डागेश यादव-रायपुर। अब वह ऐतिहासिक पल दूर नहीं जब अयोध्या में रामलला विराजमान होंगे। देशभर में कई अनुष्ठान जारी हैं। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ में भी ‘भांचा राम महोत्सव’ के तहत विभिन्न आयोजन किए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि, तत्कालीन कोसल प्रदेश की राजकुमारी और अयोध्या की रानी कौशल्या के गर्भ से ही प्रभु राम का जन्म हुआ। इस नाते छत्तीसगढ़ श्री राम को अपना भांचा मानता है।
ऐसे हुआ था कौशल्या-दशरथ विवाह
त्रेतायुग में छत्तीसगढ़ को कोसल या दण्डकारण्य के नाम से जाना जाता था। उस समय कोसल प्रदेश के राजा भानुमंत थे। वाल्मिकी रामायण के अनुसार, अयोध्या के युवराज दशरथ के राज्याभिषेक के अवसर पर राजा भानुमंत को भी आमंत्रित किया गया था। राजा भानुमंत अपनी बेटी व राजकन्या भानुमति के साथ समारोह में गए हुए थे।
कोसल प्रदेश की राजकुमारी होने के कारण उन्हें कौशल्या कहा गया
तब युवराज दशरथ भानुमति के सौंदर्य और सरल व्यवहार पर मोहित हो गए। फिर उन्होंने राजा भानुमंत के सामने उनकी बेटी से विवाह का प्रस्ताव रखा। इस तरह से दशरथ जी का विवाह राजकुमारी भानुमति से हुआ। कोसल प्रदेश की राजकुमारी होने के कारण ही रानी भानुमति को कौशल्या कहा जाने लगा।
छत्तीसगढ़ में भांचे का है विशेष स्थान
इस तरह से कौशल्या के पुत्र श्री राम कोसल प्रदेश के भांचा हुए। छत्तीसगढ़ के लोग इस रिश्ते को आत्मीयता के साथ निभाते हैं। यहां के लोग अपनी बहन को माता कौशल्या और भांचे को प्रभु राम का रूप मानकर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं।
चंदखुरी में है माता कौशल्या का भव्य मंदिर
आठवीं या नवमीं सदी में छत्तीसगढ़ के चंदखुरी में माता कौशल्या का भव्य मंदिर बनाया गया। यह मंदिर राजधानी रायपुर से महज 20 किमी की दूरी पर स्थित है। यह दुनिया का इकलौता कौशल्या मंदिर है। यह भव्य मंदिर प्राकृतिक छटाओं से घिरा हुआ है। मंदिर के गर्भगृह में प्रभु राम माता कौशल्या की गोद में विराजे हैं। उनकी दिव्य मूर्ति के दर्शन के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंते हैं।
वनवास के दौरान छत्तीसगढ़ में 10 वर्ष तक रहे प्रभु राम
बताया जाता है कि, अपने वनवास काल के दौरान श्रीराम ने 10 वर्ष से भी अधिक समय छत्तीसगढ़ में व्यतीत किया था। इसके बाद वे दक्षिण की तरफ गए। इस वजह से ही इसे दक्षिण पथ भी कहा जाता है।
कौशल्या मंदिर में होगी महाआरती, मनाया जाएगा दीपोत्सव
माता कौशल्या जन्मभूमि सेवा संस्थान के उपाध्यक्ष भारत भूषण साहू ने बताया कि, 21 जनवरी की शाम से यहां महोत्सव की शुरुआत होगी। सुबह 8 बजे मंगल आरती, पूजा-अर्चना के बाद दोपहर 12 बजे अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा होगी। ठीक उसी समय कौशल्या माता मंदिर में महाआरती होगी। शाम 6 बजे 21 हजार दीपों के साथ महाआरती की जाएगी और दीपावली मनाई जाएगी।