राजा शर्मा-डोंगरगढ़। छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में विराजी मां बम्लेश्वरी की अनोखी महिमा है। नवरात्रि में मां के नव स्वरूपों की नौ विधानों से पूजा-अर्चना की जाती है। अष्टमी के अवसर पर हवन-पूजन के बाद विसर्जन करने के लिए ज्योति कलश यात्रा निकाली जाती है। यह परंपरा भी माता के दरबार की तहर ही प्राचीन है। इसमें मां बमलेश्वरी ट्रस्ट समिति के सभी पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं सहित नगर के भक्त सेवा देते हैं। महिलाएं ज्योति कलश को सिर में रखकर क्रमबद्ध हो कलश विसर्जन करने के लिए प्राचीन महावीर तालाब लेकर जाती हैं। शोभायात्रा देखने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
उल्लेखनीय है कि, ऊपर पहाड़ों में विराजमान मां बमलेश्वरी और छोटी मां बम्लेश्वरी और शीतला माता मंदिर में हर साल नवरात्रि पर ज्योति कलश की स्थापना की जाती है। नवमी पर देर रात मां बम्लेश्वरी के मंदिर से ज्योति कलश यात्रा निकाली जाती है, जो प्राचीन नागा साधुओं के अखाड़ा द्वारा संचालित सिद्ध पीठ मूंछ वाले हनुमान जी मन्दिर के तालाब, जिसे महावीर तालाब कहते हैं वहां पर विसर्जन के लिए लेकर जाते हैं।
लगभभग 900 ज्योति कलश किए गए थे प्रज्जवलित
लगभग 900 ज्योति कलश को महिलाओं ने माता के दरबार से महावीर तालाब में विसर्जित किया। माता के दरबार से महावीर तालाब के बीच में मां शीतला भी विराजमान हैं। वहां पर लगभग 61 ज्योति कलश प्रज्वलित किए जाते हैं। मां बमलेश्वरी मन्दिर से निकली ज्योति कलश यात्रा अपनी छोटी बहन मां शीतला के मन्दिर पहुंचती है। इसके बाद वहां प्रज्जविल किए गए ज्योति कलश को भी निकाला जाता है और विसर्जन किया जाता है।
पुलिस प्रशासन की रहती है अहम भूमिका
शोभायात्रा देखने आए श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए शोभायात्रा के पूरे रूट में जगह-जगह पुलिस बल की तैनात रहती है। इस दौरान इस मार्ग पर आवाजाही बंद रहती है।
डोंगरगढ़- मां बम्लेश्वरी मंदिर में देर रात निकाली भव्य कलश यात्रा...देखने के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़@RajnandgaonDist #Chhattisgarh pic.twitter.com/wganD3UXG9
— Haribhoomi (@Haribhoomi95271) April 18, 2024
रेल्वे भी नहीं रहता पीछे
रेल्वे प्रशासन के अधिकारी अपने संबंधित कर्मचारियों के साथ मौके पर तैनात रहते हैं। ज्योति कलश शोभा यात्रा में रेल लाइन को भी ब्लॉक किया जाता है। चूंकी डोंगरगढ़ से हो कर जाने वाली रेल लाइन भी शोभा यात्रा के रूट में आती है। यह रेल मार्ग बहुत व्यस्त मार्ग होने के कारण ट्रेनों का आवागमन बहुत ज्यादा रहता है। कलश यात्रा समापन होने के बाद ही सारे मार्गों को खोला जाता है। शोभा यात्रा में लगभग 4 से 5 घंटे लगते हैं।