रुचि वर्मा- रायपुर। कविताएं, कहानियां, रोमांच और सस्पेंस से भरे उपन्यास सहित इस तरह की हजारों किताबों के बीच भी शीर्ष पर संविधान ही है। यह हम नहीं, बल्कि राजधानी रायपुर के शीर्ष पुस्तकालयों के आंकड़े कह रहे हैं। संविधान आधारित और संविधान की जानकारी देने वाली किताबें युवा सर्वाधिक इशू करा रहे हैं। इन युवाओं में अधिकतर वे अभ्यर्थी हैं, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू किया गया था। 75 वर्ष पश्चात भी संविधान की इस किताब की महत्ता यथावत है। ना केवल हिंदी बल्कि इंग्लिश भाषा में भी यह किताब शीर्ष सूची में शामिल है।
राजधानी रायपुर में सबसे बड़ी लाइब्रेरी नालंदा है। बीते कुछ सालों में इस पुस्तकालय ने पीएससी और यूपीएससी में कई अधिकारी दिए हैं। इस लाइब्रेरी में 2024 में जिस टॉपिक की किताब सर्वाधिक इशू कराई गई वह संविधान की है। नालंदा लाइब्रेरी की मुख्य प्रभारी मंजूला जैन बताती हैं, यहां संविधान आधारित अथवा उससे संबंधित 850 से अधिक किताबें हैं। सामान्य अध्ययन की किताबों में भी कुछ हिस्से संविधान संबंधित होते हैं। यदि उन्हें भी इसमें शामिल किया जाए तो संविधान की जानकारी देने वाली किताबों की संख्या हजार पार हो जाएगी। इनमें से प्रतिदिन औसतन 30 से 40 किताबों इशू होती हैं। अन्य किसी भी टॉपिक की तुलना में संविधान की किताब अधिक इशू हुई हैं।
संविधान की ये किताबें शीर्ष पर
एम लक्ष्मीकांत की भारतीय शासन, लोक प्रशासन, भारत की राज व्यवस्था, डॉ. जय नारायण पांडेय की भारत का संविधान, सुभाष कश्यप की हमारा संविधान, पीएम बख्शी की द कॉस्टिट्यूशन ऑफ इंडिया, डॉ. दुर्गादास बसु की भारत का संविधान सहित स्पेक्ट्रम प्रकाशन की भारतीय राजव्यवस्था किताब युवाओं द्वारा लाइब्रेरी में 2024 में सर्वाधिक तलाशी गई हैं।
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सेंट्रल लाइब्रेरी और तक्षशीला में भी खोज
नालंदा लाइब्रेरी के बाद युवाओं में अध्ययन के लिए सर्वाधिक क्रेज जहां है, उनमें सेंट्रल लाइब्रेरी और मोतीबाग स्थित तक्षशीला पुस्तकालय शामिल है। तक्षशीला लाइब्रेरी की सौगात बीते वर्ष ही युवाओं को मिली थी। यहां नालंदा की तरह व्यापम पैमाने पर किताबें उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन संविधान आधारित 80 से 100 लेखकों और प्रकाशन की किताबें यहां भी हैं। प्रबंधन के मुताबिक, तक्षशीला में संविधान आधारित किताबें रोजना 10 से 20 युवा इशू कराकर ले जाते हैं, जबकि सेंट्रल लाइब्रेरी में यह संख्या 30 से 40 के मध्य है।
प्रतियोगी परीक्षाएं मुख्य वजह
समस्त पुस्तकालय नोडल अधिकारी केदार पटेल ने बताया कि, संविधान से जुड़े सवाल लगभग सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में अनिवार्य रूप से पूछे जाते हैं।