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कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता राधिका खेड़ा के इस्तीफे के बाद सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि, राष्ट्रीय स्तर की महिला कांग्रेस प्रवक्ता अपमानित हुई हैं। नारी न्याय की बात करने वालों में कथनी और करनी में जमीन आसमान का फर्क होता है। 

रायपुर। छत्तीसगढ़ के राजीव भवन में उपजे विवाद के बाद कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता राधिका खेड़ा ने रविवार को अपने पद से त्याग पत्र दे दिया है। इस पूरे मामले पर सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि, राष्ट्रीय स्तर की महिला कांग्रेस प्रवक्ता अपमानित हुई हैं। नारी न्याय की बात करने वालों में कथनी और करनी में जमीन आसमान का फर्क होता है। कांग्रेस की आज दुर्गति हो रही है और एक छत्र शासन करने वाले लोग आज विलुप्त हो रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि, कांग्रेस राम विरोधी है ही। उन्होंने कांग्रेस ने राम पर प्रश्न चिन्ह खड़ा किया था और प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण भी उन्होंने स्वीकार नहीं किया था। भगवान राम का निमंत्रण हर कोई स्वीकार करता है। उसमें जाना नहीं जाना शामिल होना एक अलग बात है। निमंत्रण अस्वीकार कर आप क्या जताना चाहते हैं। ये यही जताना चाहते हैं कि, राम विरोधी हैं। वहीं तीसरे चरण का चुनाव प्रचार थमने पर सीएम श्री साय ने कहा कि, तृतीय चरण का चुनाव प्रचार थम गया है। आज राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का सूरजपुर में रैली हुई और सभा में भारी संख्या में लोग आए। एक अच्छी तरह से राष्ट्रीय अध्यक्ष के करकमलों से चुनाव प्रचार समाप्त हुआ। जहां भी हमारे नेता गए है, वहां भाजपा के पक्ष में माहौल है।

राधिका ने लिखा-  राम का नाम लेने वालों का हो रहा विरोध 

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजे इस्तीफे में राधिका खेड़ा ने लिखा है कि, आदिकाल से ये स्थापित सत्य है कि धर्म का साथ देने वालों का विरोध होता रहा है। हिरण्यकशिपु से लेकर रावण और कंस तक इसका उदाहरण हैं। वर्तमान में प्रभु श्री राम का नाम लेने वालों का कुछ लोग इसी तरह विरोध कर रहे हैं। हर हिंदू के लिए प्रभु श्री राम की जन्मस्थली पवित्रता के साथ बहुत मायने रखती है और राम लल्ला के दर्शन मात्र से जहां हर हिंदू अपना जीवन सफल मानता है। वहीं कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में हुए घटनाक्रम में मुझे नहीं मिला इंसाफ 

मैंने जिस पार्टी को अपने 22 साल से ज़्यादा दिए। जहां NSUI से लेकर AICC के मीडिया विभाग में पूरी ईमानदारी से काम किया। आज वहां ऐसे ही तीव्र विरोध का सामना मुझे करना पड़ा है। क्योंकि मैं अयोध्या में राम लला के दर्शन करने से खुद को रोक नहीं पाई। मेरे इस पुनीत कार्य का विरोध इस स्तर तक पहुंच गया कि, मेरे साथ छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में हुए घटनाक्रम में मुझे न्याय देने से इंकार कर दिया गया। मैंने हमेशा ही दूसरों के न्याय के लिए हर मंच से लड़ाई लड़ी है। किंतु जब स्वयं के न्याय की बात आई तो पार्टी में मैंने स्वयं को हारा हुआ पाया। प्रभु श्री राम की भक्त व एक महिला होने के नाते मैं बेहद आहत हूं। बार- बार पार्टी के समस्त शीर्ष नेताओं को अवगत कराने के बाद भी जब मुझे न्याय नहीं मिला। इससे आहत होकर मैंने आज यह कदम उठाया है।'

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