Delhi Court: दिल्ली के रोहिणी कोर्ट ने कोर्ट की अवमानना करने के कारण तीन DCP और पांच SHO के खिलाफ नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में पूछा गया है कि आखिर उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों न की जाए? इसके साथ ही डीसीपी और एसएचओ को 19 जनवरी को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश भी जारी किए गए हैं। साथ ही कोर्ट की तरफ से वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की चूक को लेकर भी उत्तरी रेंज के जॉइन्ट कमिश्नर से भी जवाब तलब किया गया है।
इन थानों को दिए गए थे निर्देश
जानकारी के मुताबिक, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमित सहरावत की तरफ से जहांगीरपुरी थाना क्षेत्र के मामले की सुनवाई करते हुए 14 अक्टूबर को प्रत्येक समन रिपोर्ट पर तामील की तारीख का उल्लेख करने का आदेश दिया गया था। कोर्ट ने न्यायालय-क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जहांगीरपुरी, प्रशांत विहार, नरेला केएन काटजू और महेंद्रा पार्क थानों के एसएचओ को ये निर्देश दिए थे। साथ ही ये भी कहा गया था कि अगर इस निर्देश का अनुपालन नहीं किया जाता है, तो ये SHO और सर्वर प्रक्रिया की गंभीर चूक मानी जाएगी।
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डीसीपी को अमल सुनिश्चित करने के मिले थे निर्देश
साथ ही कोर्ट ने रोहिणी, बाहरी-उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी डीसीपी को आदेश दिया था कि वो कोर्ट के आदेश पर अमल सुनिश्चित करें। प्रशांत विहार थाने के एक मामले को लेकर कोर्ट में सुनवाई के दौरान समन पर तामिली तारीख दर्ज न होने के कारण कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए पांच एसएचओ और तीन डीसीपी को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा है।
पीड़ित के वकील ने कोर्ट में दी ये दलील
दरअसल, कोर्ट में पीड़ित के पेश न होने पर उसके वकील ने कोर्ट के सामने दलील रखी कि पीड़ित कोर्ट नहीं आ सका क्योंकि उसे कल देर रात 10.45 पर समन मिला और ऐसे में वो पेश नहीं हो सका। रिकॉर्ड से पता चला कि जांच अधिकारी को आठ जनवरी को समन मिला है और फिर ये समन कॉन्स्टेबल के जरिए पीड़ित तक पहुंचाया गया। इस प्रक्रिया में भी समय लगा। इस तरह कोर्ट को पीड़ित की बात सही लगी और कोर्ट ने इसे एसएचओ और डीसीपी की तरफ से गंभीर कदाचार माना।
कोर्ट ने जताई नाराजगी
दिल्ली रोहिणी कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि 24 अक्टूबर को समन पर तामिली तारीख लिखने का आदेश दिया गया था, इसके बावजूद प्रोसेस सर्वर की रिपोर्ट पर कोई बदलाव नहीं हुआ। समन पर, प्रोसेस सर्वर की रिपोर्ट बिना तारीख के मिल रही है। अपनी चूक को छिपाने के लिए जानबूझकर समन पर तारीखों का उल्लेख नहीं किया जाता है। प्रोसेस सर्वर के इस कदाचार से पीड़ितों और अन्य गवाहों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अंतिम समय में गवाह या फिर पीड़ित कोर्ट में पेश नहीं हो पाते, जिसके कारण मुकदमे लंबे खिंचते हैं। सभी एसएचओ और डीसीपी को निर्देशों का अनुपालन करना था, जो नहीं किया गया। ये न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन है और इसके कारण अवमानना का नोटिस जारी किया जाता है।
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