Delhi High Court: दिल्ली सरकार की तरफ से आबकारी नीति समेत लगभग 14 CAG रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर नहीं रखी गईं और इस मामले में विधानसभा की विशेष बैठक भी नहीं बुलाई गई, जिसको लेकर दिल्ली में काफी समय से घमासान मचा हुआ है। इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस मामले में पिछली सुनवाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए उनकी नियत पर सवाल उठाया था।
पिछली सुनवाई में सरकार के इरादे पर उठाया था सवाल
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए 14 जनवरी को कहा था कि दिल्ली सरकार कैग रिपोर्ट विधानसभा के समक्ष नहीं रखना चाहती है, जो उनकी नियत पर सवाल उठाता है। हालांकि गुरुवार को विधानसभा की विशेष बैठक बुलाने की मांग वाली इस याचिका पर हाई कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित रख लिया।
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दिल्ली सरकार को देना होगा जवाब
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ के समक्ष भाजपा विधायकों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि इस मामले को आखिरी दिन तक नहीं लटकाया जा सकता। ये मामला मौजूदा सरकार को देखना है, जिन्होंने खर्च किया है और उन्हें इस मामले में जवाब देना पड़ेगा। कैग रिपोर्ट्स विधानसभा और जनता दोनों के लिए जरूरी हैं और दिल्ली सरकार इन्हें विधानसभा पटल पर पेश न करके फायदा उठा रही है। जेठमलानी ने कहा कि विपक्षी नेता विधानसभा के सदस्य हैं और अगर सरकार रिपोर्ट को लेकर विशेष सत्र नहीं बुलाती है, तो इन मुद्दों से जनता अनजान रहेगी और दिल्ली सरकार बच निकलेगी। ऐसा होना दिल्ली की जनता और संविधान दोनों के साथ धोखाधड़ी होगी।
आचार संहिता के कारण पूरी नहीं हो सकती प्रक्रिया
वहीं इस मामले पर विधानसभा स्पीकर की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर नंदराजोग ने कहा कि वर्तमान सरकार को मुश्किल से 20 दिन का समय बचा है। इस समय राज्य में आदर्श आचार संहिता भी लागू है। इस अवधि के तहत पूरी प्रक्रिया को पूरा नहीं किया जा सकता। ऐसे में निर्देश जारी करने का कोई सार्थक उद्देश्य पूरा होगा? नंदराजोग ने जेठमलानी का विरोध करते हुए कहा कि अगर ये मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, तो अदालत असाधारण मामलों में हस्तक्षेप करके निर्णय दे सकती है।
'विधानसभा चुनाव के कारण याचिकी दायर'
सुधीर नंदराजोग ने कहा कि कैग रिपोर्टों पर सदन समितियों द्वारा विचार किया जाना चाहिए। अगली विधानसभा के पास भी रिपोर्टों पर विचार करने की सभी शक्तियां होती हैं। ये कोई सरकारी या निजी संकल्प नहीं है कि विधानसभा के कार्यकाल के साथ खत्म हो जाएगा। भाजपा विधायक याचिकाकर्ताओं ने विधानसभा चुनाव के कारण ये याचिका दायर की है। हालांकि हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपने निर्णय को सुरक्षित रख लिया है। बता दें कि हाईकोर्ट विपक्षी नेता विजेंद्र गुप्ता समेत अन्य भाजपा नेताओं द्वारा दायर कराई गई याचिका पर सुनवाई कर रही है। भाजपा नेताओं ने 14 कैग रिपोर्ट्स को सदन में पेश करने का निर्देश देने की मांग की है।
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