Logo
बस्तर राजमहल में 107 साल बाद गद्दी पर आसीन किसी राजा का विवाह होने जा रहा है। राजा कमलचंद्र भंजदेव का यह विवाह बस्तर को नई पहचान दिलाएगा। इस दौरान क्षेत्र की सांस्कृतिक छटा देखने को मिलेगी।

जीवानंद हलधर- जगदलपुर। बस्तर राजघराने में ऐतिहासिक क्षण देखने को मिलेगा। 107 साल बाद गद्दी पर आसीन किसी राजा का विवाह राजमहल में होने जा रहा है। बस्तर के महाराजा कमलचंद भंजदेव का विवाह मध्यप्रदेश के किला नागौद राजघराने की राजकुमारी भुवनेश्वरी कुमारी के साथ आज 20 फरवरी को होने जा रहा है। इस शाही विवाह में देशभर के 100 से अधिक राजघरानों के सदस्य और गणमान्य अतिथि शामिल हुए हैं। 

बस्तर स्टेट में पांच पीढ़ियों बाद बस्तर राजमहल में शाही विवाह हो रहा है। बस्तर राजघराने में आखिरी विवाह वर्ष 1918 में महाराजा रुद्रप्रताप देव की हुई थी। इसके बाद राजगद्दी पर बैठे किसी भी राजा का विवाह बस्तर राजमहल में नहीं हुआ। महाराजा प्रवीरचंद्र भंजदेव का विवाह 1961 में दिल्ली में, विजय चंद्र भंजदेव का विवाह 1954 में गुजरात में और भरतचंद्र भंजदेव का विवाह भी गुजरात में हुआ था। अब पांच पीढ़ियों के बाद पहली बार बस्तर राजमहल में इतिहास को दोहराते हुए शाही शादी का आयोजन हो रहा है। 

चार्टर्ड प्लेन से जाएंगे बारात

यह समारोह न केवल बस्तर बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन बनने जा रहा है। 107 साल बाद राजमहल से शाही बारात निकली। वर बने कमलचंद्र भंजदेव हाथी पर सवार होकर नगर में निकले। उनके पीछे ऊंट, घोड़े और बाराती बनकर बस्तरवासी चल रहे थे। गुरुवार को बारात राजमहल से एयरपोर्ट तक निकली। इसके बाद चार्टर्ड प्लेन से नागौद जाएगी। बारात के लिए तीन विशेष चार्टर्ड प्लेन बुक किए गए हैं, जो बारातियों को लेकर मध्यप्रदेश के नागौद स्थित एयरपोर्ट तक पहुंचाएंगे।

राजमहल में भव्य सजावट, राजसी ठाठ-बाट और शाही इंतजाम

1890 में निर्मित बस्तर राजमहल को इस ऐतिहासिक विवाह के लिए विशेष रूप से सजाया गया है। पूरे महल को रंग-बिरंगी रोशनी और पारंपरिक शाही अंदाज में संवारा गया है। राजस्थान से विशेष कैटरिंग और राजवाड़ा शैली के शामियाना विशेषज्ञ बुलाए गए हैं। देश-विदेश से खास फूलों की व्यवस्था भी की गई है जिससे राजमहल की भव्यता और ज्यादा बढ़ गई। पांच दिनों की शाही शादी में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की झलक भी देखने को मिली। समारोह को यादगार बनाने के लिए हर शाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। देशभर की लोक कलाओं और सांस्कृतिक विरासत की झलक प्रस्तुत की गई। बस्तर की समृद्ध परंपराओं को विशेष रूप से प्रदर्शित किया गया। 

