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सीएफएल की रोशनी में सेवंती फूल की बेहतर पैदावार हुई। अब दूसरे फूलों के अलावा पपीता, साग- सब्जियों की पैदावार में यह तकनीक अपनाई जा रही है।

रायपुर।  इंदिरा गांधी कृषि विवि में सीएफएल बल्ब से फल, फूल सहित साग- सब्जियों की खेती लोगों को सोचने पर मजबूर कर सकती है। विवि ने नवाचार के अंतर्गत उन्नत प्रशिक्षण के माध्यम से पॉली हाउस में यह कर दिखाया है। इस नवाचार के बाद अब किसान पॉली हाउस में भी यह प्रयोग करने लगे हैं। सीएफएल की रोशनी में सेवंती फूल की बेहतर पैदावार हुई। अब दूसरे फूलों के अलावा पपीता, साग- सब्जियों की पैदावार में यह तकनीक अपनाई जा रही है। कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो सीएफएल से जहां आर्द्रता पर नियंत्रण किया जा सकता है, वहीं सूक्ष्म कीटों का प्रकोप कम हो जाता है, क्योंकि सीएफएल की रोशनी से कई कीड़े मर जाते हैं, इनकी संख्या में बढ़ोतरी नहीं होती। इसके चलते फसलों को, खासकर कीटों से नुकसान नहीं होता। सामान्य प्रकाश जैसे सूर्य की रोशनी के अलावा करीब पांच से छह घंटे अतिरिक्त लाइट खासकर रात और दिन में मिलने से आर्द्रता में कमी आती है।

पहला प्रयोग रहा सफल

ठंड के समय में अच्छी धूप नहीं मिलने से पॉली हाउस की खेती प्रभावित होती है। बल्ब की रोशनी से पैदावार को नुकसान नहीं होता। मैदानी क्षेत्रों में अब इस प्रयोग को अपनाया जा रहा है। जानकारी के अनुसार कृषि विवि के पॉली हाउस में आधे एकड़ में पहली बार सेवंती फूल की खेती सीएफएल की रोशनी से की गई, जो सफल रही। पूरे प्लांटेशन एरिया में फूल के करीब 2000 गुच्छे मिले थे। आमतौर पर आधा एकड़ में 12 सौ से ज्यादा गुच्छे नहीं मिलते। सेवंती के पौधे ढाई से तीन फुट ही रहते हैं। नए प्रयोग के पौधों की ऊंचाई पांच फुट से ज्यादा है।

फोटो पीरियड में बदलाव

विवि के वैज्ञानिकों ने बताया कि पॉली हाउस में पांच सेंटीमीटर ऊंचाई के पौधे लगाए गए। उसके बाद ऊंचाई बढ़ाने के लिए सामान्य प्रकाश जैसे सूर्य की रोशनी के अलावा करीब पांच से छह घंटे अतिरिक्त रोशनी इन पौधों को दी गई। शाम 6 से लेकर रात 11-12 बजे तक सीएफएल बल्ब का इस्तेमाल कर इन पौधों को प्रकाश उपलब्ध कराया गया। ज्यादा समय तक पौधों को प्रकाश मिलने की वजह से उनका फोटो पीरियड बदला, जिसका फायदा मिला। सब्जियों में यह प्रयोग सफल साबित हुआ। किसान पॉली हाउस में वैज्ञानिक की मदद से खेती कर रहे हैं।

दायरा बढ़ाने की तैयारी

विश्वविद्यालय इस फार्मूले से फूलों की खेती के नतीजे देखकर अब इसका दायरा बढ़ाने की तैयारी में है। वैज्ञानिक डॉ. पीआर शर्मा की निगरानी में पूरी फसल तैयार की गई थी। विवि के विशेषज्ञों के अनुसार सामान्य तौर पर सेवंती के पौधे का उपयोग लूज फूल के रूप में किया जाता है। इसकी कीमत कम होती है, यहां इसे सजावटी व मार्केटिंग फूल के रूप में तैयार किया गया। इसके लिए पौधे की प्राकृतिक अवस्था को कृत्रिम रूप में बदला गया।

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