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हाईकोर्ट ने प्राथमिक कक्षा में बीएड के स्थान पर डीएलएड शिक्षकों को नियुक्त करने आदेश दिया है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद शासन अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है।

रायपुर। प्राथमिक कक्षाओं में बीएड की जगह डीएलड शिक्षकों को नियुक्त किए जाने संबंधित हाईकोर्ट के आदेश के बाद शासन अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है। छत्तीसगढ़ की ही तरह राजस्थान हाईकोर्ट ने भी प्राथमिक कक्षाओं में बीएड के स्थान पर डीएलएड शिक्षकों को नियुक्त करने आदेश दिया था। इसके विरोध में राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। छत्तीसगढ़ सरकार अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रही है।

राजस्थान तक तर्ज पर छत्तीसगढ़ सरकार भी सुप्रीम कोर्ट का जा सकती है। हाईकोर्ट ने बीएड शिक्षकों की नियुक्ति को नियमविरूद्ध बताते हुए 6 सप्ताह के भीतर डीएलएड डिग्रीधारी शिक्षकों की चयन सूची जारी करने कहा है। यदि राजस्थान संबंधित केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला 6 सप्ताह के भीतर नहीं आता है तो छत्तीसगढ़ सरकार इसके पूर्व भी कोर्ट में याचिका दायर कर सकती है।

पीड़ितों ने की मुलाकात 

इधर सैकड़ों की संख्या में बीएड शिक्षकों ने रविवार को शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से मुलाकात की। छग टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष संजय शर्मा ने बातया, लगभग 3500 सहायक शिक्षकों की नौकरी खतरे में है। एनसीटीई के गाइडलाइन के अनुसार बीएड प्रशिक्षित अभ्यर्थी सहायक शिक्षक के पद हेतु पात्र थे। शिक्षक भर्ती के नोटिफिकेशन में डीएलएड के साथ बीएड प्रशिक्षार्थी को पात्र माना गया था। प्रतिनिधि मंडल में प्रदेश संयोजक सुधीर प्रधान, प्रदेश उपाध्यक्ष बसंत चतुर्वेदी, प्रांतीय महासचिव आयुष पिल्ले, प्रांतीय प्रचार सचिव गंगेस्वर सिंह उइके, सुखनंदन साहू सहित पदाधिकारी शामिल रहे।

ब्रिज कोर्स का विकल्प

सहायक शिक्षकों ने ब्रिज कोर्स करवाकर उनकी नियुक्ति नियमित करने की मांग की है। इसके पूर्व भी सेवारत शिक्षकों को ब्रिजकोर्स करवाया जा चुका है। इस कोर्स के जरिए सेवारत निजी और शासकीय विद्यालयों में सेवारत ऐसे शिक्षक, जिनके पास बीएड अथवा डीएलएड कोई डिग्री नहीं थी, उन्हें डीएलएड का कोर्स ऑनलाइन मोड में करवाया गया था। शिक्षक संघ पुनः इस तरह का कोर्स करवाने तथा शिक्षकों की सेवाएं - नियमित करने की मांग कर रहा है।

अन्य मामला न्यायालयाधीन

स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल  ने कहा कि, इससे संबंधित एक अन्य मामला सुप्रीम कोर्ट में है। हम उस पर फैसले की प्रतिक्षा कर रहे हैं। 

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