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अंकसूची में हुई गलती पर न छात्रा ने गौर किया और न ही प्रबंधन का ही ध्यान गया। दशकों बाद जब छात्रा ने डिग्री बनाने के लिए रविवि में अर्जी दी, तब पता चला कि अंकसूची में गड़बड़ी हो गई है।

रायपुर। एक छात्रा ने 1994 में परीक्षा दिलाई। प्रथम और द्वितीय वर्ष के साथ बीएससी अंतिम वर्ष की परीक्षा में भी छात्रा उत्तीर्ण हो गई। पं. रविशंकर शुक्ल विवि ने छात्रा की अंकसूची भी जारी कर दी। अंकसूची में हुई गलती पर न छात्रा ने गौर किया और न ही प्रबंधन का ही ध्यान गया। दशकों बाद जब छात्रा ने डिग्री बनाने के लिए रविवि में अर्जी दी, तब पता चला कि अंकसूची में गड़बड़ी हो गई है। इसके बाद अंकसूची सुधारी गई, ताकि डिग्री बनाने की प्रक्रिया पूरी की जा सके।

छात्रा के अंक सुधार सहित परिणाम गुरुवार को रविवि ने जारी कर दिए गए हैं। बीए, बीकॉम, बीएससी सहित अन्य कक्षाओं के विथ हेल्ड परिणाम भी विवि ने जारी किया। इनमें से सभी 2023 में हुई परीक्षा के ही परिणाम है। केवल 1994 के प्रकरण को छोड़कर। छात्रा ने अपनी पढ़ाई कल्याण कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स भिलाईनगर से की थी। वर्तमान में यह महाविद्यालय दुर्ग विवि से संबद्ध है। चूंकि 1994 में यह कॉलेज रविवि के अधीन था, इसलिए सुधरे हुए परिणाम भी रविवि ने ही जारी किए हैं।

पहले भी आ चुके हैं मामले

रविवि प्रबंधन का कहना है कि पहले भी इस तरह के मामले आ चुके हैं। छात्र सामान्यतः अपने अंतिम परिणाम ही देखते हैं। अन्य बारीकियों पर उनका ध्यान नहीं जाता है।

ऐसे समझें गलती

मान लीजिए प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष में सभी विषय मिलाकर 600-600 अंकों की परीक्षा हुई। अब तृतीय वर्ष की अंकसूची में प्रथम और द्वितीय वर्ष में विद्यार्थी द्वारा 600 में प्राप्त अंकों का भी जिक्र किया जाएगा। छात्रा के प्रथम और द्वितीय वर्ष में प्राप्त अंक अलग थे, जबकि तृतीय वर्ष की अंकसूची में प्रथम और द्वितीय वर्ष के अंकों का जो उल्लेख किया गया था, वो अलग था। डिग्री बनाते समय तीनों वर्ष के अंकों का औसत निकाला जाता है। इसके आधार पर डिग्री बनाई जाती है। डिग्री बनाने के पहले अंकसूची गलती में सुधार आवश्यक होता है। इसके कारण छात्रा के अंकों में सुधार कर दोबारा रिजल्ट जारी किया गया।

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