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छत्तीसगढ़ राज्य पॉवर कंपनी ने लारा से जो अब तक बिजली खरीदी है, उसमें 15 सौ करोड़ का अंतर आया है। 

रायपुर। हर माह ऊर्जा प्रभार पर जो फार्मूला फ्यूल पॉवर परचेज एडजस्टमेंट सरचार्ज (एफपीपीएएस) का शुल्क तय होता है, अक्टूबर से इसको दो हिस्सों में लिया जा रहा है। एक हिस्सा तो नियमित है, लेकिन दूसरा हिस्सा एनटीपीसी लारा के टैरिफ के अंतर का है। केंद्रीय बिजली नियामक आयोग ने लारा का 2019 से अब तक का जो टैरिफ तय किया है, उसके कारण छत्तीसगढ़ राज्य पॉवर कंपनी ने लारा से जो अब तक बिजली खरीदी है, उसमें 15 सौ करोड़ का अंतर आया है। अब इसको छत्तीसगढ़ राज्य पॉवर कंपनी को छह किस्तों में देना है, इसलिए उपभोक्ताओं से इसकी वसूली छह किस्तों में छह माह तक होगी। इसका प्रारंभ अक्टूबर से हो चुका है।

छत्तीसगढ़ राज्य पॉवर कंपनी प्रदेश के उपभोक्ताओं को जो बिजली उपलब्ध कराती है, वह बिजली उसके अपने संयंत्रों के साथ ही एनटीपीसी और अन्य संयंत्रों से ली जाती है। इसकी खरीदी पॉवर कंपनी करती है और इसका भुगतान किया जाता है। बिजली की उत्पादन लागत भी हर माह कम ज्यादा होने के कारण इसको टैरिफ में न जोड़कर इसके लिए एफपीपीएएस के माध्यम से इसका शुल्क उपभक्ताओं से अलग से लिया जाता है। पहले यह शुल्क वीसीए के रूप में लिया जाता था, लेकिन पिछले साल से इसको एफपीपीएस के माध्यम से लिया जाता है।

अचानक आया बकाया का मैसेज

प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को दिसंबर का बिल जमा करने के बाद भी अचानक नए साल में बकाया होने का मैसेज आया। किसी उपभोक्ता का 70 रुपए तो किसी का 130 रुपए, किसी का 170 रुपए तो किसी का दो सौ रुपए और कई का इससे ज्यादा भी बकाया होने का मैसेज आया। इसके बारे में पॉवर कंपनियों के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने बताया दरअसल यह लारा के टैरिफ के अंतर की नवंबर में ली जाने वाली राशि है। कंपनी के अधिकारियों ने इसको पहले की तरह ही बिल में लेने की बात कही है और कहा है कि इसको अभी जमा करने की जरूरत नहीं है।

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छह माह लगेगा डबल शुल्क

पॉवर कंपनी एनटीपीसी लारा से 2019 से आठ सौ मेगावाट बिजली रोज ले रही है। लारा में 800 मेगावाट के दो संयंत्र हैं, इसमें से एक की बिजली छत्तीसगढ़ राज्य पॉवर कंपनी को मिलती है। पॉवर कंपनी जिन भी सरकारी या निजी कंपनियों से बिजली लेती है, उसका टैरिफ केंद्र और राज्य का बिजली नियामक आयोग तय करता है। एनटीपीसी का टैरिफ केंद्र के बिजली नियामक आयोग से तय होता है। इसका जो टैरिफ तय हुआ है और पॉवर कंपनी ने अब तक जो उससे बिजली ली है, उसमें करीब 30 पैसे यूनिट का अंतर होने के कारण 1502 करोड़ के अंतर की राशि हो गई है। इसको छह माह के अंतर में देने का आदेश हुआ है। इससे ज्यादा समय लगने पर सरचार्ज भी लग सकता है। इसलिए पॉवर कंपनी अब उपभोक्ताओं से इसकी वसूली कर रही है। दिसबंर में जो नवंबर का बिल आया था, उसमें अक्टूबर की खपत पर एफपीपीएएस लगा है। यह दो हिस्सों में लिया गया। पहला नियमति वाला करीब दस फीसदी और दूसरा लारा वाला सवा सात फीसदी था। अब नवंबर का एफपीपीएस तय किया गया है उसमें नियमित वाला 8.94 फीसदी और लारा वाला 7.99 फीसदी है। जनवरी में जो दिसंबर का बिल आएगा, उसमें नवंबर की खपत पर एफपीपीएएस शुल्क लिया जाएगा।

अंतर की राशि ले रहे

राज्य पॉवर वितरण कंपनी के एमडी भीमसिंह ने बताया कि, केंद्रीय बिजली नियामक आयोग ने एनटीपीसी लारा का जो टैरिफ तय किया है, उसके कारण उससे जो अब तक बिजली ली गई है, उसमें 1502 करोड़ रुपए का अंतर आ रहा है। इसको ही उपभोक्ताओं से लिया जा रहा है।

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