Gate of Bastar Palace
बस्तर राजमहल का द्वार

पहली बार विवाह समारोह में शामिल हुईं मां दंतेश्वरी की छत्र और छड़ी

बस्तर राजपरिवार की कुल देवी मां दंतेश्वरी का छत्र और छड़ी पहली बार किसी विवाह समारोह में शामिल हुई। यह छत्र-छड़ी साल में केवल दो बार बस्तर दशहरा और फागुन मड़ई के दौरान ही बाहर निकाले जाते हैं। मां दंतेश्वरी का छत्र-छड़ी जगदलपुर लाया गया। राजपरिवार के सदस्यों ने पूरे रीति-रिवाज से पूजन किया और बुधवार को मां दंतेश्वरी के छत्र-छड़ी को वापस दंतेवाड़ा रवाना किया गया। दंतेवाड़ा मंदिर के मुख्य पुजारी परमेश्वर नाथ जीया ने बताया कि, मां दंतेश्वरी का छत्र और छड़ी विवाह के लिए पहली बार मंदिर से बाहर निकाला गया। छत्र और छड़ी को जवानों के सुरक्षा घेरे में विशेष सलामी दी गई और वीआईपी प्रोटोकॉल के तहत पूरे सम्मान के साथ वापस दंतेवाड़ा भेजा गया। 

camel
बारात में शामिल हुए ऊंट

देशभर से शाही मेहमानों का जमावड़ा

नागौद में होने वाले भव्य विवाह समारोह में देशभर के प्रतिष्ठित राजघरानों के सदस्य शामिल होगें। जयपुर राजघराने से उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी, ग्वालियर राजघराने से ज्योतिरादित्य सिंधिया, गुजरात के बड़ौदा राजघराने से गायकवाड़ परिवार, मध्यप्रदेश के सिंधिया राजघराने के सदस्य, सरगुजा राजघराने के वंशज और पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव, ओडिशा के पटनागढ़ और मयूरभंज राजघराने के सदस्य भी इस समारोह में शिरकत करेंगे। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, अरुण साव और प्रदेश अध्यक्ष किरण देव भी समारोह की शोभा बढ़ाएंगे। देशभर के कई राजघराने के सदस्य और टीवी कलाकार पहले ही जगदलपुर आ चुकें हैं जो आज बरात में शामिल होगें। 

Bastar residents arrived to see the marriage
विवाह देखने पहुंचे बस्तरवासी

राजघराने की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

बस्तर राज्य की स्थापना 13वीं शताब्दी में काकतीय वंश के प्रतापरुद्र द्वितीय के भाई अन्नमदेव ने की थी। 19वीं सदी की शुरुआत में बस्तर ब्रिटिश राज के अधीन मध्य प्रांत और बरार का हिस्सा बना। 1956 में यह मध्यप्रदेश का हिस्सा बना और 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य का अंग बन गया। बस्तर रियासत के अंतिम शासक महाराजा प्रवीरचंद्र भंजदेव थे। वर्तमान महाराजा कमलचंद्र भंजदेव, प्रवीरचंद्र के बेटे भरतचंद्र भंजदेव के बेटे हैं। 

राजा वीरराज जूदेव ने की थी नागौद राजवंश की स्थापना 

कमलचन्द्र भंजदेव का ससुराल नागौद राजवंश की स्थापना राजा वीरराज जूदेव ने की थी। नागौद रियासत की राजधानी पहले उचहरा थी, जिसे बाद में नागौद कर दिया गया। 1 जनवरी 1950 को नागौद रियासत का भारत में विलय हो गया। नागौद रियासत में परिहार राजपूतों का शासन था। 

बस्तर की छवि को सकारात्मक रूप से प्रस्तुत करेगा विवाह 

बस्तर राजमहल में 107 सालों बाद हो रहा यह विवाह न केवल बस्तर बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक क्षण होगा। यह आयोजन बस्तर की संस्कृति, विरासत और गौरवशाली इतिहास को एक नई पहचान देगा और बस्तर की छवि को सकारात्मक रूप से देश-दुनिया में प्रस्तुत करेगा। महाराजा कमलचंद्र भंजदेव ने कहा कि, इस विवाह से बस्तर की पहचान केवल नक्सलवाद से नहीं बल्कि इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और गौरवशाली इतिहास से होगी। जब देशभर से गणमान्य व्यक्ति बस्तर आएंगे तो उनकी धारणा बदलेगी और बस्तर की शानदार परंपराएं और विरासत दुनिया के सामने आएगी। राजगुरू नवीन ठाकुर ने बताया कि, राजघराने में पहली शादी 1908  में महाराजा रूद्रप्रताप देव की रानी कुशुमलता के साथ हुई थी। 107 सालों बाद बस्तर स्टेट राजपरिवार में कमलचंद्र भंजदेव का विवाह होने जा रहा है। 
 

5379487