रायपुर। रेंज साइबर पुलिस ने राज्य में एक बड़े साइबर फ्रॉड गैंग का खुलासा करते हुए 62 जालसाजों को गिरफ्तार किया है। इनमें से 55 जालसाज छत्तीसगढ़ के हैं। गिरफ्तार जालसाज बैंक में म्यूल अकाउंट खुलवाकर साइबर ठगी करने वालों को उपलब्ध कराने का काम करते थे । पूरे मामले का खुलासा करते हुए रेंज साइबर पुलिस ने बताया है कि गिरफ्तार जालसाजों के खिलाफ देश के अलग-अलग राज्यों में 1435 अपराध दर्ज हैं। इन शातिरों ने 84 करोड़ 88 लाख की ठगी की है। गिरफ्तार आरोपियों में कई लड़कियां हैं। छत्तीसगढ़ के आरोपियों में 40 रायपुर के बताए गए हैं। रेंज साइबर पुलिस के मुताबिक आईजी अमरेश मिश्रा के निर्देश पर 48 घंटे से अभियान चलाया जा रहा है, अभी कार्रवाई जारी भी है। जिन 62 जालसाजों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें कलिंगा यूनिवर्सिटी में पढ़ने आए तीन नाइजीरियन छात्र के साथ राजस्थान, ओडिशा के जालसाज भी शामिल हैं।
जालसाजों को गिरफ्तार करने पुलिस ने एक साथ 40 स्थानों पर छापे की कार्रवाई करते हुए सभी को गिरफ्तार किया। जालसाजों के अलग-अलग बैंक अकाउंट से पुलिस ने दो करोड़ रुपए फ्रीज कराए हैं। पुलिस ने ठगी के आरोप में जिन लोगों को गिरफ्तार किया है, उनमें आठ युवती रायपुर की शामिल हैं। 11 सौ अकाउंट की जांच के बाद अपराध दर्ज साइबर जालसाजों के नेटवर्क को तोड़ने के लिए रेंज साइबर पुलिस ने साइबर क्राइम पोर्टल में 11 सौ से अधिक म्यूल बैंक अकाउंट की जांच की। इस दौरान ठगी के लिए इस्तेमाल अकाउंट से मिलान किया गया। रेंज साइबर पुलिस ने अकाउंट मिलान करने के बाद म्यूल अकाउंट खुलवाने वालों की लंबी पहचान प्रक्रिया की। इसके बाद जालसाजों की गिरफ्तारी की गई।
रकम वापसी की प्रक्रिया
रेंज साइबर पुलिस ने जालसाजों के अकाउंट फ्रीज कराने के साथ न्यायालय से चार करोड़ रुपए वापस दिलाने आदेश कराया है, जिनमें से दो करोड़ रुपए पीड़ितों को अब तक मिल चुका है। पीड़ितों को जो रकम वापस दिलाने की प्रक्रिया न्यायालय से की गई है, वह पिछले छह माह के भीतर प्रथम लेयर की ठगी की रकम है।
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म्यूल अकाउंट का इस तरह इस्तेमाल
म्यूल अकाउंट एक बैंक खाता है जिसका उपयोग अवैध गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिये किया जाता है। मनी म्यूल वह व्यक्ति होता है जो किसी अन्य व्यक्ति की ओर से अवैध रूप से अर्जित धन को धन स्थानांतरित करता है। इंटरनेशनल साइबर अपराधी शेल कंपनियों और व्यक्तियों के खातों का उपयोग म्यूल अकाउंट के रूप में करते हैं तथा बैंकों द्वारा दी जाने वाली थोक भुगतान सुविधा का लाभ उठाते हैं। शेल कंपनी वह कंपनी होती है, जिसका कोई सक्रिय व्यावसायिक परिचालन या महत्त्वपूर्ण परिसंपत्ति नहीं होती।
इस प्रकार की ठगी में अकाउंट का इस्तेमाल
म्यूल अकाउंट के माध्यम से जालसाज डिजिटल अरेस्ट, शेयर ट्रेडिंग फर्जी ऐप, क्रिप्टो करेंसी में इन्वेस्ट, गूगल रीव्यू टास्क, टेलीग्राम टास्क, बैंक केवाईसी अपडेट एवं गूगल सर्च जैसे साइबर अपराध में प्राप्त ठगी की रकम आहरण करने का काम करते थे। गिरफ्तार आरोपियों में कई ऐसे भी जिन लोगों ने किसी दूसरे के नाम अकाउंट खुलवाकर खाता जालसाजों को उपलब्ध कराया है। पूछताछ में आरोपियों नेपुलिस को बताया है कि अकाउंट उपलब्ध कराने के एवज में उन्हें 10 से 20 प्रतिशत कमीशन मिलता था।
इनकी गिरफ्तारी
■ नाइजीरियन छात्र - एबदुलाजीज बेना राबीयू, मोहम्मद बसीर सुलेमान, अमीनू
गरबा
■ राजस्थान - विजय सिंह मीणा
■ ओडिशा - शिवा राव, सुरेश राव
■ रायपुर - मेहुल विज, देवेन्द्र सेन, सौरभ पाल,
अशोक लाल बघेल, हरीश सोनकर, तुलसी तांडी, वासु पटेल, दीपक पटेल, दीपक कपूर, पुरुषोत्तम बजाज, सूरज सक्सेना, राहुल नायक, ललित बंश्रे, समीर जनबंधु, प्रीति साहू, लोकेश्वर चन्द्राकर, मनोज धीवर, गौतम भारती, टेमन हियाल, उपासना जगत, भारती बाघ, वीणा तांडी, डी. कामराजू कल्पना खरे, राहुल शर्मा, श्रेया यादव, दीपक छुरा, प्रेमदास मानिकपुरी, आयुष सागर, पंकज भोंडलेकर, नवीन गोस्वामी, भीमाशंकर नायक, संदीप डोन्डेकर, अजय निर्मलकर, इंद्र कुमार साहू, अभय अडवानी, सूर्यकांत मंझवार, सौरभ शर्मा, संगीता मांझी, यमन बंजारे, गोविंद यादव
■ राजनांदगांव - गजेन्द्र वर्मा, अफजल खान,
प्रवीण कुमार ठाकुर, शेख जीशान, धनेश सेन, शुभम दत्ता, तनिष्क सिंह भाटिया, अरविंद चौरे, रजत श्याम कुंवर, हरीश ध्रुवे, रोशन वर्मा, कमलेश उईके, उमेश तड़स
■ महासमुंद - सत्यम देवानी
■ बिलासपुर - सिप्रियन जैकब