Who Destroyed Delhi: दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर मतदान प्रक्रिया चल रही है। भाजपा और कांग्रेस जहां आम आदमी पार्टी पर दिल्ली को बहदहाली की स्थिति में पहुंचाने का आरोप लगाकर चुनाव लड़ रही है, वहीं आम आदमी पार्टी पलटवार कर रही है कि अगर हम हार गए तो जनता को दी जा रही मुफ्त सुविधाएं बंद कर दी जाएंगी। इन राजनीतिक दलों के दावों की असलियत जनता स्वयं भलीभांति जानती है, लेकिन आपको दिल्ली की बर्बादी से जुड़ी ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं, जिससे उबरने में इस शहर को करीब 100 साल से ज्यादा समय लगा था। तो चलिये देरी किए बना ऐसे योद्धा की बात करते हैं, जिसका उद्देश्य दिल्ली पर शासन करना नहीं बल्कि जमकर लूटपाट करना था।

दिल्ली की अर्थव्यवस्था 3 दिन में चौपट कर दी

भारत को सोने की चिड़िया माना जाता था, लिहाजा विदेशी आक्रमणकारियों का सपना भारत की संपदा को लूटना था। ऐसा ही एक योद्धा 1398 में भारत आया। भारत आने के बाद उसने दिल्ली को फतेह करने की योजना बनाई। उसने रास्ते में आ रही तमाम अड़चनों को दूर कर 17 दिसंबर 1398 को दिल्ली पर हमला कर दिया। वो इतना क्रूर था कि तीन दिन के भीतर उसने दिल्ली को पूरी तरह से लूट लिया। पुरुषों की बात दूर, महिलाओं और बच्चों को भी बंधक बना लिया ताकि वो उसे अपने गुलामों में शामिल कर ले। यही नहीं, जिसने भी विरोध किया तो उसे मौत के घाट उतार दिया। बताया जाता है कि उसने एक घंटे में दस हजार लोगों के सिर काट दिए थे।

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दिल्ली पर शासन करने की इच्छा टाल दी

दिल्ली पर शासन करना हर किसी महाराजा की इच्छा रहती थी, लेकिन इस शासक ने अपनी इस इच्छा को टाल दिया। वो केवल 15 दिन ही दिल्ली में रहा और अगले युद्ध के लिए रवाना हो गया। इतिहासकारों की मानें तो दिल्ली से लूटे गए सामान को लेकर वो समरकंद चला गया था। बताया जाता है कि उसने अपने जीवन में कई युद्ध लड़े और जीत हासिल की। लेकिन, उसका निधन युद्ध भूमि में नहीं बल्कि मामूली जुकाम की वजह से हो गया था। इस शासक का नाम तैमूर था। वो लंगड़ा था, जिसके चलते उसे तैमूर लंग से भी पहचाना जाने लगा।

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चलते-चलते बता दें कि मुगल शासन की स्थापना बाबर ने की थी और तैमूर को बाबर का पूर्वज कहा जाता है। अगर कभी दिल्ली की बदहाली की बात होती है, तो इतिहास जानने वाले लोगों की जुबां पर तैमूर नाम आ जाता है। बहरहाल, दिल्ली में चुनाव को लेकर मतदान चल रहा है। उम्मीद है कि जनता ऐसी पार्टी को जिताएगी, जिसके प्रयासों की वजह से दिल्ली विकास के पथ पर दौड़ेगी।