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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के संदर्भ में आम आदमी पार्टी (AAP) की स्थिति को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। AAP के लिए यह तीसरा टर्म होगा, और पार्टी दिल्ली में सत्ता में बनी हुई है। कांग्रेस ने पिछले दो चुनावों में अपनी हार से सीखते हुए इस बार AAP को चुनौती देने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।

Delhi Assembly Elections 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए तारीखों का ऐलान हो गया है। चुनाव आयोग ने बताया कि दिल्ली में 70 विधानसभा सीटों पर मतदान 5 फरवरी 2025 को होगा और मतगणना 8 फरवरी को होगी। इस बार दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी 2025 को समाप्त हो रहा है। इन चुनावों में कुल 1.55 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। चुनावी तैयारियों के बीच दिल्ली में राजनीतिक दलों की स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करना अहम हो गया है। आइये जानते हैं पिछले चुनावों के आंकड़ों और वोटिंग प्रतिशत के आधार पर दिल्ली में किसकी सरकार बनने के संकेत मिल रहे हैं।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी का तीसरा टर्म

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के संदर्भ में आम आदमी पार्टी (AAP) की स्थिति को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। AAP के लिए यह तीसरा टर्म होगा, और पार्टी दिल्ली में सत्ता में बनी हुई है। 2013 में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी, लेकिन यह सरकार ज्यादा समय तक चल नहीं पाई। इसके बाद 2015 में हुए विधानसभा चुनावों में AAP ने 67 सीटों के साथ धमाकेदार जीत दर्ज की और बीजेपी को मात्र 3 सीटों पर ही संतुष्ट होना पड़ा। 2020 के चुनाव में भी AAP ने 62 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि भाजपा के खाते में सिर्फ 8 सीटें आईं और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल सका।

कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत लगाई, पर क्या होगा असर?

कांग्रेस ने पिछले दो चुनावों में अपनी हार से सीखते हुए इस बार AAP को चुनौती देने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने अरविंद केजरीवाल की सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए और उन्हें एंटी-नेशनल तक कह दिया। कांग्रेस अब दिल्ली की जनता से फिर से संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रही है और वह AAP के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए तत्पर है। हालांकि, कांग्रेस के सामने सबसे बड़ा चुनौती AAP की बढ़ती लोकप्रियता और भाजपा का मजबूत वोट बैंक है।

साल 2013, 2015 और 2020 चुनावों के नतीजे: क्या रहे हैं परिणाम?

अगर हम 2013, 2015 और 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनावों के नतीजों की बात करें, तो एक स्पष्ट तस्वीर सामने आती है। 2013 में AAP को 28 सीटें मिलीं, भाजपा को 31 सीटें और कांग्रेस को 8 सीटें। हालांकि, AAP ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई, लेकिन इस गठबंधन का ज्यादा समय तक टिकना मुमकिन नहीं था। इसके बाद 2015 में AAP ने 67 सीटें जीतने में सफलता पाई, भाजपा को 3 सीटों पर संतोष करना पड़ा और कांग्रेस पूरी तरह से चुनावी मैदान से बाहर हो गई। 2020 में AAP ने अपनी जीत का सिलसिला जारी रखते हुए 62 सीटें जीतीं, भाजपा के खाते में केवल 8 सीटें आईं और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल सका।

वोट प्रतिशत के आंकड़े: AAP और भाजपा का उत्थान, कांग्रेस की गिरावट

चुनावों के वोट प्रतिशत पर नजर डालें तो स्थिति और भी स्पष्ट होती है। 2013 में कांग्रेस को 24.55 प्रतिशत, AAP को 29.49 प्रतिशत और भाजपा को 33.07 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं, 2015 में AAP को 54.34 प्रतिशत, भाजपा को 32.19 प्रतिशत और कांग्रेस को मात्र 9.65 प्रतिशत वोट मिले। 2020 में AAP ने 53.57 प्रतिशत वोट हासिल किया, जबकि भाजपा के हिस्से में 38.51 प्रतिशत वोट आए और कांग्रेस को सिर्फ 4.26 प्रतिशत वोट मिला।

AAP को नुकसान, भाजपा को फायदा: क्या बदल सकता है समीकरण?

2013, 2015 और 2020 के आंकड़ों के विश्लेषण से यह स्पष्ट है कि AAP ने कांग्रेस के वोट बैंक में गंभीर सेंधमारी की है, जबकि भाजपा ने अपने वोट प्रतिशत को बनाए रखा है। 2020 में भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा, जबकि कांग्रेस का प्रतिशत और गिरा। अगर कांग्रेस AAP से कुछ वोट हासिल करने में सफल होती है, तो भाजपा के लिए चुनावी मैदान में स्थिति और आसान हो सकती है। इसके अलावा, दिल्ली में 10 साल से ज्यादा समय से AAP की सरकार है, जिससे लोगों के मन में सरकार के खिलाफ विश्वास की कमी पैदा हो सकती है। अगर कांग्रेस अपने वोट प्रतिशत में सुधार करने में सफल होती है, तो यह AAP के लिए कठिनाई पैदा कर सकती है, और भाजपा को भी लाभ मिल सकता है।

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नतीजे पर आधारित भविष्यवाणी: क्या होगा दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री?

राजनीतिक समीक्षकों के अनुसार, दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में AAP और भाजपा के बीच ही कांटे की टक्कर हो सकती है। कांग्रेस अगर अपने वोट बैंक को सुधारने में सफल होती है, तो वह चुनावी परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। चुनाव के परिणामों के बाद ही यह तय हो पाएगा कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा।

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