रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रायपुर के सेन्ट्रल जेल पहुंचे। जहां पर उन्होंने जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा से मुलाकात की। इसके साथ ही बघेल भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव से भी मिले। पूर्व मंत्री आबकारी घोटाला मामले में जेल में बंद हैं। तो वहीं देवेन्द्र यादव बलौदाबाजार हिंसा मामले में बंद है।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर सेन्ट्रल जेल पहुंचकर पूर्व मंत्री लखमा से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने पर निशाना साधते हुए सरकार को तानाशाह कहा है. @bhupeshbaghel @INCChhattisgarh #Chhattisgarh @Kawasilakhma @BJP4CGState @vishnudsai pic.twitter.com/1l1vcbugW1
— Haribhoomi (@Haribhoomi95271) January 23, 2025
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूर्व आबकारी मंत्री लखमा और देवेन्द्र यादव से मिलने के बाद ट्वीट किया है। जिसमें उन्होंने सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने सोशल मीडिया में पोस्ट कर लिखा कि, तानाशाह सरकार जनहित और अधिकार के लिए उठने वाली आवाजों को षड्यंत्र कर खामोश कर देना चाहती है। लेकिन अंत में विजय सत्य की होगी।
21 जनवरी को भेजे गए जेल
शराब घोटाले के मामले में 21 जनवरी को ED ने पूर्व मंत्री कवासी लखमा को रायपुर के स्पेशल कोर्ट में पेश किया था । इस दौरान रिमांड खत्म होने के बाद कोर्ट ने कवासी लखमा को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। कवासी लखमा 4 फरवरी तक जेल में रहेंगे। ED के वकील ने कोर्ट में अपनी दलील पेश करते हुए कहा कि, लखमा पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे हैं।
4 फ़रवरी तक जेल भेजे गए जेल
कोर्ट में ED के वकील ने लखमा पर आरोप लगाए कि, उनका नाम इस शराब घोटाले से जुड़ा हुआ है। ऐसे में जांच में उनका सहयोग करना जरुरी है। लेकिन पूछताछ में वे सहयोग नहीं कर रहे हैं। वकील ने आगे कहा कि, पूछताछ में लखमा सहयोग नहीं करेंगे तो उनको जेल भेजना पड़ सकता है। वहीं अब न्यायिक रिमांड ख़त्म होने के बाद लखमा को 4 फ़रवरी तक जेल भेज दिया गया है।
ED ने लखमा पर लगाए गंभीर आरोप
ED का आरोप है कि पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक कवासी लखमा सिंडिकेट के अहम हिस्सा थे। लखमा के निर्देश पर ही सिंडिकेट काम करता था। इनसे शराब सिंडिकेट को मदद मिलती थी। वहीं ED ने यह भी कहा कि, शराब नीति बदलने में कवासी लखमा की महत्वपूर्ण भूमिका है।जिससे छत्तीसगढ़ में FL-10 लाइसेंस की शुरुआत हुई। यही नहीं ED ने बताया कि, लखमा को आबकारी विभाग में हो रहे घोटाले की पूरी जानकारी थी लेकिन उन्होंने इसे रोकना मुनासिब नहीं समझा।