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छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक अलग तरह की हलचल है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बैज के एक बयान के बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की राजनीति भी डांवाडोल होती दिख रही है।

रायपुर।  पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में कांग्रेस नेता कमलनाथ के भाजपा में शामिल होने की अटकलों के बीच छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक अलग तरह की हलचल है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के एक बयान के बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की राजनीति भी डांवाडोल होती दिख रही है।  दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने दावा किया है कि, छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेताओं को भाजपा में शामिल होने के लिए फोन आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि, प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, मंत्रियों के फोन कांग्रेस नेताओं को आ रहे हैं और भाजपा में शामिल होने के लिए न्योता दिया जा रहा है। 

कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने रविवार को मीडिया से चर्चा में यह बयान दिया है। इससे पहले छत्तीसगढ़ की कांग्रेसी राजनीति में पहले ही मध्यप्रदेश में पार्टी की बनने वाली संभावित स्थिति को लेकर बेचैनी का आलम है। वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके सांसद बेटे नकुल नाथ के बारे अटकलें हैं कि वे जल्द ही भाजपा में प्रवेश करने वाले हैं। साथ ही ये भी चर्चा है कि, ये दोनों अपने साथ कांग्रेस के दर्जनभर विधायकों को भी ले जाने वाले हैं। लिहाजा कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के बयान को मप्र के राजनीतिक हालात से जोड़कर देख रहे राज्य के कांग्रेसियों के सामने कठिन स्थिति नजर आ रही है।

हार के बाद कांग्रेस डांवाडोल

2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को भाजपा के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा है। इस हार के सदमे से लगता है, पार्टी अब तक उबर नहीं पाई है। 90 सीटों वाली विधानसभा में वर्तमान में कांग्रेस के 35 विधायक हैं। इनमें से अधिकांश ऐसे हैं, जो पहली बार चुनाव जीतकर आने वाले नए चेहरे हैं। पार्टी को ये डर हो सकता है कि कुछ नए तथा कुछ पुराने विधायक और भाजपा के चक्कर में आए तो पार्टी के लिए फजीहत हो सकती है।

अगर विधायक टूटे तो लोकसभा चुनाव पर असर

राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि, सियासी तौर पर खस्ताहाल हो रही छत्तीसगढ़ कांग्रेस के विधायक अगर भाजपा के पक्ष में गए तो पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव में बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है। हालांकि लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का रिकार्ड बेहद खराब रहा है। यहां पार्टी 11 में से एक-दो सीट ही जीत पाती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी केवल दो सीटें बस्तर और कोरबा जीत पाई थी, लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव के हिसाब से देखा जाए तो पार्टी अभी केवल एक सीट पर जीतने की स्थिति में दिख रही है।
 

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