बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की राज्य सरकारों को छठे वेतन आयोग योजना के तहत 2006 से पहले सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों को पेंशन लाभ का भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। यह फैसला जस्टिस राकेश मोहन पांडे ने छत्तीसगढ़ शासकीय महाविद्यालयीन पेंशनर्स संघ बनाम छत्तीसगढ़ राज्य के मामले में सुनाया।
याचिकाकर्ता, छत्तीसगढ़ शासकीय महाविद्यालयीन पेंशनर्स संघ, जो सरकारी महाविद्यालयों के पेंशनभोगियों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक पंजीकृत संस्था है। इसने 1 जनवरी 2006 से पहले सेवानिवृत्त होने वालों के साथ किए जा रहे भेदभावपूर्ण व्यवहार को चुनौती देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। मुख्य तर्क यह था कि 2006 के बाद सेवानिवृत्त हुए लोगों को छठे वेतन आयोग का लाभ दिया गया, जबकि इससे पहले सेवानिवृत्त हुए उनके समकक्षों को इससे वंचित रखा गया, जो कि भेदभाव है। इससे पहले, सोसायटी ने एक याचिका दायर की थी जिसमें 25 जनवरी, 2018 को किया फैसला दिया गया था और अधिकारियों को एक अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था। हालाँकि, छत्तीसगढ़ सरकार के वित्त विभाग द्वारा 28 फरवरी, 2018 के एक आदेश के माध्यम से उनके अभ्यावेदन को खारिज कर दिया गया था।
खजाने पर बोझ का तर्क खारिज
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि इस तरह का वर्गीकरण भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है, जो कानून के समक्ष समानता की गारंटी देता है। छत्तीसगढ़ राज्य ने तर्क दिया कि 2006 से पूर्व सेवानिवृत्त लोगों को लाभ देने से राज्य के खजाने पर अनुचित वित्तीय बोझ पड़ेगा। छत्तीसगढ़ राज्य की ओर से दलील दी कि वित्तीय बाधाओं के कारण अलग-अलग