दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनने के बाद भी लोगों की प्यास बुझने के आसार कम दिखाई दे रहे हैं। कारण यह है कि यमुना में फिर से अमोनिया स्तर बढ़ चुका है। दिल्ली जल बोर्ड के सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इसके लिए हरियाणा जिम्मेदार है। हरियाणा में औद्योगिक संचालन हो रहा है, जिसकी वजह से बुधवार को अमोनिया स्तर 6.5 पीपीएम तक पहुंच गया था। सूत्रों का कहना है कि फिलहाल इसका असर दिल्ली की पेयजल आपूर्ति नहीं पड़ा है, लेकिन हालात में सुधार नहीं होता है, तो पेयजल सप्लाई पर व्यापक असर पड़ना तय है।
यमुना में बुधवार को कितना रहा अमोनिया का स्तर
मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि दिल्ली जल बोर्ड के पास एक पीपीएम उपचार क्षमता के संयंत्र है, लेकिन बुधवार को यमुना में अमोनिया का स्तर 6.5 पीपीएम था। शाम को यह 6.1 पीपीएम दर्ज किया गया, जबकि इसके बाद 3 पीपीएम और गिर गया। यह स्थिति पेयजल संकट को गहराने के लिए पर्याप्त है। चूंकि वजीराबाद में मुनक नहर से अतिरिक्त पानी मिलता है, इसलिए इस पानी को पतला करने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में सुचारू जलापूर्ति के लिए हरियाणा में औद्योगिक इकाइयों से मिलने वाले अपशिष्ट पर भी रोक लगनी चाहिए।
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आम आदमी पार्टी ने बोला हमला
यमुना वायु प्रदूषण का मुद्दा दिल्ली विधानसभा चुनाव में जमकर गूंजा था। माना जाता है कि अरविंद केजरीवाल की हार का एक कारण यह भी है कि वो यमुना को साफ नहीं कर पाए। दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनने से पहले ही यमुना नदी को साफ करने के लिए बड़ी मशीनें काम करती दिखीं। मंत्री प्रवेश वर्मा ने एक दिन पहले ही यमुना का दौरा कर दिखाया कि नदी को साफ स्वच्छ किया जा रहा है। इसके बाद आम आदमी पार्टी ने भी हमला बोला और एक न्यूज पोस्ट को शेयर कर लिखा कि बीजेपी और एलजी साहब यमुना की सफाई का दिखावा करके दिल्लीवालों की आंखों में धूल झोंक रहे हैं। बहरहाल, इस सियासी घमासान के बीच आम लोगों को चिंता है कि इस बार गर्मियों में पेयजल किल्लत का सामना न करना पड़े।