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 एमडी जीवी प्रसाद आईआईएम रायपुर के 13वें दीक्षांत में शामिल होने के लिए रायपुर पहुंचे थे। उन्होंने इलेक्टरोल बांड सहित दवाओं की कीमत गुणवत्ता बारे में बताया ।

रुचि वर्मा - रायपुर। इलेक्टरोल बांड योगदान करने का लीगल वे है। कई कंपनियां ऐसा करती हैं। यह कहना है डॉ. रेड्डी लैबोरेटरीज के एमडी जीवी प्रसाद का। एमडी जीवी प्रसाद आईआईएम रायपुर के 13वें दीक्षांत में शामिल होने के लिए रायपुर पहुंचे थे। हरिभूमि से विशेष बातचीत में उन्होंने इलेक्टरोल बांड सहित दवाओं की कीमत गुणवत्ता और अन्य मुद्दों पर बात की। यह पूछे जाने पर कि कुछ दवा कंपनियों के बारे में यह कहा जा रहा है कि उनके उत्पाद अमानक थे, इसके बाद उन्होंने इलेक्टरोल बांड खरीदे, उनका कहना था कि ऐसा कुछ नहीं है। इससे अधिक उन्होंने इस मुद्दे पर बात करने से इनकार कर दिया। 

गौरतलब है कि,  सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इलेक्टरोल बांड देने वाली कंपनियों के नाम सार्वजनिक कर दिए गए हैं। किस कंपनी द्वारा कौन की राजनीतिक पार्टी को चंदा दिया गया है, इसका ब्योरा इसमें है। कई दवा कंपनियों पर आरोप लग रहे हैं कि उनके द्वारा बनाई गई दवाइयां अमानक थी। उनके द्वारा सत्ताधारी पार्टी के लिए इलेक्टरोल बांड खरीदे जाने के बाद उनकी दवाइयों को मान्यता प्रदान की गई।

भारत में कीमतें सबसे कम

दवा कंपनियों द्वारा दवाइयों की कीमतों में वृद्धि और बढ़ती महंगाई को लेकर जीवी प्रसाद का कहना है कि दवाइयों की कीमत भारत में सबसे कम है। गुणवत्ता में सुधार एक सतत प्रक्रिया है और इसके लिए कंपनियां प्रयासरत रहती हैं। कीमतें और गुणवत्ता दोनों साथ-साथ चलने वाली चीजें हैं। विदेश में कीमतें भारत की तुलना में अधिक है।

सिर्फ इंजीनियिरंग ही विकल्प नहीं

केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले जीवी प्रसाद का कहना है कि उनके समय में भी छात्र इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद एमबीए करते थे। उन्होंने भी पहले केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, इसके बाद मैनेजमेंट अध्ययन किया। उनका कहना है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। स्नातक पाठ्यक्रम आपको ज्ञान देते हैं, जबकि स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम से आपका ग्रोथ और बेहतर होता है। सिर्फ इंजीनियरिंग ही विकल्प नहीं है। कॉमर्स, आर्ट्स, साइंस जैसे कई तरह के स्ट्रीम है। 

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