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कोतबा में गायत्री महायज्ञ के तीसरे दिन हजारों श्रद्धालुओं ने यज्ञ भगवान को गायत्री मंत्र के साथ आहुतियां समर्पित की। अखिल विश्व गायत्री परिवार कोतबा द्वारा आयोजित 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ में सतत श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है।

मयंक शर्मा। जशपुर- कोतबा। छत्तीसगढ़ के कोतबा में गायत्री महायज्ञ के तीसरे दिन हजारों श्रद्धालुओं ने यज्ञ भगवान को गायत्री मंत्र के साथ आहुतियां समर्पित की। अखिल विश्व गायत्री परिवार कोतबा द्वारा आयोजित 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ में सतत श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। यज्ञ के तीसरे दिन सैकड़ों परिजनों ने दीक्षा संस्कार कराया गया, इसके साथ विभिन्न संस्कार संपन्न हुए।

यज्ञ में शासकीय शिक्षिका ने किया आदर्श विवाह

गायत्री महायज्ञ में वर्ग 2 में बनगांव हाईस्कूल में पदस्थ शासकीय शिक्षिका मीरा भगत ने आदर्श विवाह कर समाज में एक मिसाल प्रस्तुत किया। मीरा भगत गायत्री परिवार के युवा मंडल में सक्रिय कार्यकर्ता हैं। जिनका विवाह रामावतार भगत से संपन्न हुआ। गायत्री महायज्ञ में 7 जोड़ों का विवाह संस्कार संपन्न हुआ। इस विवाह संस्कार को शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे प्रज्ञा पुरोहित वीरेंद्र तिवारी ने वैदिक पद्धति से संपन्न कराया। उन्होंने विवाह संस्कार का मर्म समझाते हुए आदर्श विवाह के लिए समाज को प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि आज खर्चीली शादियां हमें दरिद्र बनाती हैं। परम पूज्य गुरुदेव के द्वारा बनाए गए आदर्शों के अनुरुप गायत्री परिवार में आदर्श विवाह का प्रावधान है। नए जोड़ों को एसपी शशि मोहन सिंह ने पत्नी आशीर्वाद देकर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। 

7 couples got married
7 जोड़ों का हुआ विवाह 

ये कार्यक्रम भी हुए संपन्न 

जिला समन्वयक काशीराम श्रीवास, प्रमुख ट्रस्टी सहादुल सिंह ने बताया कि, इस महायज्ञ में बड़ी संख्या में संस्कार संपन्न हुए। जिसमें 110 गुरुदीक्षा संस्कार,10 मुंडन संस्कार, 50 यज्ञोपवीत संस्कार, 7 विवाह संस्कार, 5 पुंसवन संस्कार, 1अन्नप्राशन संस्कार, 7 नामकरण संस्कार, 15 विद्यारंभ संस्कार के साथ यज्ञ संपन्न हुआ।

गायत्री माता की बताई महिमा

इस अवसर पर प्रज्ञा पुरोहित वीरेंद्र तिवारी ने बताया कि, गायत्री को वेदमाता, देवमाता विश्वमाता कहा गया है। गायत्री महाविद्या है, गायत्री महामंत्र ऋषि प्रणीत मंत्र है। जिसमें परमेश्वर से सद्बुद्धि की कामना की गई है। यज्ञ और गायत्री का संबंध बहुत गहरा है। वेद शास्त्रों में बताया गया है कि, गायत्री अर्थात सद्बुद्धि, यज्ञ अर्थात सत्कर्म। इस युग में अज्ञान,अभाव आसक्ति ही दुख का पहला कारण इसका निवारण बस इतना है कि, आप श्रेष्ठ का वरण करें जो प्रकाशवान है, सविता स्वरूप है। ऐसे दिव्यता का वरण अपने जीवन में करें आप सुखी हो जाएंगे। इसके लिए जीवन में गायत्री महामंत्र का वरण करना जरूरी है। उन्होंने बताया कि, सृष्टि का हर मानव गायत्री मंत्र का जप कर सकता है। परम पूज्य गुरुदेव ने गायत्री रूपी ज्ञान गंगा का विस्तार सभी के लिए किया है।

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