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दिल्ली पुलिस ने मंगलवार शाम संगम विहार इलाके में एक कार से 47 लाख रुपये नकद बरामद किए। इसके अलावा दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने एक बिल्डर को गिरफ्तार किया है, जिसने ग्रेटर नोएडा में कमर्शियल और रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट्स के नाम पर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की।

Sangam Vihar and Noida news: दिल्ली NCR में अपराधों की बढ़ती घटनाएं एक गंभीर समस्या बनती जा रही हैं। संगम विहार में 47 लाख रुपये नकद बरामदगी और ग्रेटर नोएडा में बिल्डर द्वारा करोड़ों की धोखाधड़ी के मामलों ने इस बात को उजागर किया है कि अपराधी अलग-अलग तरीके अपनाकर जनता को निशाना बना रहे हैं। आईए जानते हैं आखिर क्या हैं मामले...

नकद बरामदगी ने खड़े किए सवाल

आपको बता दें कि दिल्ली पुलिस ने मंगलवार शाम संगम विहार इलाके में एक कार से 47 लाख रुपये नकद बरामद किए। पुलिस के मुताबिक, यह कार्रवाई टी-पॉइंट, मंगल बाजार रोड पर स्टैटिक सर्विलांस टीम (एसएसटी) द्वारा चेकिंग के दौरान की गई।

संगम विहार में 47 लाख नकद जब्त

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि कार को वसीम मलिक (24), जो संगम विहार का रहने वाला और कबाड़ व्यापारी है, चला रहा था। जांच के दौरान कार से नकदी से भरा एक बैग बरामद हुआ। पुलिस ने बताया कि आरोपी चालक पैसों के स्रोत के बारे में कुछ भी बता नहीं पाया है। फिलहाल नकदी को जब्त कर लिया गया है और नियमों के अनुसार आगे की कार्रवाई की जा रही है।

नोएडा में बिल्डर ने किया करोड़ों का घोटाला

दूसरी ओर दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने एक बिल्डर को गिरफ्तार किया है, जिसने ग्रेटर नोएडा में कमर्शियल और रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट्स के नाम पर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की। पुलिस के अनुसार, आरोपी रियल एस्टेट कंपनी के डायरेक्टर ने 2009 में नॉलेज पार्क-III, ग्रेटर नोएडा में एक प्रोजेक्ट लॉन्च किया था। इसे आईटी पार्क के तौर पर प्रचारित किया गया, जिसमें कमर्शियल प्लेस, खुदरा दुकानों और रेजिडेंशियल का वादा किया गया। इन्वेस्टर्स को जल्द कब्ज दिलाने के साथ आस-पास बड़ी आईटी कंपनियों के लिए सेटअप का भरोसा देकर फंसाया गया।  

75 से ज्यादा शिकायतें दर्ज

2013 में, शिकायतकर्ता और उनके परिवार ने इस प्रोजेक्ट्स में दो यूनिट बुक किए। हालांकि, आरोप है कि बिल्डर ने मंजूरी खत्म होने के बाद भी बिक्री जारी रखी। ईओडब्ल्यू की एडिशनल कमिश्नर अमृता गुगुलोथ ने बताया कि आरोपी ने बिना अधिकार के बिल्डर बायर्स एग्रीमेंट (बीबीए) किए और खरीदारों को डिफेक्टिव टाइटल दिया। एक ही यूनिट को कई खरीदारों को बेचकर इन्वेस्टर्स को धोखा दिया गया।

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फंड का दुरुपयोग और कई आरोप

पुलिस ने जांच में पाया कि आरोपी कंपनी ने खरीदारों से मिले फंड को सीधे अपने खातों में डाइवर्ट किया। नोएडा अथॉरिटी ने पुष्टि की कि कंपनी को न तो बीबीए साइन करने का अधिकार था और न ही किसी यूनिट को बेचने का। 13 जनवरी को पुलिस ने आरोपी बिल्डर को गिरफ्तार किया, जो फिलहाल न्यायिक हिरासत में है। पूछताछ में उसने योजना को कबूल किया और बताया कि खरीदारों को साढ़े तीन साल में डिलीवरी का वादा करके फंड का दुरुपयोग किया।

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