राजा शर्मा- डोंगरगढ़। छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ से मुख्यमंत्री कन्या विवाह में लापरवाही का मामला सामने आया है। विवाह में एक जोड़ा ऐसा मिला जिसमे वर महाराष्ट्र का रहने वाला है और वधु छत्तीसगढ़ की। जबकि कन्या विवाह योजना में पात्र होने के लिए दोनों का मूल निवासी होना जरुरी है। ऐसे में यह जांच का विषय है कि, कैसे नियमों को तक पर रखकर अन्य राज्य के युवक को इस योजना का लाभ मिला। 

दरअसल, यह पूरा मामला डोंगरगढ़ विकासखण्ड अन्तर्गत आने वाले ग्राम कोठीटोला का है। जहां पर महिला बाल विकास ने मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में 6 जोड़ों की सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आयोजन किया था। इन 6 जोड़ों में 1 में लड़का महाराष्ट्र और लड़की छत्तीसगढ़ की निवासी है। लेकिन यहां पर सवाल उठता है कि, क्या महाराष्ट्र का लड़का छत्तीसगढ़ शासन की योजनाओं का लाभ ले सकता है।

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मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में मूल निवासी ही हो सकते हैं पात्र

 सामान के नाम पर केवल खाना पूर्ति हुई 

इस विवाह समारोह में अधिकारी हिन्दू धर्म को मजाक बनाते हुए दिखे। कार्यक्रम में नव विवाहित जोड़ों का ना तो गठबंधन किया गया और न ही सही मंत्रों का उच्चारण हुआ। वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल हुए जोड़ों ने बताया कि, 4 जोड़ों को 21 हजार का चेक दिया है। वहीं वधु को श्रृंगार के लिए चांदी की जगह गिल्ट का मंगलसूत्र और बिछिया दिया गया है। अन्य जोड़ों ने बताया कि, पैसे और कुछ श्रृंगार के सामान के अलावा उन्हें कुछ नहीं मिला है। 

पूजा पद्धति के बगैर विवाह हुआ संपन्न 

वहीं इस कार्यक्रम में पूजा पढ़ने वाले पवन कुमार यादव ने बताया कि, वह गायत्री परिवार से जुड़ा हुआ है। वहीं उनसे पूछा गया तो पता चला कि, उन्हें जनेऊ धारण और शिखा बंधन के बारे में कुछ भी मालूम नहीं था। उन्होंने हिंदू पूजा पद्धति में होने वाले नियमों के बारे में जानने से इंकार कर दिया। जबकि हिन्दू पूजा पद्धति में बगैर जनेऊ और शिखा बंधन के कोई भी धार्मिक कार्य संपन्न नहीं होता है। इससे साफ पता चलता है कि, शासन की योजनाओं में अधिकारी केवल खाना पूर्ति ही कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री कन्या विवाह के दौरान मौजूद लोग

जिम्मेदारों ने नहीं दिया जवाब 

इस पूरे मामले के बारे में जिम्मेदार लोगों से उनका पक्ष जानना चाहा तो वे बचते नज़र आए। साथ ही अपने आप को अधिकृत नहीं होना बताया। हैरानी की बात है कि, इन अधिकारियों को लाखों रुपये के चेक काटने का तो अधिकार है लेकिन उसकी जानकारी देने का नहीं। इससे यह प्रतीत होता है कि, धरातल पर शासन की योजनाओं की खाना पूर्ति कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना इनकी मंशा है।