिल्डा ने अपनी याचिका में कहा है कि, सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने महाधिवक्ता रहते कई बार राज्य सरकार की तरफ से सीएसआईडीसी (छत्तीसगढ़ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) समेत कई मामलों में पैरवी की थी। फीस लेकिन उन्हें नहीं दी गयी। वहीं मामले में सीएसआईडीसी की ओर से कहा गया कि, पूर्व महाधिवक्ता गिल्डा को सरकार ने नियुक्त नहीं किया था। जिस पर गिल्डा के वकील ने कहा कि वे सरकार की ओर से महाधिवक्ता नियुक्त थे। ऐसे में उनके केस में अलग से नियुक्त करने का सवाल ही नहीं उठता है। बता दें कि, अदालत ने मामले को अंतिम सुनवाई के लिए 26 फरवरी रखा है।

सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं गिल्डा

पूर्व महाधिवक्ता जुगल किशोर गिल्डा अपनी तेज तर्रारी और हाजिर जवाबी के लिए जाने जाते हैं। उनके रहते रमन सरकार को अधिकतर मामलों में जीत हासिल हुई थी। गिल्डा ने 23 जनवरी 2014 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में महाधिवक्ता का पदभार ग्रहण किया था। इसके पूर्व वह छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में ही जून 2006 से अतिरिक्त महाधिवक्ता के पद पर कार्यरत थे। गिल्डा ने महाधिवक्ता रहते सर्वाधिक 94.22 प्रतिशत मामलों में सफलता हासिल की थी। लेकिन 2018 में राज्य में सरकार बदलने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। अब वे सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं।

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