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मंगोलपुरी सीट पर जातीय समीकरण हमेशा से चुनावी नतीजों को प्रभावित करते रहे हैं। यह सीट एससी आरक्षित होने के कारण अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़े वर्गों का मजबूत वोट बैंक रखती है। वहीं, इस बार आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस (INC) ने अपने-अपने मजबूत उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं।  

Mangolpuri seat Delhi Elections 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में मंगोलपुरी सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है। यह सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है, जहां जातीय समीकरण और स्थानीय समस्याएं चुनावी नतीजों में अहम भूमिका निभा सकती हैं। इस बार आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस (INC) ने अपने-अपने मजबूत उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं।  

जातीय समीकरणों का अहम प्रभाव

मंगोलपुरी सीट पर जातीय समीकरण हमेशा से चुनावी नतीजों को प्रभावित करते रहे हैं। यह सीट एससी आरक्षित होने के कारण अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़े वर्गों का मजबूत वोट बैंक रखती है। यहां जाटव और खटीक समाज का खासा प्रभाव है, जिससे उम्मीदवारों का चयन भी इसी आधार पर किया जाता है।  

मंगोलपुरी सीट से मैदान में हैं ये उम्मीदवार 

इस बार के दिल्ली विधानसभा के चुनाव में AAP ने राकेश जाटव को टिकट दिया, आम आदमी पार्टी ने इस बार मौजूदा विधायक राखी बिड़लान की जगह पार्षद राकेश जाटव को उम्मीदवार बनाया है। जाटव समाज का मंगोलपुरी में अच्छा प्रभाव माना जाता है। BJP ने राजकुमार चौहान पर दांव लगाया है, बीजेपी ने कांग्रेस के पूर्व मंत्री और चार बार विधायक रह चुके राजकुमार चौहान को मैदान में उतारा है, जो खटीक समाज से आते हैं। वहीं, कांग्रेस ने हनुमान चौहान को मौका दिया है, कांग्रेस ने पहले सतीश कुमार को टिकट दिया था, लेकिन बाद में हनुमान चौहान को प्रत्याशी बनाया गया। जातीय समीकरणों के चलते तीनों पार्टियां वोटरों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।  

इलाके की प्रमुख समस्याएं बनीं चुनावी मुद्दा

मंगोलपुरी विधानसभा क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं की स्थिति काफी खराब है। जनता की सबसे बड़ी शिकायत है कि इलाके में साफ-सफाई नहीं होती और गंदगी की भरमार है।  

  1. सड़कों और नालियों की बदतर स्थिति: जगह-जगह गड्ढों से भरी सड़कें और जर्जर नालियां लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई हैं। बरसात में जलभराव की समस्या विकराल हो जाती है।  
  2. पार्कों और बस टर्मिनल की बदहाली: क्षेत्र में कई पार्क हैं, लेकिन रखरखाव के अभाव में ये बदहाल पड़े हैं। डी-ब्लॉक बस टर्मिनल की हालत भी बेहद खराब है।  
  3. अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर की जरूरत: संजय गांधी अस्पताल में बनने वाला ट्रॉमा सेंटर अब तक पूरा नहीं हो सका, जिससे लोगों को गंभीर स्थिति में दूसरे अस्पतालों का रुख करना पड़ता है।  
  4. यातायात और आवारा पशुओं की समस्या: संकरी गलियों और अव्यवस्थित ट्रैफिक के कारण जाम की समस्या आम है। इसके अलावा, सड़कों पर घूमते आवारा पशु भी परेशानी बढ़ाते हैं।  

क्या कहते हैं राजनीतिक आंकड़े?

1993 से लेकर अब तक हुए सात विधानसभा चुनावों में बीजेपी इस सीट पर खाता नहीं खोल पाई है। आम आदमी पार्टी ने पिछले तीन चुनावों में लगातार जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस यहां मजबूत पकड़ बनाए हुए थी। साल 2013, 2015 और 2020 में AAP की राखी बिड़लान ने लगातार तीन बार जीत दर्ज की। वहीं, 1998 से 2013 तक कांग्रेस के राजकुमार चौहान यहां से विधायक रहे थे। बीजेपी अब तक इस सीट पर जीत दर्ज करने में असफल रही है, लेकिन इस बार कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे राजकुमार चौहान को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है, जिससे मुकाबला दिलचस्प हो गया है।  

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क्यों माना जा रहा इस बार का मुकाबला दिलचस्प?

AAP की रणनीति ये है कि पार्टी ने अपनी मौजूदा विधायक राखी बिड़लान की जगह नए चेहरे राकेश जाटव को उतारकर नए सिरे से प्रचार अभियान चलाया है। BJP की उम्मीदें ये है कि कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए राजकुमार चौहान के जरिए बीजेपी इस बार सीट जीतने की पूरी कोशिश कर रही है। कांग्रेस की मजबूती ऐसे है कि पार्टी ने हनुमान चौहान को टिकट दिया है, जो जातीय समीकरण के हिसाब से मजबूत माने जा रहे हैं।

मंगोलपुरी की जनता के लिए यह चुनाव बुनियादी सुविधाओं की बहाली और विकास के कामों पर आधारित होगा। जातीय समीकरण, उम्मीदवारों की साख और पार्टियों की चुनावी रणनीतियां इस सीट के नतीजे को तय करेंगी। 8 फरवरी को यह साफ हो जाएगा कि मंगोलपुरी में किस पार्टी का परचम लहराएगा।

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