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राज्य सरकार ने खरीफ सीजन 2023-24 में नवंबर 2023 से 4 फरवरी के बीच प्रदेश के सभी जिलों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की थी। 

रायपुर। छत्तीसगढ़ में पिछले खरीफ सीजन में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान 149 लाख मीट्रिक में से करीब 52 हजार मीट्रिक टन धान सोसाइटियों में जमा है। यह तथ्य खाद्य विभाग की वेबसाइट का रिकॉर्ड बता रहा है, लेकिन सोसाइटियों की जांच करने के बाद ये बात सामने आ रही है कि सोसाइटियों में केवल तीन हजार मीट्रिक टन धान बचा है। बड़ा सवाल ये है कि यह धान कहां गया? इस संबंध में मार्कफेड के एमडी रमेश शर्मा ने कहा है कि सोसाइटियों से पूछा जाएगा कि ये धान कहां गया। आंकड़ों का मिलान कर पूरी जांच की जाएगी।

राज्य सरकार ने खरीफ सीजन 2023-24 में नवंबर 2023 से 4 फरवरी के बीच प्रदेश के सभी जिलों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की थी। पूरे सीजन में 149 लाख मीट्रिक टन धान की रिकॉर्ड खरीदी की गई थी। धान खरीदी के साथ ही मिलरों को कस्टम मिलिंग के लिए सोसाइटियों से धान दिया जा रहा था, लेकिन इसके बाद 24 जून की स्थिति में रिकॉर्ड के मुताबिक सोसाइटियों (उपार्जन केंद्रो) में बाकी धान की मात्रा 52 हजार 402 मीट्रिक टन दिख रही है। मोटे तौर पर देखा जाए तो ये दिखता है कि सोसाइटियों से धान का उठाव (परिवहन) नहीं हो सका है।

सोसाइटियों में बचा है मात्र 3 हजार टन

सोसाइटियों में जब बाकी बचे धान की मात्रा की जांच की गई तो पाया गया कि मात्र 3 हजार मीट्रिक टन धान ही बाकी है । इस बात पुष्टि मार्कफेड के एमडी रमेश शर्मा ने की है। उन्होंने कहा है कि सोसाइटियों से पूछा जाएगा कि उनके पास से धान कहां गया, ये धान सूखत के कारण वजन कम होने से कम हो गया या कोई और कारण हैं। उन्होंने कहा कि जो बाकी बचा धान है, उसे तीन दिनों में उठा लिया जाएगा। इसके बाद डाटा मिलान करेंगे। सोसाइटियों से जानकारी लेंगे।

इन जिलों में बाकी दिख रहा है धान

सरकारी वेबसाईट के रिकॉर्ड के मुताबिक,  इन जिलों की सोसाइटियों (धान उपार्जन केंद्रो) में धान की बची मात्रा दिख रही है। इनमें बस्तर, बीजापुर, कांकेर, कोंडागांव, सुकमा, बिलासपुर, मुंगेली, रायगढ़, सक्ती, सारंगढ़, बिलाईगढ़, बालोद, बेमेतरा, कर्वधा, राजनांदगांव, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई, मोहला-मानपुर-चौकी, बलौदाबाजार, धमतरी, गरियाबंद, महासमुंद, बलरामपुर, जशपुर, कोरिया, सरगुजा, शामिल है। हालांकि कई जिलों में धान का पूरा उठाव होने के बाद वहां बाकी धान की मात्रा शून्य दिख रही है।
 

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