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आबकारी घोटाले में गिरफ्तार हुए आरोपी पूर्व विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी, अनवर ढेबर और अरविंद सिंह की रिमांड आज खत्म हो गई है।

रायपुर- आबकारी घोटाले में गिरफ्तार हुए आरोपी पूर्व विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी, अनवर ढेबर और अरविंद सिंह की रिमांड आज खत्म हो गई है। सभी आरोपियों को EOW और ACB कोर्ट में पेश करेगी, यह सभी 6 दिन की रिमांड पर चल रहे थे। वहीं अब ईओडब्ल्यू अरुणपति त्रिपाठी की ज्यादा दिन के लिए रिमांड मांग सकती है। 

दरअसल, शराब घोटाले की गुत्थी सुलझाने ईओडब्लू के अफसर तीनों को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ भी कर चुकी है, बावजूद इसके तीनों ने जांच एजेंसी को गोल-मोल जवाब देकर बचने की कोशिश की।

होलोग्राम से नकली शराब खपाने पर पूछा सवाल 

गौरतलब है, ईओडब्लू की रिमांड पर लिए गए अरविंद सिंह, अनवर ढेबर के साथ एपी त्रिपाठी से अफसरों ने शराब से जुड़े सिंडिकेट के साथ शराब आपूर्ति करने की चेन, होलोग्राम से नकली शराब खपाने को लेकर आमने-सामने बैठाकर सवाल पूछे। इस पर तीनों ने किसी भी तरह से सिंडिकेट में शामिल होने की बात से इनकार किया। नकली होलोग्राम के संबंध में पूछे गए सवाल पर तीनों ने जांच एजेंसी को कहा कि इस संबंध में वे ईडी में पूर्व में ही अपना बयान दर्ज करवा चुके हैं।

अब तक दस से ज्यादा के बयान दर्ज

सूत्रों के मुताबिक ईओडब्लू के अफसरों ने शराब घोटाला मामले में अब तक दस से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज कर लिए हैं। इसके साथ शराब कारोबार से जुड़ी कंपनियों को पूछताछ के लिए नोटिस जारी कर रायपुर तलब किया है। जिन शराब कंपनियों को नोटिस जारी किया गया है, उनमें से कई दिल्ली की कंपनियां हैं। जिन कंपनियों को नोटिस जार किया गया है, वे कंपनियां शराब की सप्लाई, परिवहन, होलोग्राम बनाने से लेकर प्लेसमेंट का काम करती हैं।

अनवर के चहेतों को लाइसेंस

ईडी के अफसरों ने राज्य की जांच एजेंसी को जो रिपोर्ट दी है, उस रिपोर्ट में शराब कंपनी किस तरह से सिंडिकेट बनाकर नेक्सेस चलाती थी, इस बारे में विस्तार से उल्लेख किया है। ईडी ने ईओडब्लू को जो रिपोर्ट दी है, उसके मुताबिक एफएल-10 ए का लाइसेंस अनवर ढेबर की तीन चहेती फर्म मेसर्स नैक्सेजेन पॉवर इंजीटेक प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स ओम साई बेवरेज प्राइवेट लिमिटेड तथा मेसर्स दीशिता वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया। अनवर ढेबर की चहेते कंपनियां शराब बनाने वाली कंपनियों से शराब उपलब्ध कराकर 10 प्रतिशत तक लाभ कमाते थे। उक्त लाम में से 60 प्रतिशत सिंडिकेट तथा 40 प्रतिशत राशि लाइसेंस धारकों के पास पहुंचने का आरोप है।

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