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महानदी के तट पर बसी पुरानगरी सिरपुर स्थित 6वीं शताब्दी का लक्ष्मण मंदिर जिले की पहचान है। लक्ष्मण की चर्चा राम के बिन अधूरी है, यह बात सिरपुर में भी प्रमाणित होती है।

■ लक्ष्मण देवालय के ठीक सामने परिसर में विराजित रहे थे कभी विष्णु अवतारी राम

रत्नेश सोनी - महासमुंद। छत्तीसगढ़ ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों से भरा हुआ है। छत्तीसगढ़ अनादिकाल से ही देवभूमि के रूप में प्रतिष्ठित है। इस भूमि पर मंदिर, मठ और विभिन्न संप्रदायों के मंदिर हैं, जो पौराणिक हैं और पूरे देश के लोगों को अपनी और आकर्षित करते हैं। उन्हीं में से एक सिरपुर में स्थित लक्ष्मण मंदिर है जिसने छत्तीसगढ़ को विश्वस्तरीय पहचान दिलाई है। महानदी के तट पर बसी पुरानगरी सिरपुर स्थित 6वीं शताब्दी का लक्ष्मण मंदिर जिले की पहचान है। लक्ष्मण की चर्चा राम के बिन अधूरी है, यह बात सिरपुर में भी प्रमाणित होती है। 6वीं शताब्दी में लाल ईंटों से बने लक्ष्मण मंदिर के ठीक सामने स्थित परिसर भगवान विष्णु को समर्पित हैं और यह मंदिर राम का है। इतिहासकारों और पुरातत्वविदों द्वारा लक्ष्मण मंदिर को अधिक महत्व देने का कारण यह सामने आया कि सिरपुर की खुदाई में मिला सर्वाधिक सुरक्षित मंदिर लक्ष्मण देवालय ही है। बताना चाहेंगे कि सिरपुर में केवल लक्ष्मण नहीं, बल्कि राम भी हैं और शिव भी।

लक्ष्मण मंदिर के ठीक सामने स्थित परिसर में युगल मंदिरों की परंपरा में 2 मंदिरों के अवशेष आज भी मौजूद है। भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के तहत इन मंदिरों के अवशेष आज भी सुरक्षित है, जिसमें एक पूरी तरह और दूसरा आंशिक तौर पर ध्वस्त हो चुका है। 6वीं शताब्दी में बने इन मंदिरों के सामने के अवशेष आवास और शिक्षा के लिए प्रयोग किए जाते रहे होंगे। त्रिरथ पद्धति से बने इन दोनों मंदिरों में 9-9 सीढ़ियों से मुख्य द्वार तक पहुंचा जाता है। यहां गर्भगृह में फिलहाल कोई मूर्तियां नही हैं। लेकिन, राम और शिव मंदिर होने के स्पष्ट प्रमाण मिलते हैं। राम मंदिर के ठीक बाई ओर स्थित मंदिर में उत्तर की ओर पानी निकासी की व्यवस्था शिव मंदिर होने को प्रमाणित करता है। बताया जाता है कि बौद्ध अनुयायियों के अलावा शैव और वैष्णव अनुयायियों का यह प्रमुख मंदिर रहा होगा।

राम मंदिर भी ईंटों से बना

लाल ईंटों से बने राम मंदिर में ईंटों के आकार का बड़ा अच्छा संयोग है। यह संयोग प्राचीन ग्रंथ मयमतम के अनुसार फिट बैठता है, जिसमें ईंटों की ऊंचाई का अनुपात एक, चौड़ाई का अनुपात तीगुना और लंबाई का अनुपात चौड़ाई का दोगुना होने का उल्लेख है। जिसके अनुसार मंदिर में लगी ईंटों की लंबाई 42 सेमी, चौड़ाई 21 सेमी और मोटाई 7 सेमी है।

दक्षिण में पुजारियों का निवास

राम और शिव मंदिर के दांयी ओर याने दक्षिण की ओर पुजारियों का निवास होना प्रमाणित होता है। सिरपुर में हुई खुदाई में यहां पुराने बर्तन भी मिले। लोटा, मटके और तश्तरी के साथ यहां लोहे का चिमटा, कुल्हाड़ी, तांबे के कटोरे, पत्थर के सील लोढ़ा सहित 6 फिट गुणा 6 फिट के तीन भूमिगत कमरे भी खुदाई में मिले, जिनमें किए गए चूने के प्लास्टर आज भी सुरक्षित हैं।

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