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साहब.. का कहे परिवार चलाने के लिए सब कुछ करना पड़ता है। हम लोग गांव-गांव में टीना टप्पर बीनने के बाद कबाड़ी को बेचकर परिवार चलाते हैं।

सचिन अग्रहरि- राजनांदगांव। साहब.. का कहे परिवार चलाने के लिए सब कुछ करना पड़ता है। हम लोग गांव-गांव में टीना टप्पर बीनने के बाद कबाड़ी को बेचकर परिवार चलाते हैं। परिवार बड़ा होने पर जब घर चलाने में मुश्किलें होने लगी तो हमने अपनी बेटियों को आर्केस्ट्रा में कलाकार के रूप में भेजना शुरू कर दिया। छत्तीसगढ़ से ज्यादा बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों में शादी-ब्याह सहित अन्य मौकों पर बेटियां अपने कार्यक्रमों में प्रस्तुति देती हैं। आर्केस्ट्रा में नौ माह काम करने के लिए लड़कियों को एक लाख रुपए मिलता है। बिहार के रोहतास में उन्हें क्यों पकड़ा गया है, हमें इसकी जानकारी नहीं। परिवार के कुछ लोग वहां गए हैं, लेकिन अभी उनसे मुलाकात नहीं हो सकी है। 

यह कहना है उन परिवार के सदस्यों का जिनकी लड़कियां बिहार के रोहतास के लेड लाइट एरिया में पकड़ाई है। हरिभूमि की टीम ने जब चिचोला, डोंगरगढ़, सोमनी और राजनांदगांव की इन लड़कियों के परिवारजनों से बातचीत की तो उनका दर्द छलक गया। परिवारजनों का कहना है कि उनकी लड़कियां देह व्यापार नहीं कर रही है, ब्लकि उनका मूल काम नाचने-गाने का है। उनकी कई पीढ़ियां इसी कामों को करते आ रही है। पुलिस ने क्यों पकड़ा, इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन वह यह भी कहते हैं कि यदि आर्केस्ट्रा में वे काम नहीं करेंगे तो उनका जीवन-यापन कैसे होगा? उन्होंने बताया कि हर साल आर्केस्ट्रा वाले एक लाख रुपए देकर नौ माह का अनुबंध करते हैं। उनकी लड़कियां पुश्तैनी नाचना और गाना करती है न कि देह व्यापार। 

दोस्त के साथ गया था कार्रवाई में फंस गया 
रोहतास में छत्तीसगढ़ के एक लड़के ने यह कहा कि वह अपने दोस्त के साथ यहां एक कार्यक्रम में शामिल होने आया था। कार्यक्रम के बाद वह अपने रिश्तेदार के यहां रूका था, जहां उसे पुलिस ने पकड़ लिया। वहीं दुर्ग का एक नाबालिग लड़का भी मिला है। 

Rajnandgaon police Raid

थाना में गुमशुदगी की रिपोर्ट नहीं 
बिहार के रोहतास में पकड़ाई अधिकांश लड़कियां राजनांदगांव जिले की हैं। जिसमें चिचोला क्षेत्र की सात, राजनांदगांव की एक, डोंगरगढ़ की एक है। वहीं तीन लड़के भी गिरफ्तार किए गए हैं। जिसमें एक सोमनी और एक चिचोला क्षेत्र का है। हरिभूमि की पड़ताल में यह भी पता चला है कि परिवारजनों की इच्छा से ही लड़कियां आर्केस्ट्रा में काम कर रही थी। किसी भी थानो में इन लड़कियों के गुमशुदगी की कोई रिपोर्ट भी दर्ज नहीं है। परिवार से यह भी पता चला है कि सभी लड़कियां नाबालिंग नहीं थी। 

41 में चार किशोरी रायपुर टिकरापारा इलाके की रहने वाली 
रायपुर। बिहार, रोहतास स्थित रेड लाइट एरिया में पिछले दिनों रेस्क्यू की गई 41 किशोरियों में चार लड़कियां रायपुर टिकरापारा इलाके की हैं। लड़कियों को रेस्क्यू करने एएसपी सिटी पश्चिम दौलतराम पोर्ते के नेतृत्व में पुलिस की टीम रोहतास पहुंची है। परिजनों ने पूछताछ में बताया है कि उनकी लड़कियां पूर्व में तीन बार काम की तलाश में बिहार के अलावा अन्य राज्यों में जा चुकी हैं। पूछताछ में परिजनों ने पुलिस को बताया है कि उनकी लड़कियां बिहार में काम के सिलसिले में गई तो वहां मानव तस्करी से जुड़े गिरोह के लोगों ने लड़कियों को मोटी रकम का लालच देकर नाच-गाना पार्टी में शामिल किया। साथ ही उन्हें रहने तथा मुफ्त में भोजन देने का झांसा देकर अपने जाल में फंसाया। कुछ दिन गांव-गांव घूमकर नाच-गाना कराने के बाद लड़कियों को देह व्यापार से जुड़े रैकेट के हाथों बेच दिया गया। 

घूमंतु जाति से जुड़ी हैं लड़कियां 
पुलिस के अनुसार रायपुर की रेस्क्यू लड़कियां घूमंतु समुदाय से हैं। लड़कियों के परिजन कबाड़ का काम करने के साथ ही कचरा बिनने का काम करती हैं। पुलिस जानकारी जुटाने की कोशिश कर रही है कि किसी मानव तस्करी करने वाले गिरोह ने लड़कियों को अपने साथ बहला फुसलाकर तो नहीं ले गया था। लड़कियों के रायपुर आने के बाद पुलिस इस संबंध में उनसे पूछताछ करेगी।

लड़कियों ने कहा : हमारा पेशा है नाचना 
सूत्रो ने बताया कि बयानी कार्रवाई में कई लड़कियों ने यह कहा है कि उनका पीढ़ी दर पीढ़ी पेशा नाचना और गाना है। वह इस कला को नहीं छोड़ सकती। उन्होंने यह भी कहा कि यदि काम छूट जाएगा तो आखिर अपना परिवार कैसे चलाएगी। वहीं एक-दो लड़कियों ने पुलिस से कहा है कि वह अब वापस यहां नहीं आएगी। बयान में अभी तक देह व्यापार की पुष्टि नहीं हुई है।

दादी के साथ गई थी वहीं शादी हो गई 
हरिभूमि पड़ताल के दौरान एक लड़की के परिवारजनों ने बताया कि कुछ साल पहले उनकी लड़की अपनी दादी के साथ बिहार गई थी। वहां वह आर्केस्ट्रा में काम करने लगी और फिर वहीं उसकी शादी भी हो गई। परिवार ने बताया कि लड़की का हमेशा फोन आता रहता है और बीच-बीच में वह पैसा भी यहां भेजती है। 

परिवार को सौंपने की तैयारी 
बिहार की बाल कल्याण समिति द्वारा छग की 41 लड़कियों के बयान लिए जाने के बाद उन्हें छत्तीसगढ़ पुलिस को सौंपा जाएगा। पुलिस द्वारा परिवारजनों को सौंपे जाने की तैयारी की जा रही है।

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