रायपुर। प्रदेश के नगरीय निकाय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को जनता जर्नादन ने क्लीन स्वीप दी है। इस ऐतिहासिक जीत को लेकर एक तरफ आम जनता अपने शहर के मुखिया से उम्मीद लगाए बैठी है और दूसरी ओर शहरी सत्ता में अपनी नई भूमिका और जनता से मिले भरोसे को संजोने नए महापौर कुछ नया करने की सोच रखते हैं। नए महापौर नई बात कड़ी में हरिभूमि और आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने प्रदेश के अलग-अलग नगर निगमों के मेयर से उनका विजन जानने बातचीत को माध्यम बनाया है। इसी कड़ी में पेश है धमतरी नगर निगम के नवनिर्वाचित महापौर रामू रोहरा से बातचीत के प्रमुख अंश-
संपत्ति कर व सफाई व्यवस्था को लेकर आपकी क्या सोच है ?
नगर निगम के आर्थिक स्त्रोत बढ़ाने हमारे पास कमर्शियल कंप्लेक्स है, उसकी नीलामी नहीं हो रही थी। इसके लिए टेंडर जारी किए गए हैं। बारिश के समय जलभराव धमतरी शहर का सबसे बड़ा मुद्दा है। इससे निजात पाने हमने बेंगलुरु पैटर्न पर सोख पिट बनाना प्रारंभ किया है। रायपुर से इसके लिए कंसलटेंट बुलाया था। यदि सोख पिट बना लिया जाये तो इससे बारिश का पानी सहेज पाएंगे और जलभराव की समस्या का समाधान भी कर पाएंगे। हमने इसका प्रयास किया है।
धमतरी निगम में भाजपा को क्लीन स्वीप मिली है। 40 में से 27 वार्डों में भाजपा के प्रत्याशी चुनाव जीतकर वार्ड पार्षद बने, यह कैसे हुआ ?
पूरे प्रदेश में भाजपा के पक्ष में बहुत अच्छा माहौल रहा। न केवल धमतरी बल्कि प्रदेश के 10 नगर निगमों में यही देखने में आया। न केवल नगरीय निकाय बल्कि नगरपालिका, नगर पंचायत के चुनाव में भी यही हुआ है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव की साय सरकार प्रदेश में सांय-सांय काम कर रही है, उसका प्रभाव भी देखने को मिला है। 40 वार्ड में मैंने जनसंपर्क किया, ये उसी का परिणाम है।
एक या सवा साल में सांय-सांय सरकार ने ऐसा क्या काम किया है कि एकतरफा जनादेश मिला ?
पांच साल में कांग्रेस के महापौर ने यहां के नगर निगम में भ्रष्टाचार का काम किया है। यही एक बड़ा मुद्दा रहा, जिसकी वजह से यहां की जनता ने भाजपा को एकतरफा जीत दिलाई। पांच रुपये की कीमत वाली रिफील को 80 रुपये में खरीदा गया। 40 रुपये की फिनाइल की 675 रुपये में खरीदी की गई। 40 से 50 रुपये वाली हार्षिक 450 रुपये खरीदी गई। जनता के दैनिक उपयोग की चीजों में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है। विकास के कार्य में खर्च करने की जगह कुर्सी खरीदने में पैसा लगाया। 2.50 करोड़ रुपये की कुर्सी खरीदी गई। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के बाद भी धमतरी नगर निगम के लिए फंड नहीं ला पाए। हमने महापौर बनते ही प्रदेश के मुखिया विष्णुदेव साय से आग्रह कर 25 से 30 करोड़ रुपये का फंड स्वीकृत कराया।